कम्पनी का समापन किसे कहते हैं ?
Winding up of the Company in Hindi
कम्पनी का समापन का परिचय :- Introduction Winding up of the Company
चूंकि कंपनी का निर्माण कंपनी अधिनियम के द्वारा होता है, तो इसका समापन भी कंपनी अधिनियम के द्वारा हो होगा । कम्पनी का समापन (मृत्यु) प्राकृतिक व्यक्तियों की तरह नहीं होता क्योंकि कंपनी की परिभाषा Sec 2(20) में ही कहा गया है, कि यह एक कृत्रिम व्यक्ति है ।
अतः इसका समापन भी कृत्रिम व्यक्ति की तरह ही होगा ।
कम्पनी समापन की विधियां :- Methods of Winding up of the Company
कंपनी अधिनियम में कंपनी के समापन के लिए निम्न विधियों का उल्लेख किया गया है।
1. ट्रिब्यूनल के द्वारा समापन (कम्पनी अधिनियम 2013 में)
2. ऐच्छिक समापन (भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016)
1. ट्रिब्यूनल के द्वारा समापन (कम्पनी अधिनियम 2013 में) :- Winding up of the Company by Tribunal in Hindi
ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन निम्न परिस्थितियों में किया जा सकता है .....
- याचिका के आधार पर समापन :- याचिका के आधार पर ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन निम्न परिस्थितियों में किया जा सकता है ....
1. यदि कंपनी विशेष प्रस्ताव पास करके ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी के समापन की अनुमति दे दे ।
2. कम्पनी यदि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के विरुद्ध राष्ट्र की सुरक्षा के विरुद्ध, विदेशों में मित्रवत संबंधों के विरुद्ध, सार्वजनिक आदेशों या नैतिकता के विरुद्ध कोई काम करे तो ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन किया जा सकता है ।
3. यदि रजिस्ट्रार या इस अधिनियम के अंतर्गत केन्द्र सरकार के द्वारा अधिकृत किसी भी अन्य व्यक्ति के आवेदन पर ट्रिब्यूनल की यह राय हो कि कंपनी के क्रियाकलाप झूठे ढंग से हो रहे हैं या कंपनी का निर्माण धोखा एवं गैर कानूनी कार्यों के लिए हुआ है या कंपनी का निर्माण धोखा या गलत वस्तु दुर्व्यवहार से संबंधित किसी कार्य के लिए किया गया हो और यह उचित लगता हो, कि कंपनी का समापन कर देना चाहिए ।
4. यदि कंपनी ने रजिस्ट्रार को वित्तीय विवरण देने में कोई चूक की हो या वार्षिक प्रत्यय जो पिछले 5 वर्षों से धोखे पर आधारित हो ।
5. कम्पनी को यह राय हो, कि कंपनी का समापन करना ही उचित और न्याय संगत है ।
- कम्पनी समापन हेतु दावा :- कम्पनी समापन हेतु दावा निम्न के द्वारा किया जा सकता है ....
1. कम्पनी के द्वारा
2. किसी अंशदायी के द्वारा
3. रजिस्ट्रार के द्वारा
4. केन्द्र सरकार के द्वारा
5. केन्द्र सरकार के द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति के द्वारा
6. राष्ट्र के विरुद्ध किसी भी कार्यवाही में केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के द्वारा ।
अंशदायी के द्वारा दावा :- अंशदायी कंपनी के समापन का दावा प्रस्तुत करने का अधिकारी है । यदि उन अंशों जिनके संबंध में वह अंशदायी है वे उसे मूल रूप से आवंटित हो गए हों या फिर उसके अधिकार मे हों और दावा करने से 18 महीने के पहले की तारीख में लगभग 6 महीन तक अंश उस अंशदायी के पास हो जिसने दावा किया है, या फिर अंशदायी को अंश पूर्वधारक की मृत्यु के कारण उसे प्राप्त हुए हों।
दावा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक नहीं ....
