सम विच्छेद - बिंदु किसे कहते हैं ?
(Break Even Point in Hindi)
सम विच्छेद - बिंदु का अर्थ (Meaning of Break Even Point)
किसी भी संस्था या व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है । इसके लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन तथा उनका विक्रय किया जाता है । जिससे संस्था के लाभ का पता चलता है । कि कितना लाभ हुआ ? जब संस्था के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है तो उत्पादन प्रक्रिया में लागत भी लगता है । जो अति आवश्यक होता है । बिना लागत के कोई भी व्यापार उत्पादन नहीं कर सकता । जब संस्था या व्यवसाय को विक्रय से प्राप्त धन लागत एवं अन्य खर्चों से अधिक होता है उसे लाभ कहा जाता है , इसके विपरित यदि लागत विक्रय से प्राप्त धन से अधिक होता है तो उसे हानि कहा जाता है । तो सम विच्छेद बिंदु को भी संस्था के लाभ और हानि से जोड़कर देखा जाता है । इसके विषय में कहा जाता है कि सम विच्छेद - बिंदु एक ऐसी स्थिति हैं जब संस्था या व्यवसाय का लाभ और हानि दोनों बराबर होते हैं। यानी व्यवसाय के दौरान एक ऐसी स्थिति जब संस्था को न तो हानि हुई है और न लाभ ही ।
व्यवसाय में लाभ अर्जित करने की क्षमता का मूल्यांकन करने एवं नियोजन करने के लिए वित्तीय प्रबंध द्वारा सम विच्छेद - बिंदु विश्लेषण किया जाता है । इसके अंतर्गत किसी भी संस्था की विक्रय मात्रा के संबंध में उसके आगमों (Revenues) एवं लागतों (Costs) का अध्ययन किया जाता है । इस अध्ययन से संस्था को इस बात की जानकारी हो जाती है कि हानि से बचने के लिए न्यूनतम विक्रय की मात्रा क्या होनी चाहिए तथा अधिकतम लाभार्जन के उद्देश्य के लिए विक्रय की मात्रा क्या होनी चाहिए । इस बात की जानकारी प्राप्त करने में सम विच्छेद - बिंदु (Break Even Point) से काफी सहायता मिलती है ।
सम विच्छेद - बिंदु की परिभाषा (Definition of Break Even Point in Hindi) :-
1. जी. आर. क्राउनिंगशील्ड के अनुसार :- सम विच्छेद - बिंदु वह बिंदु होता है जिस पर विक्रय आगम वस्तु को उत्पादित करने तथा लागत के बराबर हो और न तो कोई लाभ हो न हानि हो ।
2. केलर तथा फरेरा के अनुसार :- किसी फर्म अथवा किसी इकाई का खंड सम बिंदु विक्रय आय का वह स्तर है जो कि इसकी स्थिर तथा परिवर्तनशील लागतों के योग के बराबर हो ।
3. चार्ल्स टी. हॉर्नग्रेन के अनुसार :- खंड सम बिंदु विक्रय मात्रा का वह बिंदु है जिस पर कुल आगम और कुल व्यय बराबर हों, इसे शून्य लाभ एवं शून्य हानि का बिंदु भी कहते हैं ।
सम विच्छेद - बिंदु समीकरण (Break Even Point Equation)
सम विच्छेद - बिंदु वह बिंदु है जिस पर कुल बिक्री लागत के बराबर होती है जिसके फलस्वरूप न लाभ होता है और न हानि होती है । अतः इस स्थिति को समीकरण के रूप में कुछ इस प्रकार से समझा जा सकता है :-
Sales = Variable Costs + Fixed Costs
या
S = VC + FC
सम विच्छेद - बिंदु या खंड सम बिंदु की मान्यताएं (Assumptions of B.E.P.)
सम विच्छेद - बिंदु की कुछ मान्यताएं हैं जो कुछ इस प्रकार से हैं :-
1. लागत दो प्रकार की होती हैं - परिवर्तनशील लागत एवं स्थायी लागत । परिवर्तनशील लागतें उत्पादन स्तर के साथ बदलती रहती हैं, जबकि स्थिर लागतों पर एक निश्चित उत्पादन स्तर तक परिवर्तन से कोई असर नहीं पड़ता ।
2. लागतों का व्यवहार रेखीय होता है अर्थात् लागत के आंकड़ों को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाए तो इससे एक सीधी सरल रेखा बनेगी ।
3. प्रत्येक स्तर पर विक्रय मूल्य एकसमान रहता है अर्थात् वस्तु की पूर्ति घटने बढ़ने का प्रभाव विक्रय मूल्य पर नहीं पड़ता ।
4. सामग्री, श्रम तथा विभिन्न व्यय आदि इनपुट कारकों में कोई परिवर्तन नहीं होता ।
5. मशीन एवं मनुष्यों की कुशलता में कोई परिवर्तन नहीं होता तथा अन्य यांत्रिक विधियां भी अपरिवर्तित रहती है ।
6. उत्पादन एवं विक्रय सम सामयिक होते हैं, उत्पादन साथ साथ बिकता जाता है एवं अंतिम स्कंध (Closing Stock) सामान्यतया नहीं होता ।
7. संस्था में केवल एक ही प्रकार की वस्तु का उत्पादन एवं विक्रय होता है । यदि एक से अधिक वस्तुओं का उत्पादन व विक्रय होता है तो विक्रय मिश्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।
8. आगम (Revenues) एवं लागतों (Costs) की तुलना किसी समान क्रियाशीलता (Equal Activity) के आधार पर की जाती है ।
9. उत्पादन एवं विक्रय मात्रा को ही लागत को प्रभावित करने वाला संबद्ध कारक (Factor) माना जाता है ।
10. संस्था में उत्पादन नियंत्रण न तो अधिक किया जाता है और न उसमें अधिक शिथिलता आने दी जाती है ।
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