सहकारी समिति का अंकेक्षण
(Audit of Co-operative Society)
सहकारी समितियों से आशय ऐसी संस्थाओं से है जो समाज कल्याण के उद्देश्य से बनाई जाती हैं तथा कार्य करती हैं । भारत में सहकारी समितियां सहकारी समिति अधिनियम 1912 के प्रावधानों के द्वारा संचालित होती हैं । जब किसी सहकारी समिति का अंकेक्षण होता है तो अंकेक्षक को कुछ निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
सामान्य (General)
1. समिति के नियमों का अध्ययन (Study of the Rules of the Society) :- अंकेक्षक को सहकारी समिति अधिनियम 1912 का अध्ययन करते हुए संचालित समिति का भी अध्ययन करना चाहिए कि वे सभी समितियां सहकारी समिति अधिनियम के नियमों एवं प्रावधानों का पालन कर रही हैं या नहीं ।
2. समिति के सदस्य एवं सभाओं के कार्य - विवरण (Member of Society and Work Statement of the Meeting) :- सदस्यों की संख्या एवं उनका कार्य विवरण देखना चाहिए ।
3. प्रवेश शुल्क (Admission Fees) :- किसी भी समिति के आय का एक प्रमुख स्रोत उसका प्रवेश शुल्क है । अंकेक्षक को इससे प्राप्त रकमों का प्रमाणन रसीदों की प्रतिलिपियों एवं सदस्य रजिस्टर से करना चाहिए ।
4. सदस्य की पूंजी (Capital of Members) :- अंकेक्षक को इस बात पर ध्यान देना चाहिए और निरीक्षण करना चाहिए कि समिति के किसी भी सदस्य के पास समिति के कुल पूंजी का 10% से अधिक न हो ।
5. आर्थिक लाभ की जानकारी (Knowledge of Economic Profit) :- सदस्यों को प्राप्त आर्थिक लाभ का निरीक्षण
6. सदस्यों का अधिकार एवं कर्तव्य (Duties and Rights of the Customer) अंकेक्षक को समिति के सदस्यों के अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी होनी चाहिए ।
7. ऋण एवं ब्याज का भुगतान (Payment of Loan & Interests) समिति के सदस्यों के द्वारा समिति को जो ऋण एवं ब्याज का भुगतान किया जाता है, उसकी जांच रसीदों एवं सदस्य रजिस्टरों द्वारा की जानी चाहिए ।
8. विनियोगो पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश का प्रमाणन (Vouching of Interest and Dividend Received on Investment) :- अंकेक्षक के द्वारा विनियोगों पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश का प्रमाणन विनियोगों, लाभांश नियमों तथा पास बुक के आधार पर किया जाता है ।
व्यय (Expenditure)
1. व्यय का प्रमाणन (Vouching of Expenses) :- अंकेक्षक को यह देखना चाहिए कि समिति के द्वारा किया गया व्यय उचित है या नहीं ।
2. वेतन, भत्ते आदि का प्रमाणन (Vouching of Salary Allowances etc.) समिति के द्वारा कर्मचारियों को दिए गए वेतन की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए उनका प्रमाणन किया जाता है ।
3. चुकाए गए लाभांश की जांच (Examination of Dividend Paid) :- लाभांश के भुगतान के संबंध में अंकेक्षक को यह देखना चाहिए कि इससे संबंधित नियमों व उपनियमों का सही सही पालन किया गया है या नहीं ।
4. ऋण एवं ब्याज (Loans and Interest) बैंकों से लिए गए ऋण तथा उसके ब्याज के भुगतान की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए बैंक द्वारा जारी की गई रसीदों तथा पासबुक की जांच की जानी चाहिए ।
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