कंपनी का अंकेक्षण किसे कहते हैं ?
Audit of Company in Hindi
कंपनी अंकेक्षण से तैयार कंपनी के लेखा पुस्तकों के निरीक्षण एवं सत्यापन से है । जिसके आधार पर कंपनी की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाता है और यह देखा जाता है कि क्या कंपनी के द्वारा तैयार की गई लेखा पुस्तकें सही मानदंडों एवं नियमों के अनुरूप तैयार की गई हैं या नहीं । कंपनी के अंकेक्षण में अंकेक्षक का यह उद्देश्य होता है कि वह कंपनी के वित्तीय प्रलेखों पर अपनी राय दे । अंकेक्षक के द्वारा कंपनी के बारे में राय अंकेक्षक प्रतिवेदन के माध्यम से दिया जाता है ।
भारतीय कंपनी अधिनियम के अनुसार कंपनियों को अंकेक्षण करवाना अनिवार्य होता है । इसके हिसाब से कंपनियों में तीन प्रकार का अंकेक्षण होता है ।
1. वैधानिक अंकेक्षण
2. आंतरिक अंकेक्षण
3. लागत अंकेक्षण
कंपनी का अंकेक्षण प्रारंभ करने से पूर्व की तैयारी (Preparation Before Starting Audit of the Company)
कंपनी का अंकेक्षण प्रारंभ करने से पूर्व निम्न तैयारियां की जाती हैं :-
1. अपनी नियुक्ति की जांच
2. कंपनी व्यवसाय की प्रकृति
3. वैधानिक प्रलेखों का निरीक्षण
4. लेखा वर्ष
5. अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सूची
6. आंतरिक निरीक्षण प्रणाली की जानकारी
7. लेखा पुस्तकों एवं वैधानिक पुस्तकों की सूची
8. गत वर्ष का अंकेक्षण प्रतिवेदन
9. अनुबंधों का निरीक्षण
10. प्रबंध की जानकारी
11. अंकेक्षण योजना का निर्माण
कंपनी के महत्वपूर्ण प्रलेख (Important Document of Company)
1. पार्षद सीमा नियम (Memorandum of Association)
2. पार्षद अंतर्नियम (Article of Association)
3. प्रविवरण (Prospectus)
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