माँग पर बकाया एवं अग्रिम याचना के भुगतान में अंतर
(Difference Calls in Arrears and Calls Paid in Advance)
1. प्रकृति (Nature) :- मांग पर बकाया वह राशि है जिसे कंपनी ने अपने अंशधारियों से माँगा है पर अंशधारियों ने भुगतान नहीं किया है। जबकि अग्रिम याचना पर भुगतान वह राशि है जिसे कंपनी अपने अंशधारियों से नहीं माँगा है, फिर भी अंशधारियों नें अपनी इच्छा के अनुसार भुगतान कर दिया है।
2. राशि का स्वरूप :- मांग पर बकाया राशि अंशधारियों के द्वारा कंपनी को देना होता है। जबकि अग्रिम याचना पर भुगतान की गई राशि कंपनी के द्वारा अंशधारियों को देनी होती है।
3. ब्याज का दायित्व :- मांग पर बकाया राशि पर ब्याज का दायित्व अंशधारियों पर होता है अर्थात ब्याज अंशधारियों को देना होता है। जबकि याचना पर भुगतान की गई राशि पर ब्याज का दायित्व कंपनी पर होता है।
4. ब्याज का स्वरूप :- मांग पर बकाया राशि पर ब्याज कंपनी के लिए आय होता है, जबकि अग्रिम याचना पर भुगतान की गई राशि पर ब्याज कंपनी के लिए व्यय यानी खर्चा होता है।
5. ब्याज की दर :- तालिका F के अनुसार मांग पर बकाया के ब्याज की अधिकतम दर 10% वार्षिक होती है। जबकि अग्रिम याचना पर तालिका F के अनुसार ब्याज की अधिकतम 12% वार्षिक होती है।
© ASHISH COMMERCE CLASSES
THANK YOU.
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Thank you !