उद्यमी की भूमिका (Role of Entrepreneur)

उद्यमी की भूमिका 
(Role of Entrepreneur)

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Udyami ki Bhumika in Hindi

परिचय (Introduction)


किसी भी देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में उद्यमी का महत्वपूर्ण योगदान होता है । जैसा कि सबको मालूम है कि उद्यमी व्यवसाय की शुरुआत के लिए समस्त संसाधनों को एकत्रित करके सुनियोजित तरीके से बहुत ही तन्मयता के साथ जोखिम वहन करते हुए व्यवसाय को शुरू करता है । जब उद्यमी अपने व्यवसाय किस शुरुआत करता है तो उसे अपने व्यवसाय को चलाने के लिए कर्मचारियों और मजदूरों की आवश्यकता होती है । इस तरह से जब कोई उद्यमी अपने व्यवसाय के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति करता है तो रोजगार का सृजन होता है । देश के पिछड़े इलाकों में व्यवसाय स्थापित करने से उसके द्वारा सामाजिक विकास भी किया जाता है जिससे उन इलाकों के सामाजिक जन जीवन को सुधारा जाता है । विदेशों से निर्यात करके विदेशों मुद्रा को देश में लाया जाता है जिससे देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ होता है । अतः कहा जा सकता है कि राष्ट्र एवं समाज के विकास में उद्यमी की महनीय भूमिका है । 

विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमी की भूमिका (Role of Entrepreneur in Different Sector)


1. आर्थिक विकास में नवाचार के रूप में (In Economic Growth as an Innovator)
2. रोजगार के अवसरों के सृजन में (In Generation of Employment Pportunities)
3. सामाजिक स्थायित्व में योगदान (Role in Social Stablity)
4. निर्यात संवर्धन में योगदान (Role in Export Promotion)
5. आयात प्रतिस्थापन में योगदान (Role in Import Substitution)

1. आर्थिक विकास में नवाचार के रूप में (In Economic Growth as an Innovator) :- किसी भी देश में उद्यमिता एक पैमाना है जिसके आधार पर उस देश के आर्थिक विकास को आंका जा सकता है । आर्थिक विकास में नवाचार की बात की जाय तो कहा जा सकता है कि नवाचार के बिना कोई अर्थव्यवस्था प्राणहीन है क्योंकि जब तक नवाचार नहीं होगा तब तक व्यवसाय के कार्यों और उत्पाद में नवीनता नहीं आएगी और तब तक आर्थिक विकास भी संभव नहीं है । 
कोई भी उद्यमी आर्थिक विकास में नवाचार के रूप में निम्न तरीकों से योगदान दे सकता है । 

1. प्राकृतिक संसाधनों के अनुकुलतम प्रयोग में सहायक
2. पूंजी निर्माण में सहायक
3. देश की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
4. संतुलित क्षेत्रीय विकास
5. रोजगार सृजन 
6. आर्थिक स्वतंत्रता
7. जीवन स्तर में सुधार
8. नवीन व्यावसायिक एवं औद्योगिक इकाइयों की स्थापना 
9. सृजनात्मक शक्ति और नवाचार 
10. आधारभूत संरचना के विकास में सहायक

2. रोजगार के अवसरों के सृजन में (In Generation of Employment Pportunities) :- तेजी से बढ़ती आबादी और बढ़ती आबादी के फलस्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि किसी भी देश के लिए उसकी आर्थिक विकास के लिए बहुत बड़ी चुनौती है । उद्यमी के द्वारा उद्यमिता कार्यों से इस समस्या का समाधान किया जाता है । जिससे देश की बेरोजगारी खतम हो और रोजगार सृजन किया जा सके । 
उद्यमिता नवाचार के द्वारा निम्न प्रकार से बेरोजगारी की समस्या का निवारण किया जा सकता है ......

1. नवीन व्यवसाय एवं उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार
2. राष्ट्रीय आय ने वृद्धि
3. आर्थिक शक्ति का विक्षेपण तथा विखंडन
4. संतुलित क्षेत्रीय विकास 

3. सामाजिक स्थायित्व में योगदान (Role in Social Stablity) :- किसी उद्यमी का सामाजिक स्थायित्व में महत्वपूर्ण योगदान होता है । क्योंकि उद्यमी व्यवसाय की स्थापना के समय जहां एक ओर लाभ को ध्यान में रखता है वहीं यह भी विचार करता है कि सामाजिक हित कैसे हो ? रोजगार कैसे दिया जाय ? जीवन स्तर में सुधार कैसे लाया जाय ? कहने का तात्पर्य है कि उद्यमी जिस समाज में रहता है उस समाज के प्रति अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन भी करता है । जिससे समाज के स्थायित्व बना रहता है । 

4. निर्यात संवर्धन में योगदान (Role in Export Promotion) :- किसी भी उद्यमी का निर्यात संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान होता है । 

निर्यात संवर्धन का अर्थ :- 
विदेशी व्यापार के असंतुलन को दूर करने के लिए देश के निर्यातों में वृद्धि करने तथा आयातों में कमी करने के लिए जो प्रयास किए जाते हैं, उन्हें निर्यात संवर्धन कहते हैं ।

उद्यमी के द्वारा निर्यात में संवर्धन उसके द्वारा उसकी कार्यकुशलता पर पूर्णतः निर्भर करता है । क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में देशी वस्तुओं की मांग ही निर्यात संवर्धन में सहायक है और यदि किसी उद्यमी के द्वारा उत्पादित वस्तुएं उच्च श्रेणी की गुणवत्ता रखती हैं तभी उद्यमी के द्वारा उत्पादित वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और उसके साथ साथ निर्यात संवर्धन भी होगा । क्योंकि उद्यमी का मूल उद्देश्य लाभ कमाना ही होता है । इसलिए वह अपने उत्पाद एवं सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के अनुरूप ही रखता है और निर्यात संवर्धन में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता है । 

5. आयात प्रतिस्थापन में योगदान (Role in Import Substitution) :- आयात प्रतिस्थापन से तात्पर्य विदेश से आयात की जाने वाली वस्तुओं के आयात की अपेक्षा उसके स्थान पर देशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने से है । इससे देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ होता है ।

उद्यमी आयात प्रतिस्थापन में भी निर्यात संवर्धन की तरह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । उद्यमी के द्वारा देश में जो वस्तुएं बाहर से मंगाई जाती हैं उनको देश में ही उत्पादित करना और उन्हीं देशी उत्पादों को प्रोत्साहित करना आयात प्रतिस्थापन ही है । 


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