स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित ठहराव किसे कहते हैं ?
(Exressely Declared Void Agreement)
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Exressely Declared Void Agreement in Hindi |
कोई ठहराव जब अनुबंध की आवश्यक शर्तों के साथ साथ राजनियम (कानून) के द्वारा प्रवर्तनीय होता है तो वह अनुबंध बनता है । लेकिन जब वही ठहराव कानून के द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होता तो व्यर्थ ठहराव बन जाता है ।
भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 के अनुसार वह ठहराव जो राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होता वह व्यर्थ होता है । व्यर्थ ठहराव आरंभ से ही व्यर्थ होते हैं । इसलिए उनके राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय होने पर कोई प्रश्न नहीं उठता ।
भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 के अनुसार निम्न ठहराव स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित हैं ।
1. अयोग्य पक्षकारों के साथ किए गए ठहराव । (Sec 11)
2. द्विपक्षीय गलतियों के आधार पर दो पक्षों के मध्य किए गए ठहराव । (Sec 20)
3. बिना प्रतिफल के किए गए ठहराव । (Sec 25)
4. विवाह को रोकने के लिए किए गए ठहराव । (Sec 26)
5. व्यापार को रोकने के लिए किए गए ठहराव । (Sec 27)
6. पूर्ण अवैधानिक प्रतिफल एवं उद्देश्य वाले ठहराव । (Sec 23)
7. आंशिक अवैधानिक प्रतिफल एवं उद्देश्य वाले ठहराव । (Sec 24)
8. वैधानिक कार्यवाही को रोकने के लिए किए गए ठहराव । (Sec 28)
9. बाजी के ठहराव । (Sec 30)
10. अनश्चित अर्थ वाले ठहराव । (Sec 29)
11. किसी असंभव कार्य को करने के लिए किए गए ठहराव । (Sec 56)
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