कम्पनी समापन की विधियां :- ट्रिब्यूनल के द्वारा समापन
Methods of Winding up of the Company by Tribunal
Winding up of the Company by Tribunal in Hindi |
कम्पनी समापन की विधियां :- Methods of Winding up of the Company
कंपनी अधिनियम में कंपनी के समापन के लिए निम्न विधियों का उल्लेख किया गया है।
1. ट्रिब्यूनल के द्वारा समापन (कम्पनी अधिनियम 2013 में)
2. ऐच्छिक समापन (भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016)
1. ट्रिब्यूनल के द्वारा समापन (कम्पनी अधिनियम 2013 में) :- Winding up of the Company by Tribunal in Hindi
ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन निम्न परिस्थितियों में किया जा सकता है .....
- याचिका के आधार पर समापन :- याचिका के आधार पर ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन निम्न परिस्थितियों में किया जा सकता है ....
1. यदि कंपनी विशेष प्रस्ताव पास करके ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी के समापन की अनुमति दे दे ।
2. कम्पनी यदि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के विरुद्ध राष्ट्र की सुरक्षा के विरुद्ध, विदेशों में मित्रवत संबंधों के विरुद्ध, सार्वजनिक आदेशों या नैतिकता के विरुद्ध कोई काम करे तो ट्रिब्यूनल के द्वारा कंपनी का समापन किया जा सकता है ।
3. यदि रजिस्ट्रार या इस अधिनियम के अंतर्गत केन्द्र सरकार के द्वारा अधिकृत किसी भी अन्य व्यक्ति के आवेदन पर ट्रिब्यूनल की यह राय हो कि कंपनी के क्रियाकलाप झूठे ढंग से हो रहे हैं या कंपनी का निर्माण धोखा एवं गैर कानूनी कार्यों के लिए हुआ है या कंपनी का निर्माण धोखा या गलत वस्तु दुर्व्यवहार से संबंधित किसी कार्य के लिए किया गया हो और यह उचित लगता हो, कि कंपनी का समापन कर देना चाहिए ।
4. यदि कंपनी ने रजिस्ट्रार को वित्तीय विवरण देने में कोई चूक की हो या वार्षिक प्रत्यय जो पिछले 5 वर्षों से धोखे पर आधारित हो ।
5. कम्पनी को यह राय हो, कि कंपनी का समापन करना ही उचित और न्याय संगत है ।
- कम्पनी समापन हेतु दावा :- कम्पनी समापन हेतु दावा निम्न के द्वारा किया जा सकता है ....
1. कम्पनी के द्वारा
2. किसी अंशदायी के द्वारा
3. रजिस्ट्रार के द्वारा
4. केन्द्र सरकार के द्वारा
5. केन्द्र सरकार के द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति के द्वारा
6. राष्ट्र के विरुद्ध किसी भी कार्यवाही में केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के द्वारा ।
अंशदायी के द्वारा दावा :- अंशदायी कंपनी के समापन का दावा प्रस्तुत करने का अधिकारी है । यदि उन अंशों जिनके संबंध में वह अंशदायी है वे उसे मूल रूप से आवंटित हो गए हों या फिर उसके अधिकार मे हों और दावा करने से 18 महीने के पहले की तारीख में लगभग 6 महीन तक अंश उस अंशदायी के पास हो जिसने दावा किया है, या फिर अंशदायी को अंश पूर्वधारक की मृत्यु के कारण उसे प्राप्त हुए हों।
दावा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक नहीं ....
1. अंशदायी पूर्णप्रदत्त अंशों को धारण करने वाला हो ।
2. कम्पनी के पास कोई भी संपत्ति न हो ।
3. दायित्वों के भुगतान के पश्चात कम्पनी के पास कोई भी बची हुई संपत्ति न हो, जो अमशधारियों में बांटा जा सके ।
रजिस्ट्रार के द्वारा दावा :- अधिनियम की धारा 271 के अनुसार उपधारा के वाक्य (a) या वाक्य (b) के आधारों / परिसिमाओं को छोड़कर रजिस्ट्रार कम्पनी पर समापन हेतु दावा करने का अधिकारी होता है ।
• रजिस्ट्रार को दावा प्रस्तुत करने से पूर्व सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी ।
• केन्द्र सरकार तब तक अपनी स्वीकृति नहीं देगी जब तक कि कंपनी को अपना प्रतिनिधित्व करने का एक उचित अवसर न प्रदान कर दिया जाए ।
कम्पनी के द्वारा किया गया दावा :- कम्पनी द्वारा ट्रिब्यूनल के समक्ष समापन प्रस्तुत करने का दावा उस समय स्वीकार किया जाएगा जब वह कार्यकलापों का विवरण इस प्रारूप के साथ दिया जाए जैसा कि निर्धारित किया गया हो ।
- रजिस्ट्रार के दावे की प्रति :- इस धारा के अंतर्गत किए गए दावे की प्रति रजिस्ट्रार को भी फाइल करनी होगी और रजिस्ट्रार किसी अन्य प्रावधानों का पक्षपात किए बिना ऐसे दावे की प्राप्ति से 60 दिनों के अंदर ट्रिब्यूनल को अपने विचार भेज देगा ।
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