पूंजी लाभ क्या है ? (Capital Gains)

   पूंजी लाभ क्या है ?
(Capital Gains)

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Capital Gain in Hindi

पूंजी लाभ का अर्थ (Meaning of Capital Gain) 


पूँजी लाभ से आशय पूंजीगत संपत्तियों जैसे जमीन, मकान, अंश, सोना - चांदी, आदि को बेचने से प्राप्त लाभ से है । भारतीय आयकर अधिनियम 1961 में धारा 45 से लेकर 55A तक कर योग्य पूंजी लाभ के बारे में बताया गया है ।  

उदाहरण :- A के पास दिल्ली में एक मकान है , जिसे उसने ₹20 लाख में बेच दिया। इस स्थिति में मकान के बिकने से प्राप्त धन यानी लाभ को पूंजी लाभ कहा जायेगा ।

पूंजी लाभ की परिभाषा (Definition of Capital Gains) :- 


आयकर अधिनियम 1961, की धारा 45 के अनुसार :- ऐसा प्रत्येक पूंजी लाभ जो कि किसी पूंजीगत संपत्ति के हस्तानांतरण (Transfer) के द्वारा उत्पन्न होता है उस पर पूंजी लाभ शीर्षक में कर लगाया जाता है । ऐसा कर उस गत वर्ष में लगाया जाता है जिस गत वर्ष में उक्त पूंजीगत संपत्ति हस्तांतरित की जाती है । 

पूंजी लाभ के प्रमुख तत्व (Main Elements of Capital Gains)


1. पूंजी संपत्ति (Capital Gains)
2. पूंजी संपत्ति का हस्तांतरण, तथा (Transfer of Capital Assets)
3. पूंजी लाभ की गणना (Computation of Capital Gains)


पूंजी संपत्ति का अर्थ (Meaning of Capital Assets)

पूंजी लाभ हमेशा किसी न किसी पूंजी संपत्ति के हस्तांतरण करने पर उत्पन्न होता है । यही कारण है कि पूंजी संपत्ति का ज्ञान अति आवश्यक है । पूंजी संपत्ति से आशय करदाता द्वारा ग्रहित की गई प्रत्येक ऐसी प्रकार की संपत्ति से है चाहे वह निम्न में से किसी भी प्रकार की हो :- 

1. चल अथवा अचल (Movable or Non Movable)
2. भौतिक अथवा अभौतिक (Physical or Non Physical)
3. स्थाई अथवा अस्थाई (Permanent or Temporary)

पूंजी संपत्ति किसी भी करदाता के व्यापार एवं पेशे से संबंधित हो भी सकती है और नहीं भी । आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अनुसार पूंजी संपत्ति का आशय बहुत व्यापक है एवं इसमें करदाता का भवन, फर्नीचर, आभूषण, मशीन, व्यापार की ख्याति, अंश एवं प्रतिभूतियां, मार्गों के परमिट, निर्माण करने का अनुज्ञा - पत्र, खानों के संबंध में पट्टेदारी के अधिकार आदि सम्मिलित हैं । एक व्यापारी संस्था को भी पूंजी संपत्ति में शामिल किया जाता है । 

अपवाद (Exception) :- कुछ ऐसी पूंजी संपत्तियां हैं जो पूंजी लाभ शीर्षक में कर योग्य नहीं होती हैं । वो संपत्तियां कुछ इस प्रकार से हैं :-

1. व्यापारिक रहतिया (Stock - in - Trade) :- उपभोग्य सामग्री (Consumable stores) व कच्चा माल जो व्यापार या पेशे के लिए होता है ऐसे स्कंध के विक्रय पर होने वाले लाभ ' व्यापार एवं पेशे से आय ' शीर्षक के अंतर्गत कर योग्य होते हैं । 
2. व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं (Articles of Personal Use) :- व्यक्तिगत प्रयोग की चल संपत्तियों जैसे :- पहनने के कपड़े, घरेलू सामान, मोटर कार, स्कूटर, टेलीविजन, फर्नीचर आदि शामिल हैं लेकिन सोने - चांदी एवं अन्य बहुमूल्य धातुओं की बनी हुई वस्तुओं को इनमें शामिल नहीं किया जाता है । निष्कर्ष रूप में सोना, चांदी, प्लेटिनम, बहुमूल्य नग आदि चाहे आभूषणों के रूप में हों अथवा ये कपड़े, फर्नीचर, बर्तन आदि में जड़े हों, पूंजी संपत्ति माने जाते हैं । 

3. निम्न को व्यक्तिगत संपत्ति नहीं माना जाता :- 
• पुरातन महत्व के संग्रह (Archeological Collection)
• छायाचित्र एवं रंगचित्र (Photographas and Painting)
• कलात्मक वस्तुओं का संग्रह (Art Collection)
• मूर्तियां (Statues)
• कलाकृतियां (Art Gallary)
• आभूषण (Jewellery)

4. भारत में स्थित कृषि भूमि (Agricultural Land Situated in India) :- भारत में ऐसी कृषि भूमि को पूंजी संपत्ति नहीं माना जाता है जो 10,000 से कम जनसंख्या वाले क्षेत्र में या शहरी क्षेत्र, सूचीगत स्थान अथवा कंटोनमेंट बोर्ड की स्थानीय सीमाओं से निर्दिष्ट अधिक की दूरी पर स्थित होते हैं । कृषि भूमि को आकाशीय मार्ग से मापने पर निम्न क्षेत्र में स्थित नहीं होना चाहिए :- 

शहरी सीमा से दूरी उस क्षेत्र की जनसंख्या 
i) 2 किमी. के अंदर 10,001 से 1,00,000
ii) 6 किमी. के अंदर 1,00,001 से 10,00,000
iii) 8 किमी. के अंदर 10,00,000 से अधिक

5. स्वर्ण जमा बॉन्ड (Gold Deposit Bonds) :- केन्द्रीय सरकार के द्वारा अधिसूचित स्वर्ण जमा बॉन्ड योजना, 1999 के अंतर्गत निर्गमित किए गए स्वर्ण जमा बॉन्ड या केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetisation Scheme), 2015 के अंतर्गत जमा प्रमाण - पत्र (Deposite Certificate) पूंजी संपत्ति के अंर्तगत नहीं आते हैं । इनके विक्रय पर पूंजी लाभ कर योग्य नहीं होते । 


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