अन्य साधनों से आय किसे कहते हैं ? (Income from Other Sources in Hindi)

अन्य साधनों से आय किसे कहते हैं ?
 (Income from Other Sources in Hindi)

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(Income from Other Sources in Hindi)

परिचय (Introduction) 


अन्य साधनों से आय से तात्पर्य आय के निम्न चार स्रोतों के अलावा अन्य स्रोत से है :-

1. वेतन से आय (Income from Salary)
2. मकान संपत्ति से आय (Income from House Property)
3. व्यवसाय अथवा पेशे से आय (Income from Business and Profession)
4. पूंजी लाभ (Capital Gains)

भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार आय के उपरोक्त चार स्रोतों में से जिन - जिन आयों को शामिल नहीं किया जाता अर्थात उपरोक्त चार स्रोतों के क्षेत्र यानी दायरे में जो - जो आय नहीं आते उनको एक अलग शीर्षक के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है । उस शीर्षक अर्थात स्रोत को " अन्य साधनों या अन्य स्रोतों से आय " शीर्षक में शामिल किया जाता है । इसलिए इसे अन्य साधनों से आय कहा जाता है ।

अन्य शब्दों में :- अन्य साधनों से आय शीर्षक अंतिम एवं अवशिष्ट (Residuary) शीर्षक है । जिनमें वे सभी प्रकार की आय सम्मिलित होती हैं जो किसी अन्य विशेष शीर्षक में कर - योग्य नहीं होती है । भारतीय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 से 59 ' अन्य स्रोतों से आय ' शीर्षक से संबंधित है । 

अन्य साधनों से आय का आशय (Meaning of Income from Other Sources)


' अन्य साधनों से आय ' वाक्यांश का आशय ऐसी आयों से है जोकि पूर्व में वर्णित आय के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है , जैसे, वेतन से आय प्राप्त करने वालों के लिए विशिष्ट शीर्षक ' वेतन से आय ' मकान किराये से प्राप्त आय के लिए विशिष्ट शीर्षक ' मकान संपत्ति से आय ' , व्यवसाय या पेशे से आय प्राप्त करने के संबंध में विशिष्ट शीर्षक ' व्यवसाय या पेशे से के लाभ ' , पूंजी संपत्ति को बेचने से होने वाले लाभ के लिए विशिष्ट शीर्षक ' पूंजी लाभ ' जो आयें इस शीर्षक के अंतर्गत कर योग्य हैं, वे आयकर अधिनियम के अन्य प्रावधानों के अनुसार कर - मुक्त नहीं होनी चाहिए ।


' अन्य साधनों से आय ' के संबंध में महत्वपूर्ण बातें (Some Important Points Regarding ' Income from Other Sources)


1. अन्य स्रोतों से आय शीर्षक में सम्मिलित होने वाली आयाें के एक से अधिक स्रोत हो सकते हैं, जैसे - प्रतिभूतियों से प्राप्त ब्याज की आय, लॉटरी से आय, किरायेदार द्वारा मकान को पुनः उप - किरायेदार को किराये पर देने से प्राप्त किराया, आदि ।
2. करदाता की किसी भी आय को इस शीर्षक के अंतर्गत कर योग्य करने के लिए यह आवश्यक है कि वह आय के किसी अन्य विशेष शीर्षक के अंतर्गत कर - योग्य न हो तथा वह आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत कर मुक्त भी न हो ।
3. कुछ आयें ऐसी होती हैं जो करदाता को उसमें से कर काटने के बाद शुद्ध राशि के रूप में प्राप्त होती है । जैसे , प्रतिभूतियों पर ब्याज की राशि करदाता को कर काटकर शुद्ध प्राप्त होती है, किंतु आय के इस शीर्षक में आय की सकल राशि (शुद्ध राशि + काटा हुआ कर) को ही शामिल किया जाएगा ।


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