अंश किसे कहते हैं ? अर्थ, परिभाषा, प्रकार, समता एवं पूर्वाधिकार अंश

अंश किसे कहते हैं ? अर्थ, परिभाषा, प्रकार, समता एवं पूर्वाधिकार अंश 
What is Share in Hindi ? Equity & Preference Share in Hindi

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Company Share in Hindi - Company ka Ansh Kya hai


अंश का अर्थ एवं परिचय :- Meaning & Definition of Share in Hindi


अंश का अर्थ  होता है, हिस्सा ।
कम्पनी के संबध में अंश से तात्पर्य कम्पनी की पूंजी के उस हिस्से से है, जो अंशधारियों को उनके स्वामित्व के रूप में दिया जाता है । कम्पनी की पूंजी को समान रूप से संख्याओं में विभाजित किया जाता है, जिसके अंतर्गत कम्पनी की कुल पूंजी छोटे छोटे टुकड़ों में बटी होती है, जिसे अंश (Share) कहा जाता है ।

उदाहरण :- 

कम्पनी की कुल पूंजी :- ₹5 करोड़
विभाजन :- 5 लाख अंश, ₹100/अंश
                (500000*100)

भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(84) के अनुसार :- अंश से तात्पर्य कम्पनी की पूंजी के अंश (हिस्सा) से है, जिसमे स्टॉक भी शामिल है ।

अंशों की आवश्यकता क्यों ? Need of Share in Hindi 


कम्पनी की स्थापना के समय कम्पनी को व्यवसाय को चलाने हेतु धन की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति हेतु कम्पनी बैंकों से ऋण लेती है । परन्तु जब कभी कंपनी के दायित्वों की पूर्ति ऋण से नहीं हो पाती तो कंपनी जनता के बीच प्रविवरण जारी करके पूंजी इकट्ठा करने पर विचार करती है और फिर कंपनी प्रविवरण से सूचना देने के साथ साथ अंशों को जारी कर पूंजी इकट्ठा करती है ।

अंश जारी करने के कारण :- Reason for Issuing of Share in Hindi


1. पूंजी इकट्ठा करना ।
2. ऋण लेने से बचाव ।
3. उद्देश्यों की पूर्ति ।
4. जोखिम कम ।
5. संपत्ति पर दबाव से बचाव ।

कम्पनी के द्वारा अंश जारी करने के रूप में कंपनी जिन्हें अंश देकर पूंजी इकट्ठा करती है, उन्हें अंशधारी कहा जाता है । चूंकि अंशधारी कंपनी में अंश अर्थात् अपना कुछ हिस्सा धारण करते हैं, अतः उन्हें कंपनी का मालिक या स्वामी भी कहा जाता है । कम्पनी के मालिक के रूप में अंशधारियों को ...

1. लाभ का हिस्सा अर्थात लाभांश (Dividend) दिया जाता है ।
2. सभा में वोट देने का अधिकार दिया जाता है ।

निष्कर्ष :- अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है, कि अंश कम्पनी की कुल पूंजी का एक निश्चित हिस्सा होता है, जो अंशधारियों को उनके स्वामित्व के बदले दिया जाता है ।

अंशों के प्रकार :- Kinds of Share in Hindi 


हर सार्वजनिक कंपनी जो अंशों के द्वारा सीमित कंपनी है, उसे अंश जारी करने का अधिकार होता है । वह कम्पनी दो प्रकार के अंशों को जानता के मध्य जारी कर सकती है ।

1. समता अंश (Equity Share)
2. पूर्वाधिकार (Preference Share)

1. समता अंश (Equity Share) :- समता अंशों से तात्पर्य उस वर्ग के अंशों से है, जिनके धारकों को कंपनी की सभा में वोट देने का अधिकार होता है । समता अंशधारी कंपनी में किसी भी नए नियम एवं कानूनों पर कंपनी की सभाओं में अपना पक्ष रखने तथा मत देने का अधिकार रखते हैं ।

समता अंशों को जोखिम अंश भी कहा जाता है । क्योंकि इसके अंशधारियों को किसी भी प्रकार का पूर्वाधिकार (Preferential Rights) प्राप्त नहीं होता है ।

समता अंशधारियों को अन्य सभी प्रतिभूतियों जैसे पूर्वाधिकार अंश, ऋण पत्र आदि जारी करने करने से पहले अंश जारी किया जाता है । परंतु भुगतान सभी प्रतिभूतियों के धारकों को भुगतान करने के बाद किया जाता है ।

समता अंशों पर लाभांश का वितरण केवल उसी समय होता है, जब कंपनी के द्वारा आदेशित होता है । जब कभी कंपनी समापन होता है, तब कंपनी के सभी दायित्वों का भुगतान करने के बाद ही शेष राशि का भुगतान समता अंशधारियों को किया जाता है ।

समता अंशों की विशेषताएं :- Characterstics of Equity Share in Hindi


1. समता अंश सबसे पहले जारी किए जाते हैं ।
2. समता अंशों के लाभांश का भुगतान पूर्वाधिकार अंशधारियों और ऋणपत्रधारियों को भुगतान के बाद किया जाता है ।
3. कम्पनी के समापन के समय सबसे बाद में भुगतान ।
4. वार्षिक सभा में वोट देने का अधिकार ।
5. बचे हुए लाभ में हिस्सा ।

