बीमा कंपनी के खातों का अंकेक्षण (Audit of the Accounts of Insurance Company)

बीमा कंपनी के खातों का अंकेक्षण
 (Audit of the Accounts of Insurance Company) 

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Audit of the Accounts of Insurance Company 


भारत में दो प्रकार की बीमा कंपनियां संचालित होती हैं । 
1. जीवन बीमा कंपनियां :- भारतीय जीवन बीमा
2. सामान्य बीमा कंपनियां :- अग्नि बीमा, वाहन बीमा, स्टॉक बीमा आदि ।
जीवन बीमा कंपनियां भारत जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 के अधीन संचालित होती हैं तथा सामान्य बीमा कंपनियां बीमा कंपनी अधिनियम 1938 के अंतर्गत संचालित की जाती हैं । इन दोनों प्रकार की कंपनियों का अंकेक्षण केवल चार्टर्ड एकाउंटेंट के द्वारा ही किया जाता है । 

बीमा कंपनियों के अंकेक्षण के समय ध्यान देने योग्य बातें :- 

1. सामान्य बातें (General Matters)
2. आय की जांच करना (To Chek Income)
3. व्ययों की जांच करना (To Chek the Expenditure)
4. अन्य तत्वों की जांच (To Chek Other Items)

1. सामान्य बातें (General Matters)
• अंकेक्षक को अपनी नियुक्ति की वैधता की जांच कर लेनी चाहिए ।
• अंकेक्षक को देखना चाहिए कि कंपनी के खाते बीमा कंपनी अधिनियम 1938 तथा 1956 के अनुसार तैयार किए गए हैं या नहीं ।

2. आय की जांच करना (To Check Income)
• एक बीमा कंपनी की आय का प्रमुख स्रोत पॉलिसियों पर प्रीमियम प्राप्त करना होता है । अंकेक्षक को देखना चाहिए कि पॉलिसी की राशि रजिस्टर से मिलती है या नहीं । बीमा कंपनी को अधिकतम आय शाखाओं से प्राप्त होती है , अतः शाखाओं के अंकेक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ।
• कंपनी के द्वारा किया गए विनियोगों से प्राप्त लाभांश व ब्याज का सही - सही लेखा किया गया है या नहीं । इनका अंकेक्षण समुचित प्रमाणकों के आधार पर किया जाना चाहिए ।
• यदि कंपनी के द्वारा कोई पुनर्बीमा किया गया है तो संबंधित ठहराव का अध्ययन कर प्रीमियम की राशि की जांच की जानी चाहिए ।

3. व्ययों की जांच करना (To Check the Expenditure)
• पॉलिसी परिपक्व (Mature) होने पर दावे की राशि का भुगतान करना होता है । अतः इस राशि की जांच सतर्कता से की जानी चाहिए । इसकी जांच हेतु दावा रजिस्टर देखना आवश्यक है ।
• अंकेक्षक को देखना चाहिए कि अदत्त दावों का समायोजन किया गया है या नहीं ।
• एजेंटों को दिए गए पारिश्रमिक (कमीशन) की जांच किए गए अनुबंधों के आधार पर की जानी चाहिए । यह भी देखना चाहिए कि ये राशि अधिनियम के अनुसार है या नहीं । 
• बोनस की जांच बोनस रजिस्टर से की जानी चाहिए ।
• व्ययों का बंटवारा विभिन्न विभागों में किया गया है या नहीं ।

4. अन्य तत्वों की जांच (To Check Other Items)
• चिट्ठे (Balance Sheet) के दिन अंकेक्षक को नकद एवं प्रतिभूतियों का सत्यापन एवं उपस्थित होकर करना चाहिए ।
• अप्राप्य प्रीमियम के लेखे समायोजित का लिए गए हैं या नहीं । इसी प्रकार पूर्वदत्त प्रीमियम की राशि भी समायोजित हुई है या नहीं ।
• विनियोगों पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश का सही लेखा हुआ है या नहीं ।
• हस्तानांतरण फीस की जांच एवं संचय की पर्याप्तता की जांच समुचित ढंग से किया गया है या नहीं ।
• प्राप्त प्रीमियम, पुनर्बीमा से प्राप्त या दी गई प्रीमियम की जांच एवं दावों के भुगतान संबंधी दस्तावेजों की जांच उचित ढंग से की जानी चाहिए ।
• संदिग्ध दायित्वों को उचित शीर्षक के अंतर्गत दिखाया गया है या नहीं ।
• यदि संपत्तियां या प्रतिभूतियां दूसरे के पास हैं तो उनका प्रमाणन उनसे प्राप्त प्रमाण पत्र से करना चाहिए ।
• अंतिम खातों पर सभी के हस्ताक्षर हैं या नहीं ।
• शाखा खातों की जांच की योग्य अंकेक्षक से हुई है या नहीं ।


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