कोई ठहराव अनुबंध कब बनता है ? (When any Agreement Become Contract in Hindi)

 कोई ठहराव अनुबंध कब बनता है ? 
(When any Agreement Become Contract in Hindi)

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Agreemement Become Contract in Hindi


कोई ठहराव अनुबंध कब बनता है ?

कोई भी ठहराव अनुबंध कब बनता है, इसकी जानकारी के लिए ठहराव और अनुबंध दोनों की परिभाषाओं की विवेचना एवं उनके लक्षणों की व्याख्या अति आवश्यक है । अतः अनुबंध एवं ठहराव की परिभाषा एवं लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं ।


1. ठहराव :- Agreement in Hindi

ठहराव का परिचय :-  Introduction of Agreement in Hindi


किसी भी अनुबंध के लिए जब एक पक्षकार दूसरे पक्षकार के समक्ष प्रस्ताव रखता है और दूसरा पक्षकार नियमों एवं शर्तों के साथ उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो इस स्थिति को ठहराव कहा जाता है । 
अर्थात किसी निर्णय पर दो या दो से अधिक पक्षकारों की सहमति ही ठहराव है ।
भारतीय अनुबंध अधिनियम में ठहराव की अपनी अहम भूमिका है, क्योंकि ठहराव ही किसी अनुबंध को आधारभूत स्तंभ हैं। भारतीय अनुबंध अधिनियम के अनुसार एक ठहराव का राजनियम द्वारा प्रवर्तनशीलता अति आवश्यक है । .

ठहराव की परिभाषाएं :- Definitions of Agreement in Hindi


1. पोलाक के अनुसार :- ठहराव एक या एक से अधिक पक्षकार या पक्षकारों के लिए कार्य करने या ना करने का चिंतन है ।.

2. लीक के अनुसार :- ठहराव से आशय दो या दो व्यक्तियों के बीच सहमति से है । जो विषय - वस्तु के संबंध में एकमत होते हैं ।

3. भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2(e) के अनुसार :- प्रत्येक वचन या वचनों का प्रत्येक समूह जो एक दूसरे का प्रतिफल हो, ठहराव कहलाता है ।.

ठहराव, संक्षेप में ....
ठहराव = प्रस्ताव + स्वीकृति

ठहराव के लक्षण :- Feature of Agreement in Hindi


1. दो या दो से अधिक पक्षकार 
2. पारस्परिक सहमति 
3. वैधानिक संबंध 
4. पारस्परिक संवहन (संचार)
5. परिणाम
6. प्रस्ताव एवं स्वीकृति

ठहराव के प्रकार :- Types of Agreement in Hindi


1. वैधानिक ठहराव (Legal Agreement)
2. अवैध ठहराव (Illegal Agreement)
3. व्यर्थ ठहराव (Void Agreement)
4. व्यर्थनीय ठहराव (Voidable Agreement)
5. स्पष्ट ठहराव (Express Agreement)
6. गर्भित ठहराव (Implied Agreement)

2. अनुबन्ध :- (Contract in Hindi)

अनुबन्ध का अर्थ (Meaning of Contract in Hindi)

किसी भी विषय के निर्णय पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सहमति को अनुबंध कहा जाता है । यह सहमति व्यक्तियों के आलावा संस्थाओं, देशों या किसी भी देश के दो या दो से अधिक प्रांतों के बीच भी लिखित या मौखिक दोनों रूपों में हो सकता है। बशर्ते अनुबंध करते समय लिखित अनुबंध को ज्यादा मान्यता दी जाती है, क्योकि यह ज्यादा सुरक्षित होता है और भविष्य में साक्ष्य के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है।  

अनुबंध शब्द अंग्रेजी के Contract शब्द का हिन्दी रूपांतरण है । इस Contract शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Contractum शब्द से हुई है । जिसका अर्थ साथ मिलने से है । इस प्रकार दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किसी ठहराव के लिए मिलना ही अनुबंध है । इसे हिन्दी में संविदा या करार के नाम से भी जाना जाता है । वैधानिक रूप में दो या दो से अधिक पक्षकारों के बीच किए गए वे ठहराव जो राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय हैं, अनुबंध कहलाते हैं । 