1. अंशदायी पूर्णप्रदत्त अंशों को धारण करने वाला हो ।
2. कम्पनी के पास कोई भी संपत्ति न हो ।
3. दायित्वों के भुगतान के पश्चात कम्पनी के पास कोई भी बची हुई संपत्ति न हो, जो अमशधारियों में बांटा जा सके ।
रजिस्ट्रार के द्वारा दावा :- अधिनियम की धारा 271 के अनुसार उपधारा के वाक्य (a) या वाक्य (b) के आधारों / परिसिमाओं को छोड़कर रजिस्ट्रार कम्पनी पर समापन हेतु दावा करने का अधिकारी होता है ।
• रजिस्ट्रार को दावा प्रस्तुत करने से पूर्व सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी ।
• केन्द्र सरकार तब तक अपनी स्वीकृति नहीं देगी जब तक कि कंपनी को अपना प्रतिनिधित्व करने का एक उचित अवसर न प्रदान कर दिया जाए ।
कम्पनी के द्वारा किया गया दावा :- कम्पनी द्वारा ट्रिब्यूनल के समक्ष समापन प्रस्तुत करने का दावा उस समय स्वीकार किया जाएगा जब वह कार्यकलापों का विवरण इस प्रारूप के साथ दिया जाए जैसा कि निर्धारित किया गया हो ।
- रजिस्ट्रार के दावे की प्रति :- इस धारा के अंतर्गत किए गए दावे की प्रति रजिस्ट्रार को भी फाइल करनी होगी और रजिस्ट्रार किसी अन्य प्रावधानों का पक्षपात किए बिना ऐसे दावे की प्राप्ति से 60 दिनों के अंदर ट्रिब्यूनल को अपने विचार भेज देगा ।
ट्रिब्यूनल की शक्तियां (273) :- Power of Tribunal in Hindi
1. ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश :- भारतीय कम्पनी अधिनियम की धारा 272 के अन्तर्गत समापन का दावा प्राप्त होने पर ट्रिब्यूनल निम्न में से कोई भी आदेश पारित कर सकता है ।
(a). लागत सहित या लागत रहित आदेश को निरस्त कर सकता है ।
(b). ट्रिब्यूनल अपने अनुसार कोई भी आन्तरिक आदेश दे सकता है ।
(c). कम्पनी के समापन हेतु एक प्राविधिक समापक की समापक के आदेश तक नियुक्ति करना ।
(d). कम्पनी के समापन का आदेश व्यय सहित या व्यय रहित देना ।
(e). अन्य
2. आदेश पारित होने की समय - सीमा :- इस उपधारा के अंतर्गत दावा प्रस्तुतिकरण की तिथि से 90 दिनों के अंदर पारित किया जाना चाहिए ।
3. प्राविधिक समापक की नियुक्ति पर नोटिस :- अधिनियम के अनुसार एक प्राविधिक समापक की नियुक्ति से पूर्व ट्रिब्यूनल कंपनी को एक नोटिस देगा तथा प्रतिनिधित्व करने के लिए कम्पनी को एक उचित समय किसी विशेष कारण के होने की स्थिति में दिया जायेगा, जो लिखित रूप में ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी को दिया जाएगा ।
4. ट्रिब्यूनल समापन आदेश देने के लिए मना नहीं करेगा :- ट्रिब्यूनल कंपनी समापन का आदेश देने से इस कारण माना नही कर सकता कि, कम्पनी की संपत्तियों को उनकी राशि के बराबर या उनके अधिक पर बंधक रख दिया गया हो या कंपनी के पास किसी प्रकार की कोई संपत्ति न हो ।
5. ट्रिब्यूनल के द्वारा किसी उचित एवं न्यायोचित आधार पर किसी सुधार के आदेश देना :- जब कोई दावा इस बात पर किया गया हो, की यह उचित है, कि कंपनी का समापन कर दिया जाए तो भी ट्रिब्यूनल समापक को आदेश देने से इन्कार कर सकता है । यदि उसकी यह राय हो कि दावेदारों के लिए अन्य कोई उपाय उपलब्ध है और वह गैर कारण ढंग से कंपनी के समापन के लिए कह रहे हों बजाय इसके कि वह अन्य उपाय का पालन करें ।
कम्पनी समापक एवं उसकी नियुक्तियां :- Company Liquidator & Appointment of Company Liquidator
1. सरकारी समापक की नियुक्ति :- ट्रिब्यूनल के द्वारा कम्पनी के समापन के उद्देश्य से ट्रिब्यूनल समापन का आदेश पारित करते समय एक सरकारी समापक या कंपनी समापक की सूची में से किसी को भी समापक के रूप में नियुक्त कर सकता है ।
