G.S.T. क्या है ? परिचय, लाभ, मूलसिद्धांत
(G.S.T. in Hindi)
वस्तु एवं सेवाकर का परिचय (Introduction of Goods and Services Tax)
G.S.T. का पूरा नाम वस्तु एवं सेवाकर (Goods and Services tax) है। G.S.T कर की दृष्टि से अप्रत्यक्ष कर है, जो वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति (Supply) पर लगता है।
विश्वपटल पर फ्रांस ने सर्वप्रथम G.S.T. लागू किया उसके बाद अबतक लगभग 160 देशों के द्वारा G.S.T. को अपनाया गया है।
भारत में वस्तु एवं सेवाकर (Goods and Services Tax in India)
वस्तु एवं सेवाकर अधिनियम की बात 2004 में केलकर समिति के द्वारा दिए सुझावों तथा 2007-08 के केंद्रीय बजट से शुरू होती है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 से इसे लागू करने की बात रखी, परन्तु किन्ही कारणों से U.P.A सरकार इस अधिनियम को संसद में पारित नहीं कर पाई,और G.S.T. एक्ट लागू नहीं हो पाया। लेकिन ....
1. N.D.A. सरकार के नेतृत्व में 2014 में 122वें संविंधान संशोधन बिल के द्वारा संसोधित किया गया।
2. 19 दिसंबर 2014 को पार्लियामेंट में यह बिल भेजा गया |
3. जहाँ लोकसभा में 6 मई 2015 को तथा राज्यसभा में 3 अगस्त 2016 को पास हुआ ।
4. 8 सितम्बर 2016 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की स्वीकृति के बाद 101वा संशोधन अधिनियम बना ।
8 नवंबर 2016 की नोटीबंदी के बाद भारत सरकार के द्वारा लिया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा। जिसमे लगभग 17 प्रकार के करों को हटाकर अप्रत्यक्ष कर के इतिहास में एकल कर व्यवस्था G.S.T के रूप में सभी राज्यों तथा केंद्रशासित की सहमति पर 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया ।
G.S.T ARTICLE 246 को संसोधित करके ARTICLE 246(A)के रूप में लाया गया, जो G.S.T लगाने की अनुमति देता है । भारत में दोहरा G.S.T मॉडल CANADIAN MODEL फॉलो किया जाता है ।
पुराने कर प्रणाली की कमियाँ - (Limitations of Old Tax System)
1. करचोरी
2. करदाता तथा अप्रत्यक्ष कर डिपार्टमेंट में आपसी असहमति,
3. कर के ऊपर कर,
4. एक ही वस्तु तथा पर दो बार टैक्स लगना,
5. करों का जाल आदि।
वस्तु एवं सेवाकर के लाभ (Benefits of G.S.T.)
1. एकल कर व्यवस्था,
2. मेक इन इंडिया पहल,
3. एकल राष्ट्रीय बाजार का गठन,
4. सरकार के कर संग्रह में वृद्धि आदि।
वस्तु एवं सेवाकर के मूलसिद्धांत (Core Principles of G.S.T.)
1. गणतव्य( DESTINATION ) आधारित प्रणाली ।
2. तकनिकी रूप से प्रदायक (SUPPLIER) के द्वारा भरा जाता है ।
3. परन्तु, असल में इसकी वसूली अंतिम उपभोक्ता के द्वारा की जाती है ।
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