क्षेत्रीय असंतुलन : अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, दूर करने के उपाय
(Regional Imbalances : Meaning, Definition etc.)
क्षेत्रीय संतुलन का अर्थ (Meaning of Regional Imbalances)
क्षेत्रीय असंतुलन (Regional Imbalance) का अर्थ है :- किसी देश या क्षेत्र में विभिन्न स्थानों के बीच आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक, और बुनियादी ढांचे के विकास में असमानता। जब कुछ क्षेत्र तेजी से विकसित होते हैं, जबकि अन्य क्षेत्र पिछड़े रह जाते हैं, तो यह क्षेत्रीय असंतुलन कहलाता है।
क्षेत्रीय असंतुलन के कारण (Causes of Regional Imbalances)
क्षेत्रीय असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं, जो प्राकृतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक, और राजनीतिक हो सकते हैं:
1. प्राकृतिक कारक (Natural Factors)
• भौगोलिक स्थितियां: कुछ क्षेत्रों में पहाड़, रेगिस्तान, या अस्थिर जलवायु होने के कारण विकास बाधित होता है।
• प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता: खनिज, जल, और उर्वर भूमि की असमान उपलब्धता के कारण विकास में अंतर आता है।
2. ऐतिहासिक कारण (Historical Factors)
औपनिवेशिक शासन के दौरान कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई, जबकि अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा की गई।
स्वतंत्रता के बाद भी कई क्षेत्रों का औद्योगिकीकरण धीमा रहा।
3. आर्थिक कारण (Economic Factors)
• पूंजी निवेश की असमानता: विकसित क्षेत्रों में अधिक उद्योग और व्यापार केंद्रित होते हैं, जिससे पिछड़े क्षेत्रों में बेरोजगारी और गरीबी बनी रहती है।
• औद्योगीकरण की असमानता: कुछ क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में उद्योग स्थापित हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में रोजगार के सीमित अवसर हैं।
4. राजनीतिक एवं प्रशासनिक कारण (Political & Administrative Factors)
• विकास योजनाओं का असमान क्रियान्वयन: कई बार सरकार की योजनाएं विकसित क्षेत्रों में अधिक केंद्रित होती हैं, जिससे पिछड़े क्षेत्रों की अनदेखी होती है।
• भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन: सरकारी नीतियों का सही तरीके से लागू न होने के कारण कुछ क्षेत्रों का अपेक्षित विकास नहीं हो पाता।
क्षेत्रीय असंतुलन के प्रभाव (Effects of Regional Imbalances)
क्षेत्रीय असंतुलन के कई सामाजिक और आर्थिक प्रभाव होते हैं:
1. आर्थिक असमानता – विकसित क्षेत्रों में उच्च आय और जीवन स्तर होता है, जबकि पिछड़े क्षेत्रों में गरीबी बनी रहती है।
2. जनसंख्या प्रवासन (Migration) – लोग रोजगार और बेहतर जीवन के लिए ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों से शहरी और विकसित क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं ।
3. शहरीकरण की समस्याएं – तेजी से पलायन के कारण शहरों में भीड़, झुग्गी-झोपड़ियां, प्रदूषण, और बुनियादी सेवाओं की कमी हो जाती है।
4. सामाजिक असंतोष और अशांति – बेरोजगारी, गरीबी और असमानता के कारण अपराध, नक्सलवाद और अन्य सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
5. राष्ट्रीय विकास में बाधा – असमान विकास के कारण पूरे देश की प्रगति धीमी हो जाती है।
क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के उपाय (Measure to reduce Regional Imbalances)
1. संतुलित औद्योगिकीकरण – पिछड़े क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित कर रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए ।
2. बुनियादी ढांचे का विकास – सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाओं को ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में विकसित किया जाना चाहिए।
3. कृषि और ग्रामीण विकास – किसानों को आधुनिक तकनीक, सिंचाई सुविधा, और बाजार उपलब्ध कराकर कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना चाहिए।
4. आर्थिक नीतियों में संतुलन – सरकारी नीतियों को इस तरह लागू किया जाए कि सभी क्षेत्रों को समान अवसर मिलें।
5. पर्यटन और सेवा क्षेत्र का विस्तार – पिछड़े क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिविधियों को विकसित किया जा सकता है।
6. स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा – ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योग, कुटीर उद्योग, और हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
क्षेत्रीय असंतुलन एक गंभीर समस्या है जो देश के समग्र विकास को बाधित करता है। इसके समाधान के लिए सरकार, उद्योग, और समाज को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि सभी क्षेत्रों का समान और संतुलित विकास हो सके।
© ASHISH COMMERCE CLASSES
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