विक्रयकला किसे कहते हैं ?
(Salesmanship in Hindi)
विक्रयकला का अर्थ (Meaning of Salesmanship)
विक्रयकला से तात्पर्य विक्रय करने की कला यानी विक्रयकर्ता के द्वारा किसी भी वस्तु को ग्राहक को बेचने के ढंग से है । इसके अनुसार एक विक्रेता अपने उत्पाद के बारे में ग्राहक को इस तरह से बताता है , जिससे कि ग्राहक बिना देरी किए उसके द्वारा बेची जा रही वस्तु को खरीद ले । विक्रयकला के अंतर्गत विक्रेता अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं के स्वामित्व को व्यवसायिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विशेष वैज्ञानिक ढंग से ग्राहक को हस्तानांतरित करता है ।
विक्रयकला की परिभाषा (Definition of Salesmanship)
1. एच. एल. हेन्सन की राय में :- विक्रयकला वह कार्य है जिससे लोगों को किसी विचार को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ।
2. कार्टर के अनुसार :- विक्रयकला लोगों को वस्तु क्रय करने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयत्न है ।
3. एच. आर. टोस्डल के अनुसार :- विक्रयकला प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपसी लाभ के आधार पर वस्तुओं एवं सेवाओं के हस्तांतरण के लिए विक्रेता द्वारा प्रयोग में लायी जाने वाली कला है ।
4. टी. एस. नॉक्स के मत में :- विक्रयकला मानवीय इच्छाओं को मानवीय आवश्यकताओं में परिवर्तित करने की योग्यता है ।
विक्रयकला की विशेषताएं (Characteristics of Salesmanship)
1. इच्छा जाग्रत करने की कला
2. व्यक्तिगत सेवा
3. ग्राहक को आकर्षित करने की कला
4. नई आवश्यकताओं को जन्म देने की कला
5. ग्राहक एवं विक्रयकर्ता दोनों को लाभ
6. अनुग्रह करने की कला
7. इच्छा को आवश्यकता में परिणित करने की कला
8. समस्या निवारण की कला
विक्रयकला के उद्देश्य (Objectives of Salesmanship)
1. वस्तुओं एवं सेवाओं का ज्ञान
2. संस्था अथवा व्यवसाय के बारे में ज्ञान
3. विक्रयकर्ता के व्यक्तिगत गुण
4. ग्राहकों का ज्ञान
5. विक्रय विधि का ज्ञान
विक्रयकला की सीमाएं (Limitations of Salesmanship)
1. वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य
2. वस्तुओं एवं सेवाओं की गुणवत्ता
3. वस्तुओं एवं सेवाओं का अभाव
4. व्यापक क्षेत्र
5. एकाधिकार
6. प्राथमिक आवश्यकताओं की वस्तुएं
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