सम्पत्ति को प्राप्त करने की लागत (Cost of Acquisition of Asset)

सम्पत्ति को प्राप्त करने की लागत 
(Cost of Acquisition of Asset)

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Cost of Acquisition of Asset

प्राप्ति की लागत का आशय (Meaning of Cost of Acquisition) :- संपत्ति को प्राप्त करने की लागत का आशय उस मूल्य से है, जो संपत्ति के मालिक ने उसे प्राप्त करने में व्यय किया था । किसी पूंजी संपत्ति को क्रय करने के संबंध में प्राप्त ऋण पर ब्याज चुकाया गया है तो इस ब्याज को भी संपत्ति प्राप्त करने की लागत में शामिल किया जाएगा , बशर्ते यह ब्याज अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान के अंतर्गत कटौती योग्य नहीं होना चाहिए । 

यदि किसी संपत्ति को क्रय नहीं किया गया है बल्कि किसी अन्य संपत्ति के बदले में प्राप्त किया गया है तो संपत्ति को बदले जाने वाले दिन प्राप्त की गई संपत्ति का जो बाजार मूल्य होता है तो 1 अप्रैल 2001 को संपत्ति के उचित बाजार मूल्य (Fair Market Value) को संपत्ति की प्राप्ति की लागत के रूप में प्रयोग करने का करदाता को विकल्प प्राप्त है । 

ह्रासवान संपत्तियों की दशा में :- यदि ये संपत्तियां ऐसे व्यवसाय की हैं जो शक्ति के उत्पादन या उत्पादन एवं वितरण से संबंधित हैं तो ऐसी संपत्ति के किसी गत वर्ष में अपलिखिलित मूल्य को उसकी प्राप्ति की लागत माना जायेगा ।

ऐसी संपत्ति की प्राप्ति जो करदाता को बिना प्रतिफल के प्राप्त हुई है :- यदि करदाता ने किसी संपत्ति की स्वयं क्रय नहीं किया है और न ही उसका स्वयं निर्माण कराया है, किंतु उसे संपत्ति बिना प्रतिफल का भुगतान किए निम्न दशाओं के अंतर्गत प्राप्त होती है तो उसके लिए उस संपत्ति को प्राप्त करने की लागत वह होगी जो उसे पूर्व संपत्ति के स्वामी के लिए संपत्ति की लागत है । इसमें पूर्व स्वामी द्वारा संपत्ति प्राप्त करने के व्यय एवं सुधार के व्यय दोनों का योग संपत्ति प्राप्त करने की लागत होगी । 

ऐसी परिस्थिति में जहां कि संपत्ति व्यक्ति के द्वारा क्रय नहीं की जाती किंतु बिना कुछ मूल्य चुकाए (उपहार, वसीयत आदि में) प्राप्त हो जाती है और बाद में वह व्यक्ति उसका विक्रय कर देता है, तो उस संपत्ति का क्रय मूल्य पूर्व मालिक की लगाया मानी जाएगी । 

वे परिस्थितियां जब करदाता को संपत्ति बिना प्रतिफल के प्राप्त होती हैं :- निम्न दशाओं में संपत्ति पर पूंजी लाभ की गणना करते समय पूर्व मालिक की लागत को विचार में रखा जाएगा :- 

i) हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के पूर्ण या आंशिक विभाजन पर संपत्ति का वितरण ।
ii) भेंट अथवा वसीयत (Gift or Will) के अंतर्गत प्राप्त हुई संपत्ति ।
iii) उत्तराधिकार (Succession) पर प्राप्त संपत्ति ।
iv) एक बैंकिंग कंपनी का अन्य बैंकिंग संस्था के साथ एकीकरण के अंतर्गत हस्तांतरण की दशा में हस्तांतरणकर्ता बैंक की लागत को विचार में लिया जाएगा ।
v) फर्म/व्यक्तियों के समुदाय (AOP) के विघटन पर संपत्ति का वितरण ।
vi) कंपनी के समापन (Dissolution) पर संपत्ति का वितरण ।
vii) एक खंडनीय अथवा अखण्डनीय ट्रस्ट के अंतर्गत हस्तांतरण।
viii) किसी नियंत्रक (Holding) कंपनी द्वारा अपनी 100% सहायक कंपनी को हस्तांतरण अथवा ऐसी 100% सहायक कंपनी द्वारा द्वारा अपनी सूत्रधारी कंपनी को हस्तांतरण अथवा एकीकरण की किसी योजना के अंतर्गत एकीकरण करने वाली कंपनी को संपत्ति का हस्तांतरण।
ix) हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के किसी भी सदस्य द्वारा परिवार की संपत्ति में अपनी व्यक्तिगत संपत्ति मिलाने की स्थिति में परिवार के लिए पूंजी संपत्ति को प्राप्त करने की लागत वही होगी जो परिवार के हस्तांतरक द्वारा उक्त संपत्ति प्राप्त करने में व्यय की गई थी ।
x) किसी प्रन्यास (Trust) के हस्तांतरण द्वारा प्राप्त संपत्ति ।
xi) एकीकरण (Amalgamation) की किसी योजना के अंतर्गत एकीकृत होने वाली विदेशी कंपनी द्वारा एकीकरण करने वाली विदेशी कंपनी को किसी भारतीय कंपनी के अंशों का पूंजी संपत्ति के रूप में हस्तांतरण। 

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