शुद्ध वार्षिक मूल्य में से कटौतियां घटाना (Deductions Out of Net Annual Value)

शुद्ध वार्षिक मूल्य में से कटौतियां घटाना
 (Deductions Out of Net Annual Value)

शुद्ध वार्षिक मूल्य में से कटौतियां घटाना (Deductions Out of Net Annual Value) shuddh varshik mulya me se katautiyan ghatana, income from housepropery
Income from House Property in Hindi


भारतीय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 24(1) के अनुसार, जब कभी भी मकान संपत्ति से आय की गणना की जाती है तो इसके अंतर्गत आय की गणना के लिए मकान के शुद्ध वार्षिक आय (Net Annual Value) में से दो प्रकार की कटौतियों को घटाया जाता है । इन दोनों कटौतियों के अलावा अन्य किसी भी कटौती को घटाया नहीं जाता । ये दोनों कटौतियाँ क्रमशः इस प्रकार से हैं :- 

1. वैधानिक कटौती (Statutory Deduction)
2. ऋण पर ब्याज (Interest on Loan) 

विस्तार से .........

1. वैधानिक कटौती (Statutory Deduction) :- किराये पर उठे हुए मकान या उसके किसी भाग की मरम्मत के व्ययों के लिए मकान के शुद्ध वार्षिक मूल्य का 30% वैधानिक कटौती के रूप में घटाया जाता है । यह वैधानिक कटौती प्रत्येक किराये पर उठे मकान (चाहे रहने के लिए या व्यापार, स्कूल, गोदाम या कार्यालय आदि के लिए) के संबंध में दी जाती है । मकान की मरम्मत के रूप में सामान्य रूप से ऐसे व्यय किए जाते हैं जिन्हे समय समय पर करना आवश्यक है; जैसे मकान में रंगाई पुताई, मकान की अतिरिक्त साज सज्जा आदि । करदाता मकान की मरम्मत पर चाहे जितना व्यय करे अथवा मकान की बिलकुल भी मरम्मत न कराये, मकान की मरम्मत मकान के स्वामी द्वारा कराई जाये या किरायेदार द्वारा, मकान पूरे वर्ष किराये पर उठा रहे अथवा कुछ माह खाली रहे, इन सभी दशाओं में यह कटौती शुद्ध वार्षिक मूल्य के 30% के बराबर दी जाती है । 

2. ऋण पर ब्याज (Interest on Loan) :- एक करदाता को यह कटौती उन मकानों के लिए दी जाती है जो करदाता द्वारा स्वयं अपने रहने के लिए प्रयोग किए जाते हैं अथवा किराये पर रहने अथवा व्यवसाय के लिए अथवा दोनों के लिए किराये पर उठाए जाते हैं । 

A. करदाता द्वारा स्वयं रहने में प्रयुक्त मकान के संबंध में ब्याज की कटौती :- इस प्रकार की कटौती मकान मालिक के द्वारा स्वयं रहने में प्रयुक्त मकान के संबंध में लिए हुए ऋण पर दी जाती है । करदाता मकान संपत्ति को खरीदने, निर्माण कराने, पुनर्निर्माण कराने अथवा मरम्मत कराने के लिए ऋण लेता है जिस पर उसे ब्याज चुकाना होता है । इस ब्याज को वार्षिक मूल्य में से घटाया जाता है । स्वयं के रहने में प्रयोग होने वाले मकान अथवा उसके किसी भाग का वार्षिक मूल्य तो शून्य होता है। इस कटौती की वजह से मकान संपत्ति की आय ऋणात्मक होती है । जिसे मकान संपत्ति से हानि कहते हैं । 

B. किराये पर उठाये गए मकानों के संबंध में ब्याज की कटौती :- किराये पर उठाये गए मकानों के लिए ब्याज की कटौती की कोई अधिकतम सीमा नहीं है । जितनी ब्याज की राशि वास्तविक रूप में गणना करके होती है उसी राशि को शुद्ध वार्षिक मूल्य से घटाया जाता है । यदि पुराने ऋण को चुकाने के लिए कोई नया ऋण प्राप्त किया जाता है तो भी इस नए ऋण पर ब्याज की राशि की कटौती मिलेगी , बशर्ते की दूसरा ऋण वास्तव में केवल पुराने या मूल ऋण के भुगतान हेतु लिया गया है और इस तथ्य से आयकर अधिकारी पूरी तरह संतुष्ट है । यदि ऋण प्राप्त करने के लिए किसी कमीशन या दलाली का भुगतान किया जाता है तो इसे शुद्ध वार्षिक मूल्य में से घटाया नहीं जाता । 

ऋण पर ब्याज की कटौती देयता के आधार (Due to Accrual basis) पर प्रदान किया जाता है । चाहे इसका भुगतान गत वर्ष में किया जाए या नहीं । ऋण पर ब्याज की कटौती की राशि की गणना साधारण ब्याज दर से की जाती है । इस स्थिति में चक्रवृद्धि ब्याज की राशि नहीं घटाई जाती अर्थात ब्याज का भुगतान न करने की दशा में ब्याज की ऊपर ब्याज की कटौती नहीं की जाती है । 

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