भारत में बैंकों का इतिहास या उदभव एवं विकास
History of Banks in India or Evolution and development
History of Banks in India : Evolution and development |
भारत में बैंकों के इतिहास या उदभव एवं विकास के बारे में जानने से पूर्व यह जानना अति आवश्यक हो जाता है, कि बैंक किसे कहते हैं ? तो सबसे पहले हम बैंकों के परिचय को समझ लेते हैं ।
बैंकों का परिचय (Introduction of Bank) :-
" बैंक एक प्रकार की वित्तीय संस्था है, जो ग्राहकों से जमा स्वीकार करती है तथा उन्हें ऋण देने के साथ-साथ साख निर्माण का काम भी करती है । "
वर्तमान समय में बैंकों का दायरा बढ़ गया है । आजकल बैंक जमा स्वीकार करने, ऋण देने, साख सृजन के साथ - साथ अन्य कार्य भी करती है, जो कुछ इस प्रकार है ....
1. बीमा करना (Insurance Work)
2. वित्तीय सलाह देना (Financial Assistance)
3. निवेश में सहायता (Help in Investment)
4. मुद्रा प्रबंधन आदि । (Money Management)
भारत में बैंकों का उदभव एवं विकास (Evolution and development of banks in India) :-
उपरोक्त बैंकों के परिचय में जो आपने अभी पढ़ा, यह आधुनिक बैंकों का परिचय है । जो पुरातन बैंकिंग प्रणाली से बिलकुल ही भिन्न और विकसित है । पुरातन समय में बैंकिंग व्यवस्था कैसी थी और भारत में बैंकिंग व्यवस्था में विकास कैसे हुआ ? अब हम आगे इसकी बात करते हैं ।
1. भारत में बैंकिंग व्यवस्था का उद्भव :- Evolution of Banking System in India
भारत में विशाल खनिज संपदा होने के कारण भारत का अन्य देशों के साथ बढ़ते व्यापार चलते विदेशी व्यापारी भी यहां आकर अपना व्यापार करने लगे । जिसमें पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड आदि थे । 1600 ईस्वी में भारत अंग्रेजो के आ जाने के बाद उन्होंने भारत के सभी वित्तीय सस्थाओं तथा अन्य गतिविधियों को धीरे-धीरे समझना शुरू किया और अंततः समूचे भारत में अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया |
भारत में अपना उपनिवेश स्थापित करने के बाद भारतीय संपदा से अर्जित धन के प्रबंधन एवं भारतीय अर्थव्यस्था को अपने अनुसार चलाने के लिए अंग्रेजों को एक ऐसी संस्था की आवश्यकता हुई, जो उनके लिए वित्तीय प्रबंधन का कार्य कर सके । तत्पश्चात 1770 ईस्वी में अलेक्जेंडर एंड कंपनी के द्वारा भारत में प्रथम बैंक की स्थापना कलकत्ता में की गई ।
2. भारत में बैंकिंग व्यवस्था का विकास :-Development of Banking System in India
भारत में बैंकिंग व्यवस्था का विकास निम्न चरणों में हुआ -
• प्रथम चरण (First Step- 1600 ईस्वी से 1800 ईस्वी तक ):-
• द्वितीय चरण (Second Step - 1806 ईस्वी से 1860 ईस्वी तक )
• तृतीय चरण (Third Step - 1862 ईस्वी से 1913 ईस्वी )
• चतुर्थ चरण (Fourth Step - 1913 ईस्वी से 1939 ईस्वी )
• अंतिम चरण (Last Step - आधुनिक बैंकिंग प्रणाली - Modern Banking System)
• प्रथम चरण (First Step) :-(1600 ईस्वी से 1800 ईस्वी तक ):- मूलतः भारत में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत 1770 ईस्वी में हुई, जब अलेक्जेंडर एंड कंपनी ने कलकत्ता में बैंक ऑफ हिंदुस्तान की स्थापना की | भारत में पहली कागजी मुद्रा इसी बैंक के द्वारा जारी की गयी थी | 1806 ईस्वी में इस बैंक को बंद कर दिया गया |
