प्रतिभूतियों पर ब्याज (Interest on Securities)

 प्रतिभूतियों पर ब्याज 
(Interest on Securities) 

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(Interest on Securities) 


प्रतिभूतियों पर ब्याज से आशय गत वर्ष में निम्न प्रकार की प्रतिभूतियों पर एक निश्चित दर से प्राप्त ब्याज से है :- 

1. केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार की किसी भी प्रतिभूति पर ब्याज ।
2. स्थानीय सत्ता (Local Authority) द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों पर ब्याज ।
3. एक भारतीय अथवा विदेशी कंपनी द्वारा निर्गमित ऋण - पत्रों पर ब्याज ।
4. एक वैधानिक निगम (Statutory Corporation) द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों पर ब्याज ।

नोट :- यदि करदाता ने प्रतिभूतियों को व्यापारिक रहतिये (Stock - in - trade) के रूप में रखने के उद्देश्य से क्रय किया है तो इन पर ब्याज ' व्यवसाय एवं पेशे के लाभ ' (PGBP) शीर्षक में कर - योग्य होगा ।

ब्याज जो प्रतिभूतियों पर ब्याज में शामिल नहीं होता :- कुछ संस्थाओं द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों का ब्याज, यद्यपि ' अन्य साधनों से आय ' शीर्षक में ही कर - योग्य होता है, परंतु इसे प्रतिभूतियों पर ब्याज के अंतर्गत शामिल नहीं किया जाएगा । ऐसी प्रतिभूतियाँ निम्न हैं :- 

(i) सहकारी समिति (Co-operative Society) के ऋणपत्र
(ii) विदेशी सरकार या सत्ता की प्रतिभूतियाँ
(iii) किसी संघ (Association), क्लब एवं व्यक्तियों के समुदाय द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ
(iv) एक व्यक्ति (Individual), हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) अथवा फर्म द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ
(v) भूमि बंधक बैंक (Land Mortgage Bank) के ऋणपत्र
(vi) भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI) के यूनिटों पर आय ।

कराधान के उद्देश्य से प्रतिभूतियों के प्रकार (Kinds of Securities for tax Purpose)


प्रतिभूतियों का निर्गमन या तो सरकार द्वारा किया जाता है अथवा कंपनियों द्वारा दोनों ही प्रकार की संस्थाओं द्वारा दो प्रकार की प्रतिभूतियों का आशय, इनकी कर - योग्य ब्याज की धनराशि एवं इनके संबंध में आयकर के प्रावधानों का वर्णन निम्न है :- 

A. सरकारी प्रतिभूतियाँ (Government Securities) :- सरकारी प्रतिभूतियों से आशय केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों से है । ऐसी प्रतिभूतियों के ब्याज को करदाता की आय में शामिल करने के दृष्टिकोण से इन्हें दो भागों में बांटा गया है :-

1. धारा 10(15) में वर्णित सरकारी प्रतिभूतियाँ [Govt. Securities u/s 10(15)] :- आयकर अधिनियम की धारा 10(15) के अंतर्गत कर - मुक्त प्रतिभूतियों की विवेचना की गई है । यदि करदाता इनमें से किसी भी प्रतिभूति में अपने धन का निवेश करता है तो उसे उस पर प्राप्त ब्याज पर कुछ भी कर (Tax) नहीं देना होगा अर्थात संपूर्ण ब्याज की राशि कर - मुक्त होगी । 

2. अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ (Other Govt. Securities) :- इन प्रतिभूतियों के अंतर्गत धारा 10(15) में वर्णित प्रतिभूतियों को छोड़कर शेष सभी केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ आती हैं । इन प्रतिभूतियों पर ' कर - मुक्त ' शब्द लिखा हुआ भी हो सकता है और नहीं भी ।

 यदि प्रतिभूति पर स्पष्ट रूप से ' कर - मुक्त ' शब्द लिखा हुआ है तो अंत प्रतिभूति के ब्याज को करदाता की आय में शामिल नहीं किया जाता है । इसका ब्याज कर - मुक्त होगा । यह प्रतिभूति धारा 10(15) में से भी हो सकती है । 

