![]() |
Anubandh Adhiniyam ki Awashyakta Kyo Hindi |
सामान्यतः हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में किसी न किसी तरह से किसी न किसी व्यक्ति से अनुबंध करता ही है । जैसे बस से यात्रा करना, फिल्म देखने जाना, ट्रेन से यात्रा करना, किसी शोरूम में खरीददारी करना, किताबें खरीदना आदि । इन सभी कार्यों में प्रायः अनुबंध हो ही जाता है ।
जैसे बस, ट्रेन, जहाज आदि में टिकट के बदले चालक द्वारा आपको गंतव्य तक पहुंचाने का वादा आदि । परंतु इस स्थिति में अनुबंध करने वाले पक्षकारों को उनके द्वारा किए गए अनुबंध की जानकारी नहीं रहती और न ही उन्हें अनुबंध के कानूनी प्रावधानों की ही जानकारी होती है ।
परंतु जब व्यापार की बात की जाती है, तो उस समय अनुबंध एवं उसकी वैधानिकता का मान बढ़ जाता है । क्योंकि व्यापार में दो पक्षकारों के मध्य किसी भी बात पर सहमति के लिए दोनों के बीच अनुबंध अति आवश्यक हो जाता है । यदि एक पक्षकार किए गए वादे से कभी मुकर जाता है तो उसे अनुबंध के सहारे न्यायालय में न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है । जिससे व्यापार में होने वाली हानियों से बचा जा सकता है ।
चूंकि अनुबंध का क्षेत्र वृहद है अतः हर व्यक्ति को अनुबंध एवं उसके प्रावधानों की जानकारी होनी चाहिए, जिससे देश में स्वतंत्र रूप से व्यापार संचालित हो सकें और स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था की स्थापना हो सके ।
उपर्युक्त बातों एवं उदाहरणों के बल पर कहा जा सकता है, कि
दो पक्षों के बीच आपसी सहमति को कानूनी वैद्यता मिले और किसी तरह की अड़चन पर न्याय की समुचित व्यवस्था हो इसलिए अनुबंध अधिनियम अति आवश्यक है ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Thank you !