अर्थात् , ऐसा ठहराव या सहमति जो पक्षकारों के बीच वैधानिक दायित्व एवं अधिकार की उत्पत्ति कराता हो, अनुबंध कहलाता है ।

उदाहरण :- यदि दिल्ली के किसी इलाके में पूल का निर्माण होना है, तो उस पूल के निर्माण के लिए ठेकेदार और सरकार के बीच वार्तालाप होगी जिसमें पूल की लागत कितनी होगी इसके लिए बजट बनाया जायेगा और उस निश्चित बजट पर सरकार और ठेकेदार दोनों अपनी सहमति देंगे । सहमति के रूप में दोनों पक्षकार लागत, काम पूरा करने की तिथि, निर्माण सामग्री की मात्रा, गुणवत्ता आदि को ध्यान में रखते हुए लिखित रूप में अपने अपने हस्ताक्षर करेंगे एवं मुहर लगाएंगे । इस स्थिति में यह अनुबंध कहलाएगा ।


अनुबन्ध की परिभषा :- Definiton of Contract in Hindi

परिभाषा :

विभिन्न समयों पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों एवं न्यायाधीशों के द्वारा अनुबंध के संबंध में तरह तरह की परिभाषाएं दी गई हैं । जिसमें से कुछ परिभाषाएं इस प्रकार से हैं :-

1. सॉलमंड के अनुसार :- अनुबंध एक ऐसा ठहराव है, जो पक्षकारों के मध्य दायित्व उत्पन्न करता है ।

2. सर विलियम एंसन के अनुसार :- अनुबंध दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किया गया एक ऐसा ठहराव है, जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है तथा जिसके द्वारा एक या एक से अधिक पक्षकार अथवा पक्षकारों के विरुद्ध किसी कार्य को करने या न करने के लिए कुछ अधिकार प्राप्त कर लेते हैं ।

3. सर फेडरिक पोलाक के अनुसार :- प्रत्येक ठहराव जो राजनियम के द्वारा प्रवर्तनीय है, अनुबंध कहलाता है ।

4. भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 2(H) के अनुसार :- ऐसा ठहराव जो राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय होता है, अनुबंध कहलाता है । 

वैध अनुबंध के लक्षण ( Feature of Valid Contract)

विभिन्न अर्थशास्त्रियों एवं न्यायाधीशों के साथ साथ भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2(H) के द्वारा दी गई परिभाषा के आधार पर एक वैध अनुबंध के आवश्यक लक्षण अपने आप उभर कर सामने आ जाते हैं, जो इस प्रकार से हो सकते हैं ।

1. प्रस्ताव एक स्वीकृति
2. ठहराव
3. दो या दो से अधिक पक्षकारों का होना 
4. वैधानिक संबंध स्थापित करने की इच्छा ।
5. पक्षकारों में अनुबंध की क्षमता 
6. पक्षकारों की स्वतंत्र सहमति 
7. न्यायोचित प्रतिफल
8. वैधानिक उद्देश्य
9. ठहराव का स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित न होना ।
10. ठहराव लिखित, प्रमाणित एवं रजिस्टर्ड होना ।


दोनों परिभाषाओं एवं लक्षणों का यदि सम्मिलित रूप से अध्ययन किया जाय तो किसी ठहराव ठहराव को अनुबंध बनने के लिए निम्न शर्तें आवश्यक हैं ।


1. दो या दो से अधिक पक्षकार 
2. पारस्परिक सहमति 
3. वैधानिक संबंध 
4. पारस्परिक संवहन
5. प्रस्ताव एवं स्वीकृति
6. पक्षकारों में अनुबंध करने की क्षमता 
7. स्वतंत्र सहमति 
8. न्यायोचित प्रतिफल 
9. वैधानिक उद्देश्य 
10. ठहराव का स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित न होना ।
11. ठहराव का लिखित, प्रमाणित एवं रजिस्टर्ड होना ।
12. अधिनियम द्वारा प्रवर्तनीय ।

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