अति - अभिदान एवं अल्प - अभिदान में अंतर ((Difference Between Over Subscription and Under Subscription)

अति - अभिदान एवं अल्प - अभिदान में अंतर
 (Difference Between Over Subscription and Under Subscription) 

ati abhidaan evam alp abhidaan me antar, अति - अभिदान एवं अल्प - अभिदान में अंतर  (Difference Between Over Subscription and Under Subscription)
 Over Subscription and Under Subscription

1. अर्थ (Meaning) :- जब कंपनी पूँजी जुटाने के उद्देश्य से अंशों का निर्गमन करती है और कंपनी जनता से निर्गमित अंशों से अधिक आवेदन - पत्र प्राप्त करती है तो इसे ही अति - अभिदान कहते हैं। जबकि निर्गमित अंशों से कम आवेदन - पत्र प्राप्त होने को अल्प - अभिदान कहते हैं। 
2. आवेदन पत्रों की स्वीकृति :- आति - अभिदान की स्थिति में कंपनी अपने द्वारा प्राप्त सभी आवेदनों को स्वीकार नहीं कर सकती। आवश्यकता से अधिक प्राप्त आवेदनों की राशि को कंपनी वापस कर देती है या अनुपातिक रूप से उन अंशों को बाँट देती है। जबकि अल्प - अभिदान की स्थिति में कंपनी के द्वारा प्राप्त सभी आवेदनों को स्वीकार करके अंशों का आबंटन कर दिया जाता है। 
3. न्यूनतम अभिदान :- अति - अभिदान की स्थिति में अंशों के अल्प - अभिदान की समस्या नहीं पैदा होती, जबकि अल्प - अभिदान की स्थिति में न्यूनतम अभिदान नहीं होने पर भी सभी आवेदन पत्रों की राशि निश्चित समय में वापस कर दी जाती है। 
4. अति - अभिदान की स्थिति में अस्वीकृत आवेदनों पर प्राप्त आवेदन की राशि को वापस कर दिया जाता है। जबकि अल्प - अभिदान की स्थिति में आवेदकों को राशि वापस करने की समस्या नहीं पैदा होती है। 
5. निर्गमित पूँजी :- अति - अभिदान की स्थिति में आर्थिक चिट्ठे में निर्गमित पूँजी के बराबर अंश अंश पूँजी होती है। जबकि अल्प - अभिदान की स्थिति में निर्गमित पूँजी से कम अंश पूँजी होती है। 

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