व्यवसाय व पेशे से आय
[Income From Business & Profession]
Note :- यह लेख पूर्ण रूप से Finance Act 2021 के अनुसार संशोधित है। सभी पाठक एवं विद्यार्थी बेझिझक इस प्रयोग अपने पठन पाठन में कर सकते हैं।
व्यवसाय व पेशे से आय का अर्थ (Meaning of Income from Business & Profession)
व्यवसाय व पेशे से आय का तात्पर्य उस प्रकार के आय से है, जो व्यवसायिक या पेशेगत कार्यों से मिलता है |
भारतीय आयकर अधिनियम के अनुसार व्यवसाय व पेशे से तात्पर्य :- Income from Business & Profession as per Income tax Act
व्यवसाय [Business]
अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार :- व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन या कोई ऐसा कार्य जो व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति का हो |
साधारण शब्दों में :- अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार व्यवसाय के अंतर्गत व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन और इन तीनों व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति के सभी कार्य शामिल हैं |
पेशा [Profession]
अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार :- पेशे से तात्पर्य उद्यम से है |
अर्थात.... पेशे से तात्पर्य उस प्रकार की उपजीविका से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता या ज्ञान से धन या आय अर्जन किया जाता है |
साधारण शब्दों में :- पेशे से तात्पर्य आजीविका के उस साधन या घटक से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता, ज्ञान या तार्किक क्षमता की आवश्यकता धन अर्जन के लिए होती है |
जैसे :- डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, एडवोकेट, लेखक आदि |
अधिनियम की धारा 2(36) में पेशे को उद्यम के रूप में बताया गया है |
लाभ [Profits]
किसी भी व्यवसाय का पेशे का उद्देश्य लाभ कमाना जरूर होता है, उसी दृष्टि से आयकर अधिनियम में लाभ को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है |
1. लाभ नकद या फिर किसी अन्य रूप में भी हो सकता है :- लाभ को नकद (Cash) के रूप में या फिर अन्य रूप में जैसे नकद के मूल्य के बराबर वाली संपत्ति के रूप में किया जा सकता है |
2. पूँजी स्वीकार पत्र या पूँजी रसीद :- पूँजी स्वीकार पत्र को सामान्यतः लाभ का निर्धारण करते समय नही लिया जाता है |
3. स्वैच्छिक प्राप्तियाँ :- यदि किसी व्यक्ति को एक ऐसी धनराशि उसके व्यवसायिक कार्यकाल के दौरान प्राप्त होती है, जिसे प्राप्त करने का अधिकार उसके प्राप्त नहीं है, परन्तु फिर भी वह उस धनराशि को अपनी इच्छानुसार ले लेता है, तो उसे स्वैच्छिक प्राप्तियों की श्रेणी में रखा जाएगा और प्राप्त धनराशि पर कर लगाया जाएगा |
उदाहरण :- यदि किसी व्यवसायी को उसकी दुकान पर किसी अपरिचित व्यक्ति ने ₹ 10,00,000 दिया, परन्तु वह व्यक्ति व्यवसायी का किसी भी तरह से ग्राहक नहीं है | तो फिर भी व्यवसायी को प्राप्त धनराशि पर कर देना पड़ेगा |
4. आय की कानूनी वैधता :- यदि किसी व्यवसाय को किसी अवैधानिक तरीके से कोई लाभ प्राप्त होता है, तब भी प्राप्त आय पर कर लगेगा, क्योंकि कर के निर्धारण में आय की अवैधता शामिल नहीं है |
5. अलग - अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना :- अलग अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना भी अलग अलग ही की जायेगी | लेकिन कर निर्धारण के समय प्राप्त कर योग्य राशि को एकत्रित करके कर का निर्धारण किया जाएगा और उसी के हिसाब से कर का निर्धारण होगा और साथ ही साथ सभी अायों पर एक साथ लगेगा |
6. लाभ की गणना :- अधिनियम के अनुसार लाभ का निर्धारण सभी प्रकार की हानियों और खर्चों को आय से घटाकर किया जाएगा |
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