ऋण पत्रों का निर्गमन एवं निर्गमन के प्रकार
(Issue of Debentures & Types of Issue of Shares)
ऋण पत्र कंपनी के द्वारा जनता से लिए गए ऋण का प्रमाण पत्र है । भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 71 के अनुसार ऋणपत्रों के निर्गमन के संबंध में निम्न बातें बताई गई हैं :-
1. ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Debentures) :- कोई भी सार्वजनिक कंपनी ऐसे ऋणपत्रों का निर्गमन कर सकती है। जिनमें शोधन के समय पूर्णतः या आंशिक रूप से अंशों में परिवर्तन का विकल्प हो। लेकिन इस स्थिति में यह आवश्यक होता है कि ऋण पत्रों के निर्गमन के लिए कंपनी के द्वारा साधारण सभा में विशेष प्रस्ताव द्वारा अनुमोदन कराया जाय।
2. मताधिकार (Voting Rights) :- ऋणपत्रों के धारकों को कंपनी की सभाओं में मत देने का अधिकार नहीं होता है।
3. ऋणपत्र शोधन कोष (Debenture Redemption Reserve) :- कंपनी के द्वारा ऋणपत्र निर्गमन के साथ - साथ ऋणपत्र शोधन कोष (Debenture Redemption Reserve) का सृजन किया जाता है। कंपनी के द्वारा सृजित यह कोष कंपनी लाभांश भुगतान के लिए उपलब्ध लाभों से बनाया जाता है। ऋणपत्र शोधन कोष की राशि का प्रयोग ऋणपत्रों के शोधन के अतिरिक्त अन्य किसी भी कार्य में नहीं किया जा सकता।
4. ऋणपत्र ट्रस्टियों की नियुक्ति (Appointment of Debenture Trustee) :- कोई भी सार्वजनिक कंपनी अपने ऋणपत्रों के अभिदान के लिए जनता को या पाँच सौ से अधिक कंपनी के ही सदस्यों को प्रविवरण नहीं जारी कर सकती और न ही आमंत्रण दे सकती है। जब तक कि कंपनी ने ऐसे निर्गमन या प्रस्ताव से पूर्व एक या अधिक ट्रस्टियों की नियुक्ति नहीं कर लेती।
5. निर्गमन की शर्तों का पालन :- कंपनी अधिनियम के अनुसार कोई भी सार्वजनिक कंपनी ऋणपत्रों पर ब्याज का भुगतान और उनका शोधन उनके निर्गमन की शर्तों के अनुसार ही करती है।
ऋणपत्र निर्गमन के प्रकार (Types of Issue of Debentures)
1. नकद में (For Cash) :- कंपनी नकद में ऋण पत्रों का निर्गमन एकमुश्त राशि प्राप्त करने के उद्देश्य से या किस्तों/याचनाओं के द्वारा नकद राशि प्राप्त करने के उद्देश्य से करती है।
2. नकद को छोड़कर अन्य प्रतिफल में (For Consideration Other than Cash) :- कंपनी किसी संपत्ति को खरीदने के लिए क्रय प्रतिफल का भुगतान ऋणपत्रों में या किसी व्यवसाय के क्रय प्रतिफल का भुगतान ऋणपत्रों के निर्गमन के द्वारा कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो कंपनी के द्वारा ऋणपत्रों का निर्गमन सममूल्य, अधिमूल्य या कटौती पर किया जा सकता है।
3. सहायक प्रतिभूति के रूप में (As Collateral Security) :- कंपनी अपने ऋणदाता (बैंक तथा वित्तीय संस्थान) को सहायक प्रतिभूति के रूप में ऋणपत्रों का निर्गमन करती है। इस स्थिति में यदि ऋणदाता को संपूर्ण ऋण का भुगतान मूल प्रतिभूति से प्राप्त नहीं होता है तो ऋणदाता शेष ऋण के लिए कंपनी का ऋणपत्रधारी बन जाता है। यदि कंपनी ऋण तथा ब्याज का भुगतान समय पर कर देती है तो ऋणदाता इन ऋणपत्रों को कंपनी को वापस कर देता है।
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