• द्वितीय चरण (Second Step):-(1806 ईस्वी से 1860 ईस्वी तक ):- इस दौरान भारत में बैंकिंग व्यवस्था चलाने हेतु अंग्रेजी सरकार के द्वारा तीन प्रेसीडेंसी बैंको की स्थापना गयी | जो इस प्रकार से हैं :-
1. बैंक ऑफ़ कलकत्ता (Bank of Calcutta) :- 2 जून 1806
2. बैंक ऑफ़ मद्रास (Bank of Madras) :- 1840
3. बैंक ऑफ़ बॉम्बे (Bank of Bombay) :- 1843
नोट :-1. उपरोक्त बैंको को ही प्रेसीडेंसी बैंक कहा गया जो आगे चलकर 1921 में इम्पीरियल बैंक के रूप में विलय हो गए |
नोट:-2. इम्पीरियल बैंक को 1 जुलाई 1955 में स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया के रूप में बदल दिया गया |
• तृतीय चरण (Third Step) :- (1862 ईस्वी से 1913 ईस्वी ) :- इस समयकाल में जिन बैंको की स्थापना हुई , वे निम्न है -
1. इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) :- 1865
2. पंजाब नैशनल बैंक (Punjab National Bank) :- 1894
3. पीपुल्स बैंक ऑफ़ इंडिया (Pupils Bank of India) :-1904
4. बैंक ऑफ़ बड़ौदा (Bank of Baroda) :- 12 जुलाई 1908
5. सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया (Central Bank of India) :- 21 दिसंबर 1911
6. बैंक ऑफ़ मैसूर (Bank of Masure) :- 1913
7. बैंक ऑफ़ इंडिया (Bank of India) :-1920
• चतुर्थ चरण (Fourth Step) :- ( 1913 ईस्वी से 1939 ईस्वी ):- इस दौरान मुख्यतः केंद्रीय बैंक की स्थापना हुई | भारत में बैंको की लगातार की असफलता के कारण वणिज्यिक व्यवस्था चरमरा गयी, अतः देश में केंद्रीय बैंक की आवश्यकता महसूस हुई, जो सभी बैंको पर समान रूप से नियंत्रण रख सके | केंद्रीय बैंक के रूप में "रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया" के उदभव के निम्न चरण हैं -
1. 1926 :- हिल्टन यंग कमीशन (रॉयल कमीशन) का गठन
2. 1927 :- उपरोक्त सिफारिस के आधार पर एक बिल विधान सभा में पेश किया गया | परन्तु पास नहीं हुआ |
3. 1933 :- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया बिल पेश किया गया |
4. 1934:- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया बिल पास हो गया और गवर्नर की सहमति मिल गयी |
5. 1935 :- 1 अप्रैल 1935 से 5 करोड़ की पूँजी साथ रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया स्थापित हुई |
नोट :- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की विस्तृत चर्चा हम अलग से करेंगे |
• अंतिम चरण (Last Step) :-(आधुनिक बैंकिंग प्रणाली - Modern Banking System):- आधुनिक बैंकिंग प्रणाली में निम्न श्रेणी के बैंक हैं ।
1. केंद्रीय बैंक (Central Bank)
2. व्यापारिक बैंक (Commercial Bank)
3. कृषि बैंक (Agricultural Bank)
4. विदेशी-विनिमय बैंक (Foreign Exchange Bank)
5. विकास बैंक (Development Bank)
6. बचत बैंक (Savings Bank)
7. पोस्ट-ऑफिस बैंक (Post Office Bank)
8. निवेश बैंक (Investment Bank)
9. आयात-निर्यात बैंक (Export - Import Bank)
निष्कर्ष (Conclusion) :-उपरोक्त तथ्य एवं चरण स्पष्ट रूप से भारत में बैंकिंग प्रणाली के विकास की कहानी सहज लहजे में बताते हैं । जिसमें बैंक ऑफ़ हिंदुस्तान , प्रेसिडेंसी बैंक तथा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना सराहनीय है |
© ASHISH COMMERCE CLASSES
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