कंपनी एकीकरण की लेखांकन विधियाँ (Methods of Accounting for Amalgamation)

कंपनी एकीकरण की लेखांकन विधियाँ 
(Methods of Accounting for Amalgamation)

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Methods of Accounting for Amalgamation

कंपनियों के एकीकरण के लेखांकन की विधियों का उल्लेख लेखा प्रमाप - 14 में है । जिसमें निम्न दो प्रकार की विधियाँ बताई गई हैं :- 

1. हितों का समूहीकरण विधि (Pooling of interests Method)
2. क्रय विधि (Purchase Method)

1. हितों का समूहीकरण विधि (Pooling of interests Method):- हितों का समूहीकरण विधि एकीकरण के संबंध में लेखांकन करने की ऐसी विधि है जिसके अंतर्गत एकीकरण के संबंध में उस समय लेखांकन किया जाता है । जब हस्तांतरी कंपनी द्वारा हस्तांतरक कंपनी के व्यवसाय को निरंतर जारी रखा जाता है । इस विधि के अंतर्गत एकीकृत हुई कंपनियों के वित्तीय विवरण बनाते समय मामूली परिवर्तन किए जाते हैं । इस विधि के प्रयोग की मुख्य विशेषताएं कुछ इस प्रकार से हैं :-

1. इस विधि का प्रयोग केवल उस समय किया जाता है जब कंपनियों के बीच विलय के स्वभाव का एकीकरण हुआ हो ।
2. इस विधि के अनुसार हस्तांतरी कंपनी द्वारा हस्तांतरक कंपनी की समस्त संपत्तियों, दायित्वों एवं संचितो को उनके पुस्तकीय मूल्य (Existing Value) पर लिया जाता है और इसी मूल्य पर लेखा पुस्तकों में भी उल्लेख किया जाता है । एकीकरण के समय यदि दोनों कंपनियों की लेखा नीतियों में भिन्नता हो तो एकरूपता लाने के लिए आवश्यक समायोजन (Adjustment) किया जाता है ।
3. इस विधि में एकीकरण के पूर्व अंशधारियों को लाभांश वितरण हेतु उपलब्ध संचितिया एकीकरण के पश्चात भी लाभांश वितरण हेतु उपलब्ध रहती हैं ।
4. इस विधि में हस्तांतरक कंपनी की अंश पूंजी एवं उसे निर्गमित अंश पूंजी में यदि कोई अंतर हो तो इस अंतर का समायोजन हस्तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में संचितियों में से किया जाता है ।
5. इस विधि में हस्तांतरक कंपनी के लाभ - हानि खाते के शेष को हस्तांतरी कंपनी के लाभ हानि खाते के शेष के साथ जोड़कर दिखाया जाता है या इसे सामान्य संचय में हस्तांतरित किया जा सकता है ।


2. क्रय विधि (Purchase Method) :- लेखा प्रमाप - 14 के अनुसार एकीकरण के संबंध में लेखा करने की यह दूसरी विधि है । जिसकी विशेषताएं कुछ इस प्रकार से हैं :- 

1. इस विधि का प्रयोग केवल उस समय किया जाता है जब कंपनियों के बीच क्रय के स्वभाव का एकीकरण हुआ हो ।
2. इस विधि में हस्तांतरक कंपनी की समस्त संपत्तियों एवं दायित्वों को उनके पुस्तकीय मूल्य पर हस्तांतरी कंपनी की पुस्तकों में शामिल किया जाता है ।
3. वैकल्पिक स्थिति यह है कि एकीकरण की तिथि पर हस्तांतरक कंपनी की पहचानी जा सकने वाली संपत्तियों एवं दायित्वों को उनके उचित मूल्य (Fair Rent) पर हस्तांतरी कंपनी की पुस्तकों में शामिल किया जा सकता है ।
4. यदि हस्तांतरी कंपनी द्वारा हस्तांतरक कंपनी की संपत्तियों एवं दायित्वों को उनके पुस्तकीय मूल्य के बजाय उचित मूल्य पर लिया जाता है तो उचित मूल्य का निर्धारण हस्तांतरी कंपनी की इच्छा पर निर्भर करता है ।
5. इस विधि में हस्तांतरक कंपनी की संचितियों (वैधानिक संचितियों को छोड़कर) को सुरक्षित रखना तथा हस्तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित करना आवश्यक नहीं है ।
6. इस विधि में हस्तांतरक कंपनी की केवल वैधानिक संचितियों को सुरक्षित रखना तथा हस्तांतरी कंपनी की लेखा पुस्तकों में प्रदर्शित करना आवश्यक है । वैधानिक संचितियां जैसे :- विकास भत्ता संचय, विनियोग भत्ता संचय आदि को सुरक्षित रखना तथा हस्तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित करना आवश्यक है ।


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