अंश पूंजी किसे कहते हैं ? अंश पूंजी के प्रकार (What is Share Capital ?)

 अंश पूंजी किसे कहते हैं ? अंश पूंजी के प्रकार
 (What is Share Capital ?)

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Ansh Punji kise kahte hai - Share Capital in Hindi

अंश पूंजी का अर्थ :- Meaning of Share Capital in Hindi


 जब कोई कंपनी स्थापित की जाती है, तो कंपनी के संचालन हेतु कंपनी को पूंजी की आवश्यक होती है । निजी कंपनी की दशा में पूंजी सदस्यों या फिर प्रवर्तक के द्वारा जुटाई जाती है । लेकिन सार्वजनिक कंपनी की दशा में पूंजी को कंपनी के द्वारा विशेष रूप से बाहरी व्यक्तियों को अपनी कंपनी में हिस्सा देकर इकट्ठा किया जाता है । 
जब कंपनी अपने अंशों का निर्गमन करके पूंजी प्राप्त करती  है, तो उसे अंश पूंजी (Share Capital) के नाम से जाना जाता है । अंश पूंजी कंपनी की कुल पूंजी का वह भाग है, जिसे कंपनी समय समय पर अंशों के निर्गमन के द्वारा प्राप्त करती है । प्रत्येक कंपनी के पार्षद नियम के पूंजी वाक्य (Capital Clause)  में अंश पूंजी का उल्लेख रहता है ।

अंश पूंजी के भेद :- Types of Share Capital in Hindi

कम्पनी की अंश पूंजी को निम्न रूप से वर्गीकृत किया गया है ।

1. अधिकृत पूंजी (Authorised Capital)
2. निर्गमित पूंजी (Issued Capital)
3. अनिर्गमित पूंजी (Unissued Capital)
4. प्रार्थित पूंजी (Subscribed Capital)
5. प्रार्थित एवं पूर्णदत्त पूंजी (Subscribed but not Fully paid up)
6. अयाचित पूंजी (Uncalled up Capital)
7. चुकता पूंजी (Paid up Capital)
8. संचित पूंजी (पूंजीगत संचय)


1. अधिकृत पूंजी (Authorised Capital) :- जब किसी कंपनी का निर्माण होता है, तो उस कंपनी को यह निर्धारित करना होता है, कि कंपनी की पूंजी की अधिकतम सीमा क्या होगी ? अर्थात कंपनी अपने अंशधारियों को कितनी सीमा तक अंश जारी कर सकती है । पूंजी की उसी अधिकतम सीमा को अधिकृत पूंजी कहा जाता है । अधिकृत पूंजी को पंजीकृत पूंजी (Registered Capital) भी कहा जाता है, क्योंकि इसी पूंजी के आधार पर किसी भी कंपनी का पंजीकरण होता है । कंपनी के निर्माण के समय जब कंपनी की पार्षद सीमा नियम का निर्माण होता है, तो पार्षद सीमा नियम के पूंजी वाक्य में इस बात का उल्लेख होता है, कि कंपनी की अधिकृत पूंजी क्या होगी । 
जब वर्ष के आखिर में कंपनी अपना आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet) बनाती है, तो इस पूंजी का उल्लेख भी ' समता एवं दायित्व ' पक्ष में सबसे पहले लिखा जाता है । 

2. निर्गमित पूंजी (Issued Capital) :- निर्गमित पूंजी, अधिकृत पूंजी का वह भाग है, जो जनता को अंश खरीदने के उद्देश्य से निर्गमित किया जाता है । कंपनी के स्थापना के समय कंपनी के द्वारा पूंजी की अधिकतम सीमा का निर्धारण अधिकृत पूंजी के रूप में किया जाता है । लेकिन कंपनी को जब अंश जारी करके पूंजी इकट्ठा करनी होती है, तो कंपनी केवल अपनी आवश्यकता अनुसार ही अंश जारी करती है और जनता से पूंजी इकट्ठा करती है । जिसे ही निर्गमित पूंजी कहा जाता है ।