यदि प्रतिभूति पर ' कर - मुक्त ' शब्द नहीं लिखा हुआ है तो ऐसी प्रतिभूति को कर - योग्य सरकारी प्रतिभूति में शामिल किया जाएगा तथा इसका ब्याज करदाता की आय में सम्मिलित किया जाएगा । कर - युक्त सरकारी प्रतिभूतियों पर स्रोत पर कर नहीं काटा जाता है । अतः इन प्रतिभूतियों पर ब्याज को कभी भी सकल नहीं किया जाएगा ।

B. गैर - सरकारी या व्यापारिक प्रतिभूतियाँ (Non - Government or Commercial Securities) :- इन प्रतिभूतियों में निजी संस्थाओं द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों के अतिरिक्त अर्द्ध - सरकारी (Semi - Government) संस्थाओं द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ भी शामिल होती हैं , जैसे :- नगर निकाय बॉन्ड्स आदि । ये प्रतिभूतियाँ किसी व्यापारिक कंपनी, ट्रस्ट, निगम, नगरपालिका आदि द्वारा निर्गमित की जाती हैं । गैर - सरकारी प्रतिभूतियों का मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीयन (Listing) हो सकता है और नहीं भी, किंतु अर्द्ध - सरकारी प्रतिभूतियाँ सदैव सूचीयन मानी जाती हैं ।

गैर - सरकारी प्रतिभूतियाँ निम्न दो प्रकार की होती हैं :- 

1. करमुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ (Tax - free Non-Govt. Securities) :- करमुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ स्थानीय निकाय अथवा वैधानिक निगम अथवा कंपनी द्वारा निर्गमित की जाती हैं । इन्हें करमुक्त व्यापारिक प्रतिभूतियाँ भी कहते हैं । करमुक्त व्यापारिक प्रतिभूतियों को केवल इसी आधार पर करमुक्त नाम दिया गया है क्योंकि इनकी ब्याज पर स्रोत पर कर की कटौती नहीं की जाती । वास्तव में इन प्रतिभूतियों का ब्याज करदाता के लिए करमुक्त नहीं होता है । इन प्रतिभूतियों पर ब्याज की रकम पर आयकर ब्याज की राशि में से नहीं काटा जाता है, बल्कि ब्याज पर लगने वाले आयकर को प्रतिभूतियाँ निर्गमित करने वाली संस्था द्वारा चुकाया जाता है जिसे प्रतिभूति धारक की ओर से चुकाया गया माना जाता है । इन प्रतिभूतियों के निर्गमन से करदाता को एक तो ब्याज की राशि और दूसरे कर की राशि न कटने का लाभ प्राप्त होता है । 

2. कर - युक्त गैर - सरकारी प्रतिभूतियाँ (Less - tax Non-Govt. Securities) :- इन प्रतिभूतियों को कर - योग्य व्यापारिक प्रतिभूतियाँ भी कहते हैं । ' करमुक्त ' शब्द स्पष्ट रूप से न दिये पर ये प्रतिभूतियाँ सदैव कर योग्य (Less tax) मानी जाती हैं । ये भी कर - मुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियों की तरह ही सूचीबद्ध (Listed) या असूचीबद्ध दोनों ही प्रकार की हो सकती हैं । प्रतिभूति धारक को ब्याज की राशि शुद्ध रूप में प्राप्त होती है अर्थात इनके ब्याज का भुगतान करने से पूर्व ब्याज का भुगतान करने वाली कंपनी द्वारा स्रोत पर आयकर की कटौती की जाती है । 
ऐसी प्रतिभूतियों के संबंध में यदि ब्याज की रकम दी गई है तो उसे सकल बनाकर प्रतिभूति धारक की कुल आय में शामिल किया जाता है । यदि प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य (Face Value) तथा ब्याज का प्रतिशत दिया गया है तो प्रतिभूति के अंकित मूल्य पर निर्धारित प्रतिशत से गणना की गई राशि प्रतिभूतियों के ब्याज की सकल रकम होगी और इसे ही करदाता की आय में शामिल करेंगे ।

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