समता अंशों के लाभ :- Benefit of Equity Share in Hindi


1. स्थाई पूंजी
2. आय पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं ।
3. वोट का अधिकार ।
4. कम्पनी की शक्ति और विकास का सूचक ।
5. असीमित रूप में पूंजी का एकीकरण ।
6. कम्पनी की सम्पत्ति पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं ।
7. सीमित दायित्व ।
8. अधिकार अंशों के जारी होने पर स्वीकृति का अधिकार ।
9. लाभांश पर कर नहीं ।
10. अत्यधिक लाभ की स्थिति में अत्यधिक लाभांश ।

समता अंशों की सीमाएं :- Limitation of Equity Share in Hindi


1. नियंत्रण का दुरुपयोग ।
2. अत्यधिक लागत ।
3. लोचकता ।
4. अत्यधिक पूंजीकरण हानिकारक ।
5. अत्यधिक जोखिम ।

पूर्वाधिकार अंश क्या है ? Preference Share in Hindi


पूर्वाधिकार (Preference Share) :- पूर्वाधिकार अंशों से तात्पर्य उन अंशों से है, जिनमें अंशधारी को कंपनी में पूर्वाधिकार प्राप्त होता है ।

पूर्वाधिकार अंशों पर प्राप्त पूर्वाधिकार दो स्थितियों में प्राप्त हो सकता है ....
1. लाभांश वितरण में
2. कम्पनी समापन के समय पूंजी वितरण पर ।
पूर्वाधिकार अंशधारियों को किसी भी प्रकार से कंपनी की सभाओं में वोट का अधिकार नहीं होता है ।

पूर्वाधिकार अंशों के लाभ :- Benefits of Preference Share in Hindi


1. जोखिम से रक्षा
2. लोचकता
3. प्रबंध में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं ।
4. लाभ पर दबाव नहीं
5. संपत्ति पर दबाव नहीं ।
6. नियमित लाभांश 

पूर्वाधिकार अंशों की सीमाएं  :- Limitation of Preference Share in Hindi


1. महंगा ।
2. कानूनी अड़चने ।
3. स्थाई बोझ ।
4. वोट का अधिकार नहीं ।
5. पूंजी अधिमूल्यन नहीं ।
6. लाभांश पर स्थाई रूप से गारंटी नहीं ।


पूर्वाधिकार अंशों के प्रकार :- Types of Preference Share in Hindi 


1. संचयी एवं असंचयी पूर्वाधिकार अंश :- 

(a) संचयी पूर्वाधिकार अंश :- ये उस वर्ग के पूर्वाधिकार अंश हैं, जिनमें यदि किसी भी वर्ष कंपनी के द्वारा लाभांश वितरित नहीं किया जाता है, तो उसे अगले साल के लिए हस्तांतरित कर दिया जाता है और इन अंशधारियों को अगले साल बकाया लाभांश दिया जाता है ।

(b) असंचयी पूर्वाधिकार अंश :- असंचयी पूर्वाधिकार अंश वे पूर्वाधिकार अंश हैं, जिनमें भुगतान केवल निश्चित वर्तमान वर्ष में ही किया जाता है । यदि इस स्थिति में लाभांश को किसी कारणवश उस वर्ष नहीं दिया गया तो इस लाभांश को अगले सालों में भी नहीं दिया जाएगा ।


2. भागयुक्त एवं अभागयुक्त पूर्वाधिकार अंश :- 

(a) भागयुक्त पूर्वाधिकार अंश :- भागयुक्त अंश वे पूर्वाधिकार अंश हैं, जिसमे लाभांश वितरण के बाद शेष बचे अतिरिक्त लाभ को प्राप्त करने का अधिकार भी अंशधारियों को प्राप्त होता है । यदि पूर्वाधिकार अंशधारियों और फिर समता अंशधारियों को लाभांश बांटने के बाद भी कोई शेष राशि बच जाती है, तो उस राशि का भुगतान भागयुक्त अंशधारियों में कर दिया है ।

(b) अभागयुक्त पूर्वाधिकार अंश :- अभागयुक्त पूर्वाधिकार अंश उस वर्ग के पूर्वाधिकार अंश हैं, जिनके अंशधारियों को किसी भी प्रकार से अतिरिक्त लाभांश का लाभ नहीं दिया जाता ।


3. परिवर्तनशील एवं अपरिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश :- 

(a) परिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश :- परिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश उस वर्ग के पूर्वाधिकार अंश हैं, जिन्हें एक निश्चित समय के बाद समता अंशों में परिवर्तित कर दिया जाता है ।

(b) अपरिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश :- अपरिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश वे पूर्वाधिकार अंश हैं, जिन्हें किसी भी दशा में किसी भी समय समता अंशों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता ।


4. शोध्य एवं अशोध्य पूर्वाधिकार अंश :-

(a) शोध्य पूर्वाधिकार अंश :- शोध्य पूर्वाधिकार अंश वे अंश हैं, जिनके धारकों को कम्पनी की पार्षद सीमा नियम के द्वारा एक निश्चित समय के उपरांत कंपनी में लगाई गई पूंजी पुनः प्राप्त करने का अधिकार होता है ।
इन अंशधारियों को कब पूंजी वापस की जाएगी इसका निर्धारण अंश जारी करते समय ही कर लिया जाता है ।
कम्पनी अधिनियम के अनुसार पूर्वाधिकार अंशों को कभी भी 20 वर्षों से ज्यादा समय के लिए जारी नहीं किया जाएगा ।

(b) अशोध्य पूर्वाधिकार अंश :- अशोध्य पूर्वाधिकार अंश उस वर्ग के पूर्वाधिकार अंश हैं, जिनका पूंजी धन कंपनी के द्वारा कभी भी वापस नहीं किया जाता ।


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