3. अनिर्गमित पूंजी (Unissued Capital) :- अनिर्गमित पूंजी से आशय अधिकृत पूंजी के उस भाग से है, जो जनता को क्रय करने के लिए जारी नहीं किया गया है ।

4. पार्थित पूंजी (Subscribed Capital) :- पार्थित पूंजी से आशय निर्गमित पूंजी के उस भाग से है, जिसे जनता से स्वीकार कर लिया है और फिर उसके लिए कंपनी के पास आवेदन भेजा है ।

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(86) :- पूंजी का वह भाग जिसे कुछ समय के कंपनी के सदस्यों के द्वारा पार्थित किया जाता है , पार्थित पूंजी कहलाती है ।

कंपनी की पार्थित पूंजी को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है .....
(a). पार्थित एवं पूर्णदत्त (Subscribed and Fully paid) - जब कंपनी पूर्ण अंकित मूल्य मांग लेती है और यह मूल्य अंशधारियों द्वारा पूर्ण रूप से भुगतान कर दिया जाता है, तब इसे पार्थित एवं पूर्णदत्त पूंजी कहते हैं ।
(b). पार्थित लेकिन पूर्णदत्त पूंजी (Subscribed but not fully paid) :- जब कंपनी अंश का पूर्ण मांग लेती है, किंतु अंशधारी अंश मांगे गए मूल्य का कुछ भाग नहीं चुका पाते तब इसे पार्थित लेकिन पूर्णदत्त पूंजी कहते हैं ।

5. याचित पूंजी (Called - up Capital) :- याचित पूंजी पर्थित पूंजी से संबंधित है । जब कंपनी पार्थित पूंजी जारी करती है, तो उस अंश पर मांगे गए पैसे को कंपनी किश्तों / याचनाओं में मांगती है । उन्हीं किश्तों में मांगी गई अंश पूंजी को याचित पूंजी कहा जाता है ।

6. अयाचित पूंजी (Uncalled up Capital) :- निर्गमित पूंजी का वह भाग जिसे मांगा नहीं जाता उसे अयाचित पूंजी कहते है । 

7. चुकता पूंजी (Paid up Capital) :- कंपनी के द्वारा विभिन्न याचनाओं पर मांगी गई राशि में से जो राशि अंशधारियों के भुगतान स्वरूप प्राप्त होती है, वही चुकता पूंजी है । 

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(64) के अनुसार:- चुकता अंश पूंजी का आशय निर्गमित अंशों पर भुगतान के रूप में प्राप्त राशि तथा कंपनी के अंशों के संबंध में भुगतान की गई राशि के रूप में जमा (Credited) की गई राशि के योग से होता है ।

8. संचित पूंजी (Reserve Capital) :- संचित पूंजी कंपनी की अयाचित पूंजी का वह भाग है, जो जनता से तत्काल न मांगकर भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर मांगने के लिए रखा जाए । 

9. पूंजीगत पूंजी (Capital Reserve) :- कंपनी के पूंजीगत लाभों से बनाया गया संचय पूंजीगत संचय कहलाता है । कंपनी के पूंजी लाभ निम्न हो सकते हैं, जिन्हें पूंजीगत संचय में शामिल किया जाता है ।

(a). स्थाई संपत्तियों के विक्रय या पुनर्मूल्यांकन पर होने वाले लाभ ।
(b). कंपनी के समामेलन से पहले कमाया गया लाभ ।
(c). अंशों या ऋण पत्रों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम ।
(d). अंशों के हरण और पुनर्निर्गमन पर प्राप्त लाभ ।
(e). ऋणपत्रों के शोधन पर होने वाले लाभ ।

नोट :- 
पूंजीगत संचय चिट्ठे के दायित्व पक्ष में संचय एवं आधिक्य (Reserve & Surplus) शीर्षक के अंतर्गत दिखाया जाता है ।


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