आंतरिक पुनर्निर्माण किसे कहते हैं ?
(Internal Reconstruction in Hindi)
आंतरिक पुनर्निर्माण का अर्थ (Internal Reconstruction in Hindi)
कंपनी के आंतरिक पुनर्निर्माण से तात्पर्य कंपनी के आंतरिक रूप से सुसंगठन तथा सुनियोजन सहित पुनर्निर्माण से है । जिसके अंतर्गत कंपनी को संपत्तियों एवं दायित्वों के अवलोकन एवं पुनः मूल्यांकन, हानियों के अपलेखन तथा अंशों के चुकता मूल्य में कमी आदि प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है ।
परिभाषा :- आंतरिक पुनर्निर्माण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कंपनी की संपत्तियों का फिर से मूल्यांकन, सभी दायित्वों का पुनः आकलन , हानियों का अपलेखन तथा अंशों के चुकता मूल्य में कमी इत्यादि के द्वारा कंपनी की व्यवस्था का उचित रूप से पुनर्गठन किया जाता है ।
आंतरिक पुनर्निर्माण की विशेषताएं (Features of Internal Reconstruction)
1. आंतरिक पुनर्निर्माण एक वैधानिक प्रक्रिया है ।
2. आंतरिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता तब होती है जब कम्पनी को लगातार हो रही असफलता से बचाना होता है ।
3. आंतरिक पुनर्निर्माण के द्वारा वर्तमान समय में विद्यमान कंपनी अपने व्यवसाय को जारी रखते हुए अपने वित्तीय स्वरूप को बदलने का प्रयास करती है ।
4. आंतरिक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में कंपनी की अंश पूंजी को परिवर्तित किया जाता है ।
5. कंपनी की पूंजी में कमी लाकर अर्थात पिछले वर्ष की हानियों का अपलेखन करके आंतरिक पुनर्निर्माण संभव है ।
आंतरिक पुनर्निर्माण की विधियाँ (Methods of Internal Reconstruction)
1. अंश पूंजी में परिवर्तन
2. अंश पूंजी में कमी
3. कंपनी के सदस्यों एवं लेनदारों के साथ अनुविन्यसन की योजना (स्कीम)
विस्तार से :-
1. अंश पूंजी में परिवर्तन (Alternation in Share Capital A/c) :- भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 61 के अनुसार , अंशों द्वारा सीमित कंपनी अपने अंशों को पूंजी में परिवर्तित कर सकती है । यदि कंपनी के पार्षद सीमा से कंपनी को यह अधिकार प्राप्त हो कि वह अंशों को पूंजी में परिवर्तित कर सकती है । कंपनी के अंशों को निम्न तरीकों से पूंजी में परिवर्तित किया जा सकता है :-
• नए अंशों के निर्माण द्वारा अधिकृत अंश पूंजी को बढ़ाना (Increase in Authorised Share Capital)
• अंशों का स्टॉक (स्कंध) में बदलना (Conversion of Shares into Stock)
• अनिर्गमित अंशों का विलोपन (Cancellation of Unissued Share Capital)
• कम मूल्य वाले अंशों का अधिक मूल्य वाले अंशों में समेकन (Consolidation of Shares into Shares of a Large Amount)
• विद्यमान अंशों का कम मूल्य वाले अंशों में उप - विभक्त करना (Sub - division of Shares into Shares of smaller Amount)
2. अंश पूंजी में कमी :- भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 66 के अनुसार अंशों पूंजी से संबंधित निम्न बातों का उल्लेख किया गया है :-
1. अंश पूंजी में कमी की प्रक्रिया
• कंपनी को अपनी अपनी अंश पूंजी को विभिन्न प्रकार से कम करने की शक्ति
• प्रतिवेदनों (आपत्तियों) के आमंत्रण हेतु ट्रिब्यूनल द्वारा नोटिस
• ट्रिब्यूनल द्वारा संपुष्टि आदेश
• ट्रिब्यूनल के संपुष्टि आदेश का प्रकाशन
• ट्रिब्यूनल के संपुष्टि आदेश की प्रमाणित प्रति रजिस्ट्रार को देना
2. किसी सदस्य पर किसी मांग या अंशदान का दायित्व नहीं
3. आपत्ति का अधिकार रखने वाले ऐसे लेनदार के दावे या ऋण के संबंध में, जिसका नाम लेनदारों की सूची में शामिल नहीं था, सदस्यों का दायित्व
4. कंपनी के दोषी अधिकारियों का दायित्व
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