कोषों को जुटाना किसे कहते हैं ?
Raising of Funds in Hindi
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Kosho ko Jutana kise Kahte Hai |
कोषों को जुटाने का अर्थ (Meaning of Raising Fund)
कोष वह धनराशि या पूंजी है, जिसके आधार पर किसी व्यवसाय की स्थापना तथा व्यवसाय से जुड़े संपत्ति खरीदने जैसे बहुत सारे काम किए जाते हैं । कोष को व्यवसाय का रक्त भी कहा जाता है क्योंकि इसके बिना व्यवसाय का सफल संचालन असंभव है ।
भारतीय चार्टर्ड लेखापाल संस्था के लेखांकन मानक मंडल के अनुसार :- कोषों से आशय नकद, नकद तुल्य अथवा कार्यशील पूंजी से है ।
कोषों को जुटाने से तात्पर्य व्यवसाय की स्थापना, सुनियोजित संचालन एवं व्यवसाय के उन्मुक्त विकास के लिए पर्याप्त धनराशि को एकत्रित करने से है ।
कोषों की आवश्यकता एवं उनके प्रकार (Need of Funds & Kinds of Fund Required)
कोई भी व्यवसाय जब शुरू होता है तो उस व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है जिसे व्यवसाय के का क्रियान्वयन के लिए एकत्रित किया जाता है । इसको ही कोष कहते हैं यह कोष की आवश्यकता व्यवसाय को दो तरीकों से हो सकती है । जो इस प्रकार से है :-
1. दीर्घकालीन या स्थायी वित्त (Long term or Fixed Capital)
2. अल्पकालीन एवं कार्यशील वित्त (Short term or Working Capital)
1. दीर्घकालीन या स्थायी वित्त (Long term or Fixed Capital) :- दीर्घकालीन पूंजी वह पूंजी है जिससे संपति को खरीदा जाता है या जिसे संपत्ति पर निवेश किया जाता है । इस तरह की संपत्तियों को इस भाव से नहीं खरीदा जाता कि उन्हें बेचा जाएगा । उन्हें दीर्घकाल तक व्यवसाय के निर्माण कार्यों में लगाया जाता है । इन संपत्तियों में मूर्त (Tangible) अमूर्त (Intangible) दोनों तरह की संपत्तियों का जिक्र होता है । जिसमें मूर्त संपत्तियों में भवन, मशीन, भूमि आदि हैं तथा अमूर्त संपत्तियों में साख, पेटेंट, कॉपीराइट, प्रारंभिक व्यय, स्थापना व्यय आदि हैं । इन संपत्तियों में विनियोजन के पश्चात विनियोजित पूंजी को संस्था के सम्पूर्ण जीवन काल में कभी भी वापस नहीं लिए जाने के कारण इसे अचल संपत्ति भी कहा जाता है । इन संपत्तियों में लगी धनराशि दीर्घकालीन कोष कहलाती है । कोई भी व्यवसाय इस पूंजी के बिना शुरू नही किया सकता ।
दीर्घकालीन पूंजी की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले घटक या तत्व
1. व्यवसाय की प्रकृति (Nature of Business)
2. व्यवसाय का आकार (Size of Business)
3. व्यवसाय का क्षेत्र (Scope of Business)
4. उत्पादित वस्तुओं का प्रकार (Types of Product)
5. यंत्रीकरण की मात्रा (Degree of Machanisation)
6. स्थायी संपत्तियों की मात्रा एवं प्राप्त करने की विधि (Amount and Method of Obtaining Fixed Assets)
7. प्रारंभिक व्यय (Preliminary Expenses)
8. प्रबंधकीय नीतियाँ (Managerial Policies)
दीर्घकालीन या स्थायी पूंजी के स्रोत (Source of Long term or Fixed Capital)
1. अंश पत्र निर्गमित करके ।
2. ऋण पत्र निर्गमित करके ।
3. बैंकों से ऋण ।
4. वित्तीय संस्थाओं से ऋण ।
2. अल्पकालीन एवं कार्यशील वित्त (Short term or Working Capital) :- अल्पकालीन या कार्यशील पूंजी से आशय पूंजी के उस भाग से है । जिसका प्रयोग व्यवसाय के दैनिक कार्यों में किया जाता है । इस पूंजी का प्रयोग कम समय में कर लिया जाता है इसलिए इसे अल्पकालीन पूंजी या अस्थायी पूंजी तथा इसका प्रयोग व्यवसाय के साधारण कार्यों में दैनिक रूप से किया जाता है इसलिए इसे कार्यशील पूंजी कहा जाता है । इस पूंजी का प्रयोग कर्मचारियों का वेतन, मजदूरों की मजदूरी, विज्ञापन, चल संपत्ति के क्रय, उत्पादन व्यय, विक्रय व्यय, माल की खरीद आदि जैसे अन्य सामान्य खर्चों में किया जाता है ।
परिभाषा :-
1. मीड, मैलट तथा फील्ड के अनुसार :- कार्यशील पूंजी से आशय चालू संपत्तियों के योग से है ।
2. सी. डबल्यू. गर्स्टनबर्ग के अनुसार :- चालू संपत्तियों के चालू दायित्व पर आधिक्य को कार्यशील पूंजी कहते हैं ।
कार्यशील पूंजी के लक्षण (Characterstics of Working Capital)
1. अल्प समय के लिए ।
2. चालू व्ययों के लिए प्रयोग ।
3. इसका आवागमन हमेशा होता रहता है ।
4. कार्यशील पूंजी चालू संपत्तियों का चालू दायित्वों के आधिक्य के रूप में होती है ।
5. निश्चित उद्देश्य के लिए प्रयोग ।
कार्यशील पूंजी के निर्णायक घटक (Determining Factors of Working Capital)
1. व्यवसाय का आकार (Size of Business)
2. उत्पादन प्रक्रिया (Production Process)
3. क्रय विक्रय की शर्तें (Terms and Conditions of Purchase & Sale)
4. उत्पादन में कच्चे माल का स्थान (Importance of Raw Material in Production)
5. मौसमी उतार चढ़ाव (Seasonal Fluctuations)
6. व्यापार चक्र (Trade Cycle)
7. यंत्रीकरण की मात्रा (Degree of Machnisation)
8. जोखिम की मात्रा (Degree of Risk)
9. बैंकिंग संबंध (Banking Relations)
10. रोकड़ की आवश्यकता (Requirement of Cash)
11. लाभांश नीतियाँ (Dividend Factors)
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