क्रय प्रतिफल किसे कहते हैं ? (Purchase Consideration in Hindi)

क्रय प्रतिफल किसे कहते हैं ?
 (Purchase Consideration in Hindi)

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 Purchase Consideration in Hindi

क्रय प्रतिफल का अर्थ (Meaning of Purchase Consideration) 


क्रय प्रतिफल वो मूल्य है जो कंपनी के एकीकरण के समय निर्धारित किया जाता है तथा जिसे हस्तांतरक कंपनी के अंशधारी अपनी संपत्तियों एवं दायित्वों के लिए हस्तांतरी कंपनी से प्राप्त करते हैं ।

क्रय प्रतिफल हस्तांतरक कंपनी के अंशधारियों द्वारा अंशों, ऋणपत्रों, नकद या अन्य संपत्तियों के रूप में प्राप्त किया जा सकता है । यह भी स्पष्ट है कि ऋणपत्रधारियों को किया गया भुगतान या अन्य दायित्वों के भुगतान को क्रय प्रतिफल में शामिल नहीं किया जाता है । यह मान लिया जाता है कि इन्हें हस्तांतरी कंपनी द्वारा ले लिया गया है और इनका भुगतान कर दिया गया है । यदि हस्तांतरी कंपनी द्वारा कोई दायित्व स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया है तो इसका भुगतान हस्तांतरक कंपनी द्वारा किया जाता है ।


क्रय प्रतिफल की परिभाषा (Definition of Purchase Cosideration) :- 


एकीकरण के प्रतिफल का आशय हस्तांतरी कंपनी द्वारा हस्तांतरक कंपनी को निर्गमित अंशों एवं अन्य प्रतिभूतियों का एकल राशि एवं रोकड़ (Cash) या अन्य संपत्तियों के रूप में किए गए भुगतान से है । 

क्रय प्रतिफल निर्धारण की तकनीक


 सामान्यतः क्रय मूल्य का निर्धारण हस्तांतरक कंपनी और हस्तांतरी कंपनी के आपसी अनुबंध द्वारा होता है । क्रय प्रतिफल का निर्धारण करते समय इसके विभिन्न तत्वों का उचित मूल्य निर्धारित किया जाता है । कंपनी के क्रय के उचित मूल्य के निर्धारण के लिए कंपनी के द्वारा निम्न तीन तकनीकों या रीतियों का प्रयोग किया जाता है :-

1. शुद्ध भुगतान रीति (Net Payment Method)
2. शुद्ध संपत्ति रीति (Net Assets Method)
3. अंशों की अनुपात रीति या अंश - विनियम रीति (Share Proportion Method or Share Exchange Method)


1. शुद्ध भुगतान रीति (Net Payment Method) :- लेखा मानक - 14 अनुबंध करता है कि क्रय प्रतिफल मुख्य रूप से शुद्ध भुगतान पर आधारित होता है । लेखा मानक - 14 के अनुसार एकीकरण के लिए प्रतिफल का आशय हस्तांतरी कंपनी द्वारा हस्तांतरक कंपनी को निर्गमित अंशों एवं अन्य प्रतिभूतियों का सकल राशि एवं रोकड़ या अन्य संपत्तियों के रूप में किए गए भुगतान से होता है । इस प्रकार शुद्ध भुगतान रीति के अंतर्गत क्रय प्रतिफल हस्तांतरक कंपनी के समता एवं पूर्वाधिकार अंशधारियों के दावों के हेतु चुकता किए गए अंशों, ऋणपत्रों एवं नकद का कुल योग होता है । इसके अंतर्गत यह ध्यान में रखना चाहिए कि हस्तांतरी कंपनी द्वारा किया गया प्रत्येक भुगतान क्रय प्रतिफल का भाग नहीं होता है । अतः ऋणपत्रधारियों एवं अन्य दायित्वों को किए गए भुगतान क्रय प्रतिफल के अंग नहीं माने जाते हैं । 


2. शुद्ध संपत्ति रीति (Net Assets Method) :- इस रीति के अनुसार क्रय प्रतिफल की राशि का निर्धारण हस्तांतरी कंपनी द्वारा लिए गए सभी संपत्तियों के उचित मूल्य या शुद्ध पुस्तक मूल्य के योग में हस्तांतरी कंपनी द्वारा लिए गए बाह्य दायित्वों के पुस्तक मूल्य या निर्धारित मूल्य को घटाकर किया जाता है । इसके अंतर्गत निम्न बिंदुओं का अवलोकन किया जा सकता है :-

• यदि हस्तांतरी कंपनी हस्तांतरक कंपनी के सभी संपत्तियों को लेने के लिए तैयार होती है तो इन संपत्तियों में रोकड़ (Cash) एवं बैंक शेष भी शामिल होंगे, लेकिन सभी संपत्तियों शब्द में Unamortised Expenses को शामिल नहीं किया जाता ।
• यदि कोई ख्याति, पूर्वदत्त व्यय हो तो ली गई संपत्तियों में इन्हें शामिल करेंगे, जब तक कि इसके विपरित कुछ न कहा गया हो ।
• यदि हस्तांतरी कंपनी द्वारा कुछ संपत्तियां नहीं ली जाती हैं तो उन्हें शामिल न करके छोड़ दिया जाता है ।
• ' दायित्व ' शब्द हमेशा तीसरे पक्ष से संबंधित सभी दायित्वों का बोध कराता है । व्यापारिक दायित्व वे होते हैं जो माल/सेवा के क्रय से उत्पन्न होते हैं । जैसे :- व्यापारिक लेनदार, देय विपत्र ।
• दायित्वों में संचित या अवितरित लाभ, जैसे सामान्य संचय सिक्योरिटी प्रीमियम, कर्मचारी दुर्घटना फंड, बीमा फंड, पूंजीगत संचय, लाभांश समानीकरण कोष आदि को शामिल नहीं करते हैं ।

3. अंशों की अनुपात रीति या अंश - विनियम रीति (Share Proportion Method or Share Exchange Method) :- इस विधि के अंतर्गत क्रय प्रतिफल का निर्धारण करने के लिए सर्वप्रथम शुद्ध संपत्ति विधि से कंपनी की शुद्ध संपत्तियों का मूल्य ज्ञात किया जाता है । इसके बाद इस मूल्य में हस्तांतरी कंपनी के एक अंश की कीमत का भाग दिया जाता है जिससे उन अंशों की संख्या ज्ञात हो जाती है जो हस्तांतरक कंपनी के अंशधारियों को हस्तांतरी कंपनी से प्राप्त होंगे । जब यह मालूम हो जाता है कि हस्तांतरी कंपनी से हस्तांतरक कंपनी को कितने अंश मिलेंगे तो उसे हस्तांतरक कंपनी के वर्तमान अंशों से भाग देने पर अंशों का अनुपात ज्ञात होता है । 

उदाहरण :- यदि हस्तांतरक कंपनी को अपने वर्तमान 1,000 अंशों के बदले में हस्तांतरी कंपनी में 2,000 अंश मिलेंगे तो पुराने और नए अंशों का अनुपात 1 : 2 होगा ।

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