रेरा क्या है ? रेरा की स्थापना, उद्देश्य एवं विशेषताएं

रेरा क्या है ? रेरा की स्थापना, उद्देश्य एवं विशेषताएं 
What is RERA ? Commencement, Objectives & Features of RERA

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रेरा अधिनियम 2016  का परिचय :- Introduction of RERA Act. 2016


रेरा एक्ट / रियल एस्टेट (विनिमय एवं विकास) अधिनियम  जिसे हम अंग्रेजी में Real Estate (Regulation and Development )Act के नाम से जानते है। यह भारतीय संसद का एक कानून है, जिसकी स्थापना घर-खरीददारों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट उद्योग में निवेश (Investment) को बढ़ावा देने के लिए किया गया। यह अधिनियम रियल एस्टेट सेक्टर के समुचित नियमन के लिए प्रत्येक राज्यों में रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा ) की स्थापना करता है और शीघ्र विवादों के समाधान के लिए एक सहायक निकाय  काम करता करता है।

रेरा एक्ट की स्थापना कैसे हुई ? Commencement of RERA Act. 2016


1. दूसरी बार बनी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की (U.P.A.) सरकार में 2013 में रेरा बिल संसद में पेश किया गया। परन्तु किन्हीं कारणों से बिल संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हो पाया।
 2. रेरा बिल N.D.A सरकार में क्रमशः 10 मार्च 2016 को राज्यसभा तथा 15 मार्च 2016 को लोकसभा में पारित हुआ।

3. यह अधिनियम 1 मई 2016 को 92 में से 59 धाराओं के साथ जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में समान रूप से लागू  किया गया।

  नोट :- रेरा एक्ट अब जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू है।

 रेरा एक्ट के उद्द्देश्य :- Objectives of RERA Act. 2016

 इस अधिनियम से पहले देश में किसी रियल एस्टेट सेक्टर में किसी विशेष कानून के न होनें  से घर तथा फ्लैट खरीददारों को दलालों तथा बिल्डरों के द्वारा की जा रही धांधली का सामना करना पड़ता था। अतः इन्ही सभी समस्याओं के निवारण हेतु निम्न उद्द्येश्यों के साथ रेरा एक्ट की स्थापना की गयी।

1. रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन और संवर्धन के लिए रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना करना।
2. परियोजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
3. रियल एस्टेट सेक्टर में उपभोक्ताओं के हितो की रक्षा तथा शीघ्र विवाद निवारण हेतु एक सहायक तंत्र स्थापित करना।
4. बिल्डर के बारे में उचित जानकारी प्रदान करना।
5. उपभोक्ता तथा बिल्डर के मध्य स्वस्थ सम्बन्ध स्थापित करना।

रेरा एक्ट की विशेषताएँ :- Features of RERA Act. 2016

 इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत हैं -

1. रेरा एक्ट किसी भी बिल्डर के ख़िलाफ़ शिकायतों के निवारण हेतु सरकारी निकाय के रूप में राज्य रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना करता है।

2. रेरा एक्ट आवासीय एवं वाणिज्यिक दोनों प्रकार की अचल सम्पत्तियों के लेन-देन को संचालित करने के लिए अचल संपत्ति नियामक पर अधिकार निहित करता है।

3. रेरा एक्ट सभी डेवेलपर्स को यह अनिवार्य रूप से निर्देश देता है कि सभी बिल्डर्स प्रोजेक्ट की योजना , प्रोजेक्ट से सम्बंधित सभी ठेकेदारों का व्योरा, भूमि की स्थिति , परियोजना के सम्बन्ध में सरकार की मंजूरी तथा परियोजना पूरी होने तक की तिथि आदि सूचनाओं को सरकारी वेब-पोर्टल पर अपने-अपने राज्यों में सबमिट करना है।

4. रेरा एक्ट के अनुसार यदि कोई डेवेलपर अपीलीय ट्रिब्यूनल के आदेशों का उल्लंघन करता है तो उसे तीन साल तक की कैद जुर्मानें के साथ या फिर बिना जुर्मानें का हो सकती है। 

 5. इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई डेवेलपर परियोजना (प्रोजेक्ट) को पूरा करने में देरी करता है तो उसकी देरी की वजह से जो व्याज उपभोक्ता के द्वारा बैंक को E.M.I. के रूप में दिया जाता है, उसका भुगतान डेवेलपर को उपभोक्ता के निहित करना होगा।

6. रेरा एक्ट बताता है कि वह प्रत्येक परियोजना जो 500  स्क्वायर मीटर से ज्यादा हो या फिर आठ अपार्टमेंट से ज्यादा हो उसे रेरा के अंतर्गत पंजीकृत होना पड़ेगा।

अतः रेरा एक्ट रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने में अपनी अहम् भूमिका निभा रहा है।

℗© ASHISH COMMERCE CLASSES
 

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