लघु औद्योगिक उपक्रम किसे कहते हैं ? Small Scale Industry in Hindi

लघु औद्योगिक उपक्रम किसे कहते हैं ?
Small Scale Industry in Hindi

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लघु उद्योग का अर्थ (Meaning of Small Scale Industry)


लघु उद्योग से आशय ऐसे न्यूनतम पूंजी वाले उद्योग से है, जो छोटे स्तर पर बहुत ही कम पूंजी के साथ उत्पादन करते हैं एवं वस्तुओं एवं सेवाओं को उपलब्ध कराने का काम करते हैं । इन उद्योगों की खास बात यह है कि ये बहुत ही कम पूंजी और कम श्रम में शुरू किए जा सकते हैं । इसी कारण ही इनको लघु उद्योग की श्रेणी में रखा गया है । कारखाना अधिनियम इस उद्योग की पूंजी तथा कर्मचारियों की जानकारी देता है तथा समय समय पर सरकार के द्वारा व्यवसायिक वातावरण को देखते हुए इसकी परिभाषा को भी बदला जाता है जिससे लघु व्यवसाय करने वाले उद्यमियों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके । 

वे लघु उद्योग जो उन वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं जो अधिनियम के Schedule II (अनुसूची II) में वर्णित हैं तो उनको सरकार के द्वारा व्यवसाय को सही तरीके से चलाने के लिए लाइसेंस (अनुज्ञप्ति) लेना पड़ेगा लेकिन उन लघु उद्योगों को किसी भी तरह से किसी भी लाइसेंस (अनुज्ञप्ति) की आवश्यकता नहीं पड़ती जिन इकाइयों में विद्युत शक्ति के प्रयोग की दशा में 50 श्रमिकों तथा बिना विद्युत शक्ति के प्रयोग की दशा में 100 श्रमिक कार्यरत हैं । भले ही ये इकाईयां Schedule II (अनुसूची II) में वर्णित वस्तुओं का उत्पादन कर रही हों । 

लघु उद्योग की परिभाषा (Definition of Small Scale Industry) :-


देश में बदलते व्यवसायिक परिवेश को देखते हुए लघु उद्योगों की परिभाषाएं भी हमेशा बदलती रहती हैं । भारत सरकार के द्वारा प्रकाशित व्याख्यात्मक स्पष्टीकरण टिप्पणी के अनुसार लघु उद्योगों की परिभाषा इस प्रकार से है ।

कारखाना अधिनियम के अंतर्गत केवल दो तरह के लघु उद्योग क्षेत्र के उद्योगों की बात की गई है :- 

1. लघु औद्योगिक उपक्रम 
2. सहायक औद्योगिक उपक्रम 

व्यवसायिक वातावरण में परिवर्तन के स्वरूप लघु उद्योग उपक्रम को निम्न उप क्षेत्रों में बांटा गया :-

1. अति लघु उद्योग
2. निर्यात आधारित उपक्रम 
3. लघु क्षेत्रीय सेवा एवं व्यवसायिक उद्योग 
4. महिला उद्यमियों के द्वारा संचालित उद्योग

लघु उद्योगों के लक्षण एवं विशेषताएं (Characterstics of Small Scale Industries)


1. स्वामित्व का प्रारूप
2. सुगम स्थापना
3. निर्धारित श्रमिकों की संख्या
4. सीमित क्षेत्र
5. व्यापक विपरण क्षेत्र
6. विनियोजित पूंजी की सीमा का निर्धारण
7. संगठन एवं प्रबंध का ढांचा
8. कुटीर उद्योग से भिन्न होता है ।
9. रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं । 
10. सरकारी सुविधाएं मिलती हैं ।

लघु उद्योगों की समस्याएं (Problem of Small Scale Industries)


1. विकास की धीमी गति 
2. वित्त की समस्या
3. ऊंचा लागत व्यय
4. रुग्ण अथवा बीमार इकाइयों की समस्या 
5. अनुकुलतम आकार की समस्या
6. श्रम समस्या
7. कच्चे माल का अभाव
8. विपणन संबंधी कठिनाइयां
9. बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता
10. प्रबंधकीय योग्यता का अभाव

लघु उद्योगों की समस्याओं का समाधान (Sollution of Problem of Small Scale Industries)


1. कच्चे माल व पूंजी की आपूर्ति 
2. उत्पादन लागत में कमी
3. प्रत्यक्ष संबंध 
4. शिक्षा का प्रसार
5. सरल उपकरण
6. लघु उद्योगों एवं बड़े उद्योगों में समन्वय
7. निर्यात में वृद्धि 
8. उपभोग्य वस्तुओं के उत्पादन पर बल
9. औद्योगिक बस्तियां
10. पूंजी नियोजन में वृद्धि

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