मुद्रा की पूर्ति क्या है ? अर्थ, परिभाषा, (Supply of Money - Meaning & Definition)

मुद्रा की पूर्ति क्या है ? अर्थ, परिभाषा
 (Supply of Money - Meaning & Definition)

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Supply of Money - Meaning & Definition

मुद्रा पूर्ति का अर्थ (Meaning of Supply of Money) 


मुद्रा पूर्ति से आशय किसी समय विशेष पर एक देश में प्रचलित वैधानिक मुद्रा की कुल मात्रा से है । वैधानिक मुद्रा में देश में चलन में आए नोट व सिक्के शामिल हैं जो विनिमय के माध्यम के रूप में काम में लाए जाते हैं । वर्तमान समय में बैंक मुद्रा (साख मुद्रा) भी विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार्य है ।

मुद्रा पूर्ति की परिभाषा (Definition of Supply of Money) 


अर्थशास्त्रियों तथा लेखकों की परिभाषा :- 

1. मिल्टन फ्रीडमैन:
फ्राइडमैन के अनुसार, मुद्रा आपूर्ति "उन परिसंपत्तियों का भंडार है जो विनिमय के माध्यम, खाते की इकाई और मूल्य के भंडार के रूप में कार्य करती हैं।" उन्होंने आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने के महत्व पर जोर दिया।

2. कीन्स (जॉन मेनार्ड कीन्स):
कीन्स ने मुद्रा आपूर्ति को प्रचलन में मुद्रा और बैंकों में जमा के रूप में देखा, जिसका लेन-देन में सक्रिय रूप से उपयोग किया जाता है। उन्होंने लेन-देन के लिए उपयोग किए जाने वाले "सक्रिय धन" और सट्टा या एहतियाती उद्देश्यों के लिए रखे गए "निष्क्रिय धन" के बीच अंतर किया।

3. इरविंग फिशर:
फिशर ने मुद्रा आपूर्ति को मुद्रा के मात्रा सिद्धांत के संदर्भ में परिभाषित किया, मूल्य स्तरों को निर्धारित करने में इसकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने धन की मात्रा, प्रचलन की गति, मूल्य स्तरों और उत्पादन के बीच संबंधों पर जोर दिया।

अन्य परिभाषा:- मुद्रा मुख्य रूप से दो कार्य करती है :- 1. विनिमय का माध्यम तथा 2. मूल्य संचय 

मुद्रा के इन्हीं दोनों कार्यों के आधार पर मुद्रा पूर्ति को भी दो भागों में परिभाषित किया जा सकता है :- 
1. संकीर्ण अर्थ में (Narrow Approach of Supply of Money)
2. व्यापक अर्थ में (Broad Approach of Supply of Money)

1. संकीर्ण अर्थ में (Narrow Approach of Supply of Money) :- संकीर्ण अर्थ में मुद्रा की पूर्ति से आशय विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग की जाने वाली चलन में समस्त मुद्रा की मात्रा से है तथा जो वस्तुओं और सेवाओं के क्रय - विक्रय संबंधी भुगतान व ऋणों की अदायगी के लिए सर्वसम्मति से स्वीकार की जाती है । संकीर्ण अर्थ में , मुद्रा की पूर्ति को M1 से प्रकट करते हैं । 

मुद्रा की पूर्ति (M1) = जनता के पास करेंसी (नोट + सिक्के) + बैंकों की मांग जमा 
[ Supply of Money = Currency (Notes+Coins) + Demand Deposits]

2. व्यापक अर्थ में (Broad Approach of Supply of Money) :- मुद्रा की पूर्ति के व्यापक अर्थ में विनिमय के माध्यम के साथ मूल्य संचय को भी शामिल किया जाता है। मिल्टन फ्रीडमैन के अनुसार , मुद्रा का संचय कार्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि विनिमय कार्य । इन्होंने मुद्रा की पूर्ति में समय जमाओं को भी शामिल किया है । उनके अनुसार समय जमाओं को किसी भी समय मांग जमाओं अथवा नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण को भारत में M3 कहा जाता है ।

मुद्रा की पूर्ति (M3) = करेंसी + मांग जमाएँ + समय या मियादी जमाएं 
[Supply of Money = Currency (Notes+Coins) + Demand Deposits + Time Deposits]



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