ऋणपत्र किसे कहते हैं ? Debenture in Hindi

     ऋणपत्र किसे कहते हैं  ?
Debenture in Hindi
 
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Debenture in Hindi


ऋण पत्र का अर्थ (Meaning of Debentures) 


ऋण पत्र कंपनी के द्वारा जनता से लिए गए ऋण का प्रमाण पत्र है । जिसके आधार ओर कंपनी जनता से ऋण लेती है और उन्हें ऋण के प्रमाण के रूप में एक प्रमाण पत्र जारी करती है, जिसे ऋण पत्र कहा जाता है । ऋण पत्र के धारक को ऋणपत्र धारक कहा जाता है । 

ऋणपत्र क्यों ? Debentures Why ? 


जब कभी भी कंपनी को धन की आवश्यकता होती है तो कंपनी के पास धन इकट्ठा करने के लिए कई रास्ते होते हैं, जिनमें बैंक से ऋण लेना, किसी संस्था से ऋण लेना, अंश जारी करने जनता से धन इकट्ठा करना तथा ऋण पत्र जारी करके जनता से धन इकट्ठा करना । प्रमुख रूप से जब कंपनी अंश के माध्यम से धन इकट्ठा करती है तो कंपनी को धन देने वाला कंपनी का मालिक बन जाता है तथा कंपनी को हर वर्ष अंशधारियों को लाभांश देना पड़ता है । जिसके लिए कंपनी को अपनी लाभ का एक हिस्सा लाभांश देने में खर्च करना पड़ता है । लेकिन इसके अलावा जब कंपनी जनता से ऋण पत्र के माध्यम से ऋण के रूप में धन इकट्ठा करती है तो लिए गए ऋण के बदले उसे कुछ निर्धारित ब्याज ही देना पड़ता है और जब कंपनी ऋणपत्रधारियों को उनके पैसे चुका देती है तो उसके उपर से ऋण का भार उतर जाता है । प्रमुख रूप से इसी कारण की वजह से कंपनी के द्वारा ऋणपत्र जारी किया जाता है। 

ऋणपत्र की परिभाषा (Definition of Debentures)


भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(30) के अनुसार :- ऋण पत्र में ऋण को प्रकट करने वाले ऋणपत्र स्टॉक, बॉण्ड और कंपनी की अन्य प्रतिभूतियाँ शामिल हैं । चाहे वे कंपनी की संपतियों पर प्रभार रखती हों या नहीं । 

पामर (Palmer) के अनुसार :- ऋणपत्र ऋण स्वीकार करने का प्रमाण पत्र है जिसे कंपनी की सार्वमुद्रा के अंतर्गत दिया जाता है और एक निश्चित तिथि पर मूल राशि को लौटाने और जब तक मूलधन का भुगतान न हो जाए तब तक एक निश्चित दर से उस पर ब्याज देने का अनुबंध है। यह कंपनी की संपतियों पर ऋण के हेतु जमानत के रूप में प्रभार होता है । 

ऋण पत्र की विशेषताएँ (Characteristics of Debentures) 


1. ऋणपत्र कंपनी के द्वारा लिए गए ऋण का प्रमाण पत्र होता है। 
2. ऋणपत्र कंपनी के द्वारा निर्गमित, लिखित और सार्वमुद्रा में स्वीकृत प्रलेख है। 
3. इस पर ब्याज की दर,अवधि, शोधन विधि आदि पूर्व निश्चित होती है। 
4. ऋणपत्र को सममूल्य, अधिमूल्य या छूट पर जारी किया जा सकता है । 
5. कंपनी अपने ऋणपत्र को निवेश के रूप में खरीद सकती है । 
6. ऋणपत्र पर कंपनी को हर हालत में ब्याज देना होता है, चाहे कंपनी को लाभ हो या हानि। 
7. ऋणपत्र धारक को साधारण सभा में मत देने और कंपनी के प्रबंध में भाग लेने का अधिकार नहीं होता है।

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