Anubandh Kise Kahte Hai in Hindi |
अनुबन्ध का अर्थ (Meaning of Contract in Hindi)
किसी भी विषय के निर्णय पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सहमति को अनुबंध कहा जाता है । यह सहमति व्यक्तियों के आलावा संस्थाओं, देशों या किसी भी देश के दो या दो से अधिक प्रांतों के बीच भी लिखित या मौखिक दोनों रूपों में हो सकता है। बशर्ते अनुबंध करते समय लिखित अनुबंध को ज्यादा मान्यता दी जाती है, क्योकि यह ज्यादा सुरक्षित होता है और भविष्य में साक्ष्य के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है।
अनुबंध शब्द अंग्रेजी के Contract शब्द का हिन्दी रूपांतरण है । इस Contract शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Contractum शब्द से हुई है । जिसका अर्थ साथ मिलने से है । इस प्रकार दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किसी ठहराव के लिए मिलना ही अनुबंध है । इसे हिन्दी में संविदा या करार के नाम से भी जाना जाता है । वैधानिक रूप में दो या दो से अधिक पक्षकारों के बीच किए गए वे ठहराव जो राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय हैं, अनुबंध कहलाते हैं ।
अर्थात् , ऐसा ठहराव या सहमति जो पक्षकारों के बीच वैधानिक दायित्व एवं अधिकार की उत्पत्ति कराता हो, अनुबंध कहलाता है ।
उदाहरण :- यदि दिल्ली के किसी इलाके में पूल का निर्माण होना है, तो उस पूल के निर्माण के लिए ठेकेदार और सरकार के बीच वार्तालाप होगी जिसमें पूल की लागत कितनी होगी इसके लिए बजट बनाया जायेगा और उस निश्चित बजट पर सरकार और ठेकेदार दोनों अपनी सहमति देंगे । सहमति के रूप में दोनों पक्षकार लागत, काम पूरा करने की तिथि, निर्माण सामग्री की मात्रा, गुणवत्ता आदि को ध्यान में रखते हुए लिखित रूप में अपने अपने हस्ताक्षर करेंगे एवं मुहर लगाएंगे । इस स्थिति में यह अनुबंध कहलाएगा ।
अनुबन्ध की परिभषा :- Definiton of Contract in Hindi
परिभाषा :
विभिन्न समयों पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों एवं न्यायाधीशों के द्वारा अनुबंध के संबंध में तरह तरह की परिभाषाएं दी गई हैं । जिसमें से कुछ परिभाषाएं इस प्रकार से हैं :-
1. सॉलमंड के अनुसार :- अनुबंध एक ऐसा ठहराव है, जो पक्षकारों के मध्य दायित्व उत्पन्न करता है ।
2. सर विलियम एंसन के अनुसार :- अनुबंध दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किया गया एक ऐसा ठहराव है, जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है तथा जिसके द्वारा एक या एक से अधिक पक्षकार अथवा पक्षकारों के विरुद्ध किसी कार्य को करने या न करने के लिए कुछ अधिकार प्राप्त कर लेते हैं ।
3. सर फेडरिक पोलाक के अनुसार :- प्रत्येक ठहराव जो राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय है, अनुबंध कहलाता है ।
4. भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 2(H) के अनुसार :- ऐसा ठहराव जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है, अनुबंध कहलाता है ।
वैध अनुबंध के लक्षण ( Feature of Valid Contract)
विभिन्न अर्थशास्त्रियों एवं न्यायाधीशों के साथ साथ भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2(H) के द्वारा दी गई परिभाषा के आधार पर एक वैध अनुबंध के आवश्यक लक्षण अपने आप उभर कर सामने आ जाते हैं, जो इस प्रकार से हो सकते हैं ।
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