विमुद्रीकरण क्या है ?
(Demonetization)
![]() |
(Demonetization) |
Introduction
विमुद्रीकरण (Demonetization) वह प्रक्रिया है जिसमें किसी देश की सरकार मौजूदा मुद्रा को कानूनी रूप से अमान्य (Invalid) घोषित कर देती है। इसका अर्थ यह है कि पहले जो मुद्रा वैध रूप से चलन में थी, उसे अब स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसे नए नोटों या अन्य वैध मुद्रा से बदलना होगा।
सरल शब्दों में, जब कोई सरकार किसी विशेष मूल्यवर्ग (Denomination) की मुद्रा को अचानक अमान्य कर देती है और उसे नए नोटों से बदलती है, तो इसे विमुद्रीकरण कहते हैं।
विमुद्रीकरण के उद्देश्य (Objectives of Demonetization)
विमुद्रीकरण आमतौर पर आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और समानांतर अर्थव्यवस्था (Parallel Economy) को खत्म करने के लिए किया जाता है। इसके कुछ मुख्य उद्देश्य हैं:
1. काले धन पर नियंत्रण – गैरकानूनी तरीकों से अर्जित धन, जो बिना कर चुकाए जमा किया गया हो, उसे बेकार करना।
2. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर रोक – नकद लेन-देन को नियंत्रित कर पारदर्शिता बढ़ाना।
3. नकली मुद्रा को समाप्त करना – जाली नोटों को चलन से बाहर करना।
4. डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा – नकदी के बजाय डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना।
5. आतंकवाद और अपराध पर नियंत्रण – अवैध रूप से अर्जित धन का उपयोग आतंकवाद और अन्य अपराधों में किया जाता है, जिसे कम करना।
भारत में विमुद्रीकरण (2016) का उदाहरण
भारत में 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की। इसके स्थान पर नए 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट जारी किए गए।
मुख्य बिंदु:
1. पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया।
2. लोगों को पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने का मौका दिया गया।
3. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएँ लागू कीं ।
4. इसका उद्देश्य काले धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर रोक लगाना था।
विमुद्रीकरण के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Demonetisation)
विमुद्रीकरण के फायदे: (Advantages of Demonetisation)
1. काले धन में कमी – जो लोग नकद में कर चोरी कर रहे थे, उन्हें अपनी आय घोषित करनी पड़ी।
2. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा – UPI, मोबाइल वॉलेट और ऑनलाइन बैंकिंग के उपयोग में वृद्धि हुई।
3. आर्थिक पारदर्शिता में सुधार – सभी लेन-देन बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत आने लगे।
4. अवैध गतिविधियों पर प्रभाव – नकली नोटों, आतंकवाद और तस्करी में इस्तेमाल होने वाली नकदी को कम किया गया।
5. बैंकों में धन की वृद्धि – बड़ी मात्रा में नकदी बैंकों में जमा होने से बैंकिंग प्रणाली में तरलता (Liquidity) बढ़ी।
विमुद्रीकरण के नुकसान: (Disadvantages of Demonetisation)
1. अल्पकालिक आर्थिक मंदी – व्यापारियों और आम जनता को नकदी की कमी का सामना करना पड़ा।
2. छोटे व्यवसायों पर असर – असंगठित क्षेत्र, जो मुख्य रूप से नकद लेन-देन पर निर्भर था, प्रभावित हुआ।
3. नौकरी और उत्पादन में गिरावट – नकदी की कमी के कारण कुछ क्षेत्रों में श्रमिकों की छँटनी हुई।
4. बैंकों और एटीएम में लंबी लाइनें – लोगों को पुराने नोट बदलवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।
5. नई मुद्रा छापने का खर्च – नए नोटों को छापने और उन्हें वितरित करने में सरकार को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।
अन्य देशों में विमुद्रीकरण के उदाहरण
1. ज़िम्बाब्वे (2008) – हाइपरइन्फ्लेशन के कारण सरकार को अपनी मुद्रा को अमान्य कर विदेशी मुद्राओं (डॉलर, यूरो) को अपनाना पड़ा।
2. रूस (1991) – सोवियत संघ के पतन के बाद पुराने रूबल को अमान्य कर दिया गया था ।
3. नाइजीरिया (1984) – भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार ने पुराने नोटों को बदलने का निर्णय लिया ।
निष्कर्ष (Conclusion)
विमुद्रीकरण एक बड़ा आर्थिक निर्णय होता है, जिसे लागू करने के बाद अल्पकालिक असुविधाएँ हो सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप में यह अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सहायक हो सकता है। हालाँकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसे कितनी अच्छी तरह से योजना बनाकर लागू किया गया है और सरकार ने इसके प्रभावों को कैसे नियंत्रित किया है।
© ASHISH COMMERCE CLASSES
THANK YOU.
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Thank you !