बैंक किसे कहते हैं ? अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता
Banking in Hindi : Meaning, Definitions, Need or Importance
Banking in Hindi : Meaning, Definitions, Need or Importance |
बैंक का परिचय या अर्थ: - Introduction or meaning of Bank
सामान्य भाषा में जब कभी बैंक की बात की जाती है, तो एक ऐसी संस्था या कार्यालय का चलचित्र (फिल्म) हमारी आंखों के सामने दिखाई देने लगता है । जहां बहुत सारे लोग एक साथ इकट्ठा हैं, और जहां रुपए पैसे से संबंधित बहुत सारे काम ( अपने खाते में धन जमा करना, धन निकालना, पासबुक प्रिंट करना, ऋण लेना) उन सभी विभिन्न लोगों के द्वारा किए जा रहे हैं । इससे हमें यह अंदाजा लग जाता है, कि बैंक धन जमा करने, निकालने और ऋण अर्थात कर्ज देने वाली संस्था है । चूंकि बैंक केवल धन सम्बन्धी व्यवहार करती है अतः इसे वित्तीय संस्था भी कहा जा सकता है ।
• अतः संक्षेप रूप बैंक का परिचय यह हो सकता है, कि...
बैंक वह वित्तीय संस्था है, जो अपने ग्राहकों से जमा स्वीकार करती है, आवश्यकता पड़ने पर उनके द्वारा जमा किए गए पैसे को फिर उन्हें दे देती है और उन्हें ऋण देने के का काम भी करती है ।
• बैंकों के संबंध में अन्य जानकारियां (Other Information related to Bank) :-
"बैंक" शब्द इटली के बैंको से लिया गया है | विश्वस्तर पर प्रथम बैंक इटली के जेनेवा में 1406 में स्थापित किया गया था, जिसका नाम "बैंको दि सैन जिऑर्जियो" - सेंट जार्ज बैंक था |
भारत में बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत देशी बैंकरों तथा महाजनों से हुई । तत्पश्चात अंग्रेजी शासन व्यवस्था में भारत में बहुत सारे बैंक स्थापित किए गए ।
भारत में स्थापित पहले बैंक का नाम "बैंक ऑफ़ हिंदुस्तान" है । जिसकी स्थापना अलेक्जेंडर एंड कंपनी के द्वारा 1770 में कलकत्ता में की गई ।
अर्थशास्त्री क्राउथर के अनुसार बैंक :-
महान अर्थशास्त्री क्राउथर के अनुसार आधुनिक बैंको का पूर्वज सुनार तथा सुनारों को कहा गया | वे कहते हैं कि इन लोगों के पास मूल्यवान वस्तुएँ होती थी, जिसकी सुरक्षा हेतु उन्होंने कड़ी व्यवस्था की थी और जनता भी अपनी मूल्यवान वस्तुएं उन्हीं के पास रखती थी जिसके बदले में वे कुछ निर्धारित शुल्क लिया करते थे | यही से बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत हुई जो आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था के रूप में प्रदर्शित है |
बैंकों की परिभाषाएं: - Definitions of Bank in Hindi
बैंक की परिभाषाएं सभी विद्वानों और संस्थाओं ने अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग दिया है | जिनमें से कुछ परिभाषाएं निम्न हैं -
1. भारतीय बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 के अनुसार :- " बैंकिंग से तात्पर्य ऋण देने अथवा विनियोग के आशय से जनता से जमाएँ प्राप्त करना है जो कि मांग पर भुगतान योग्य होती है तथा चेक, ड्राफ्ट अथवा अन्य प्रकार की आज्ञा पर शोधनीय होती है ।"
2. अर्थशास्त्री सेयर्स के अनुसार :- " बैंक वह संस्था है, जिसके ऋणों को दूसरे व्यक्तियों के पारस्परिक भुगतान में विस्तृत मान्यता प्राप्त है |"
उचित परिभाषा :- " बैंक वह वित्तीय संस्था है, जो मुद्रा तथा साखपत्रों के विनिमय का व्यवसाय करने के साथ-साथ साख सृजन का कार्य करती है |"
बैंको की आवश्यकता :- Need or Importance of Banks in Hindi
कहा जाता है, कि " आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है ।"
तो यदि बैंकों की बात की जाय तो ये जानना भी अति आवश्यक हो जाता है, कि बैंकों की आवश्यकता या जरूरत क्यों है ? इसके परिप्रेक्ष्य में निम्न बातों का अध्ययन किया जा सकता है ।
1. बैंक धन, मूल्यवान वस्तुओं और साख-पत्रों को सुरक्षा प्रदान करती हैं ।
2. बैंक आवश्यकता पड़ने पर ऋण देती हैं ।
3. बैंक पूँजी के निवेश की जानकारी देती हैं ।
4. बैंक मुद्रा-स्फीति को नियंत्रित करने में सहायक हैं ।
5. बैंक सरकार की नीतियों के संचालन में सहायक का कार्य करती हैं ।
6. बैंक मौद्रिक-नीतियों का निर्माण करती हैं ।
7. बैंक रोजगार सृजन का कार्य करती हैं ।
8. बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहायक है ।
9. बैंक शिक्षा ऋण से शिक्षा स्तर को सुधारने में सराहनीय कार्य करती है ।
निष्कर्ष :-उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि बैंक प्रत्येक देश, संस्था, फर्म, कंपनी तथा मानव जीवन में बहुत ही अहमियत रखता है । बैंक ही सभी वित्तीय लेन-देन के स्रोत हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को समृद्धि के चरम स्तर तक पहुंचाने में सहायक हैं । अतः बैंक अति आवश्यक है ।
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