आपत्तियों का निराकरण क्या है ? (Handling Objections in Hindi)

आपत्तियों का निराकरण क्या है ?
 (Handling Objections in Hindi)

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 (Handling Objections in Hindi)


आपत्तियों का अर्थ (Meaning of Objections) 


 जब कोई ग्राहक किसी कंपनी के उत्पाद को क्रय करता है तो उस अवस्था में वह उत्पाद ठीक भी हो सकता है और उसमें कुछ कमियां भी हो सकती हैं । जब कभी कंपनी के द्वारा बेचे गए उत्पाद में कमियों का पता चलता है तो तभी ग्राहक की ओर से आपत्तियों का जन्म होता है या ग्राहक की ओर से आपत्तियाँ की जाती हैं । इसके अलावा ग्राहक की ओर से ऊंचे मूल्य की भी शिकायत या आपत्ति आती रहती है ।

विक्रय आपत्तियां (Sale Objections)


1. मूल्य आपत्ति (Price Objections)
2. वस्तु आपत्ति (Product Objections)
3. सेवा आपत्ति (Service Objections)
4. आवश्यकता आपत्ति (Need Objections)
5. स्रोत आपत्ति (Source Objections)
6. समय आपत्ति (Time Objections)
7. निर्माता संबंधी आपत्ति (Objection Regarding Manufacturers)
8. विक्रयकर्ता व्यक्तित्व आपत्ति (Personality of Salesman Objection)

आपत्तियों का निराकरण (Handling Objections)


जब विक्रयकर्ता या कंपनी के द्वारा ग्राहक की बातों को सुनते हुए उसकी सभी समस्याओं का समाधान कर दिया जाता है तो उसे ही आपत्तियों का निवारण कहते हैं ।

आपत्तियों के निराकरण के तरीके (Methods of Meeting Objections)


1. प्रत्यक्ष अस्वीकार ढंग (Indirect Denial Method)
2. प्रत्यक्ष अस्वीकार ढंग (Direct Denial Methods)
3. पूछताछ ढंग (Interrogation Method)
4. क्षतिपूर्ति ढंग (Compensation Method)
5. गुजर जाना ढंग (Pass out Method)
6. उल्टी स्थिति ढंग (Reverse Position Methods)


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