अंश निर्गमन की प्रक्रिया क्या है ? What is Procedure of Issue of Shares in Hindi ?

अंश निर्गमन की प्रक्रिया क्या है ?
What is Procedure of Issue of Shares in Hindi ?

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Ansh Nirgaman Ki Prakriya Hindi Me


अंश निर्गमन की प्रक्रिया :- Procedure of Issue of Shares 


सार्वजनिक कंपनी के पंजीकरण हो जाने के पश्चात जब कंपनी प्रविवरण के माध्यम से अंश जारी करती है, तो उस समय अंश निर्गमन हेतु निम्न प्रक्रिया हो सकती है ...

1. प्रविवरण का निर्गमन (Issue of Prospectus)
2. आवेदन पत्रों की प्राप्ति होना (To receive Application)
3. अंशों का आबंटन करना (To make Allotment of Shares) 
4. याचनाएं करना (To make Calls)


1. प्रविवरण का निर्गमन (Issue of Prospectus) :- 

पूंजी इकट्ठा करने के उद्देश्य से कंपनी सर्वप्रथम प्रविवरण जारी करके ही जनता को अंश खरीदने के लिए आमंत्रित करती है । इसमें कंपनी का नाम, उद्देश्य, सीमानियम पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का नाम उनका पता एवं व्यवसाय, संचालकों का नाम उनका पता एवं व्यवसाय, अधिकृत तथा निर्गमित अंश पूंजी, अंशों का मूल्य, निर्गमन की शर्तें आदि का उल्लेख रहता है । प्रविवरण को पढ़ने के उपरांत ही जनता कंपनी के अंशों को खरीदने या न खरीदने का निर्णय लेती है ।

2. आवेदन पत्रों की प्राप्ति होना (To recieve Application) :- 

कंपनी के अंशों को खरीदने के लिए जनता के द्वारा आवेदन निर्धारित होता है, जिसे आवेदक आवेदन फार्म भरकर आवश्यक राशि के साथ कंपनी को भेज देते हैं । कंपनी आवेदन की राशि को प्रविवरण में उल्लेखित बैंक में जमा कर देती है । आबंटन की कार्यवाही पूरी होने के बाद ही कंपनी इस राशि का उपयोग कर सकती है । 

3. अंशों का आबंटन करना (To make Allotment of Shares) :- 

जनता से प्राप्त आवेदन के बाद कंपनी के संचालक अंशों का आबंटन करते हैं । एक निजी कंपनी के लिए अंशों के आबंटन से संबंधित कोई प्रतिबंध नहीं है, जबकि प्रत्येक सार्वजनिक कंपनी को अंशों के आबंटन के पूर्व प्रविवरण में उल्लेखित न्यूनतम अभिदान (Minimum Subscription) राशि अवश्य प्राप्त कर लेनी चाहिए ।

4. याचनाएं करना (To make Calls) :-

 कंपनी अंशों की राशि को किस्तों / याचनाओं के द्वारा अंशधारी से मांगती है । संचालक सभा में याचनाओं की संख्या, राशि तथा समय का निर्धारण होता है ।


TABLE F

TABLE F के अनुसार याचनाओं के संबंध में निम्नलिखित नियम हैं....

(a) याचना की राशि अंश के अंकित मूल्य के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
(b) दो याचनाओं में कम से कम एक महीने का अंतर होना चाहिए ।
(c) प्रत्येक याचना की राशि के भुगतान के लिए कम से कम चौदह दिन का समय दिया जाना चाहिए ।
(d) याचना के पत्र में याचना की राशि, भुगतान का ढंग, राशि जमा करने वाले बैंक का नाम और राशि जमा करने की अंतिम तिथि दी हुई रहनी चाहिए ।
(e) समान श्रेणी के सभी अंशों पर मांग को एकसमान आधार पर मांगा जाना चाहिए ।


सेबी के अनुसार :- According to SEBI

याचना की संरचना इस प्रकार की जानी चाहिए, कि आबंटन की तिथि से 12 महीनों के अंदर सभी राशियां मांग ली जाएं । समता अंश तथा पूर्वाधिकार अंश दोनों के लिए लेखांकन की समान प्रक्रिया है । दोनों में अंतर करने के लिए प्रत्येक किस्त से पहले समता या पूर्वाधिकार अंश का प्रयोग किया जाएगा ।


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