2. ट्रिब्यूनल द्वारा प्राविधिक समापक या कंपनी समापक की नियुक्ति :- प्राविधिक या कंपनी समापक के रूप में उन पेशेवर समापकों को नियुक्त किया जाएगा जो दिवालिया एवं दिवालियापन संहिता 2016 के अंतर्गत पंजीकृत हों ।
3. ट्रिब्यूनल प्राविधिक समापक की शक्तियों को सीमित कर सकता है :- जब ट्रिब्यूनल के द्वारा प्राविधिक समापक की नियुक्ति की गई हो तो ट्रिब्यूनल नियुक्ति के समय या उसके बाद भी आदेश के द्वारा प्राविधिक समापक की शक्तियों को सीमित कर सकता है । अन्यथा प्राविधिक समापक को भी सरकारी समापक जैसी शक्तियां प्राप्त होंगी ।
4. ट्रिब्यूनल के द्वारा प्राथमिक समापक की नियुक्ति एवं उसकी शक्तियों का वर्णन :- एक प्राविधिक समापक की नियुक्ति की दशा एवं शर्तों या कंपनी समापक की शर्तें तथा उसे देय फीस का निर्धारण ट्रिब्यूनल द्वारा उनको दिए गए कार्य अनुभव एवं योग्यता के आधार पर या कंपनी के आकार के आधार निर्भर होगी ।
5. नियुक्ति पर समापक द्वारा घोषणा दर्ज करना :- एक प्राकृतिक समापक या प्राविधिक समापक जैसी भी स्थिति हो, उनकी नियुक्ति पर ऐसे समापक की नियुक्त के 7 दिन के अंदर निर्धारित प्रारूप में एक घोषणा देनी होगी । जिसमें उसकी नियुक्ति के बारे में, हितों में, झगड़े या स्वतंत्रता के आभाव में यदि कोई हो, ट्रिब्यूनल के साथ एवं सेवा वचन उसकी नियुक्ति की अवधि के साथ तक चालू रहेगा ।
6. प्राविधिक समापक का समापक के रूप में नियुक्ति :- समापक आदेश पारित करते समय ट्रिब्यूनल उस स्थिति में प्राविधिक समापक की नियुक्ति करता है, जब समापक की नियुक्ति धारा 273 के उपधारा (1) के वाक्य (स) के अंतर्गत की गई हो । इस स्थिति में कम्पनी का प्राविधिक समापक ही कंपनी के समापक के रूप में समापन की प्रक्रिया को करेगा ।
कम्पनी समापक का निष्कासन :- Removal of Company Liquidator in Hindi
1. प्राविधिक समापक या कंपनी समापक को हटाना :- कंपनी ट्रिब्यूनल उचित कारण होने एवं लिखित रूप में कारण दिखाने पर प्राविधिक समापक या समापक जैसी भी स्थिति हो, को कम्पनी के समापक के पद से निम्न में से किसी भी आधार पर हटाया जा सकता है ।
(a). दुर्व्यवहार
(b). धोखा या गलत विवरण
(C). पेशेवर अयोग्यता या कंपनी अपनी शक्तियों के सदुपयोग एवं अपने कार्यों को उचित ढंग से सम्पन्न करने में असफल होने पर ।
(d). समापक / प्राविधिक समापक के द्वारा कार्य करने में अयोग्यता पाए जाने पर ।
(e). हितो में विरोधाभास या नियुक्ति की शर्त के दौरान स्वतंत्रता का अभाव होने पर, जो उसे हटाने के लिए पर्याप्त हो ।
2. समापक के कार्यों का हस्तांतरण :- मृत्यु होने, त्याग - पत्र देने या प्राविधिक समापक को हटाने की दशा में ट्रिब्यूनल कंपनी समापक को दिए गए कार्य को किसी दूसरे कम्पनी समापक को लिखित कारणों को रिकॉर्ड करने के बाद हस्तांतरित कर सकता है ।
3. समापक से हर्जाना या हानि की वसूली :- जहां पर ट्रिब्यूनल की ऐसी राय हो, कि कोई भी समापक कम्पनी की हानि या हर्जाने के लिए उत्तरदायी है, जो धोखे या गलत विवरण या पर्याप्त देखभाल न करने और अपनी शक्तियों एवं कार्यों को सही ढंग से पूरा न करने के कारण हो, तो ट्रिब्यूनल ऐसी स्थिति हानि या हर्जाने की पूर्ति समापक से करेगी और वह अन्य ऐसे आदेश पारित करेगा, जिसे वह उचित समझता हो।
4. प्राविधिक समापक को सुनवाई का उचित अवसर देना :- ट्रिब्यूनल इस धारा के अंतर्गत कोई आदेश पारित करने s पूर्व प्राविधिक समापक को या कंपनी समापक को जैसी भी स्थिति हो, सुनवाई का एक अवसर अवश्य प्रदान करेगा ।
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