पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन किसे कहते हैं ? Issue of Preference Shares in Hindi

पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन किसे कहते हैं ?
Issue of Preference Shares in Hindi

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पूर्वाधिकार अंशों के निर्गमन का अर्थ  :- Meaning of Issue of Preference Shares in Hindi


 कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 55 के अनुसार,

1. केवल शोध्य पूर्वाधिकार अंश ही निर्गमित किए जा सकते हैं ।
2. यदि कंपनी का पार्षद अंतर्नियम अधिकृत करता है, तो कंपनी ऐसे पूर्वाधिकार अंश निर्गत कर सकती है जो निर्गमन की तिथि से अधिकतम 20 वर्ष की अवधि के अंतर्गत शोध्य हों ।

आधारभूत अवसंरचना परियोजनाओं की दशा में कंपनी 20 वर्ष से अधिक में शोध्य पूर्वाधिकार अंश निर्गमित कर सकती है, लेकिन यह अवधि 30 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती ।

पूर्वाधिकार अंशों के निर्गमन की आवश्यक शर्तें :- Essential Conditions for Issue of Preference Shares


1. विशेष प्रस्ताव द्वारा पारित :- पूर्वाधिकार अंशों के निर्गमन के लिए यह आवश्यक है, कि कंपनी की सामान्य सभा में इसके लिए विशेष प्रस्ताव पारित किया जाए ।
2. भुगतान में चूक नहीं :- पूर्वाधिकार अंशों के ऐसे निर्गमन के समय कंपनी पर पूर्वाधिकार अंशों के शोधन या लाभांस के भुगतान के संबंध में कोई चूक न हुई हो ।
3. पार्षद अंतर्नियम में विवरण :- पूर्वाधिकार अंशों को निर्गत करने वाली कंपनी ऐसे अंशों के संबंध में नियमन की दृष्टि से पार्षद अंतर्नियम में निम्न मामलों को शामिल करेगी :- 
(a) समता अंशों की तुलना में लाभांश के भुगतान या पूंजी के पुनर्भुगतान के संबंध में प्राथमिकता ।
(b) आधिक्य लाभांश में भागीदारी ।
(c) समापन पर पूरी पूंजी के भुगतान के पश्चात बचने वाली संपत्तियों और लाभ में भागीदारी ।
(d) संचयी या गैर संचयी आधार पर लाभांश का भुगतान ।
(e) पूर्वाधिकार अंशों का समता अंशों में परिवर्तन ।
(f) मताधिकार
(g) पूर्वाधिकार अंशों का शोधन 

4. सदस्यों का रजिस्टर :- जब कंपनी पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन करती है, तो वहां धारा 88 के अंतर्गत रखा जाने वाला सदस्य रजिस्टर ऐसे पूर्वाधिकार अंशधारियों के संबंध में उनके विवरण के साथ रखना होगा ।
5. SEBI के नियमों का पालन :- कंपनी को पूर्वाधिकार अंशों का स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध कराने हेतु SEBI के सभी नियमों का पालन करना होगा ।

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