प्रविवरण किसे कहते हैं - PROSPECTUS IN HINDI
प्रविवरण से आशय :- MEANING OF PROSPECTUS IN HINDI
हर वह कंपनी जो सीमित दायित्व के अंतर्गत अंशों के द्वारा सीमित कंपनी है तथा शेयर बाजार में पंजीकृत है, या सूचीबद्ध है उसे प्रविवरण जारी करने का अधिकार होता है ।
प्रविवरण क्यों ? PROSPECTUS WHY ? (NEED OF PROSPECTUS IN HINDI)
कम्पनी के निर्माण के बाद प्रवर्तकों के सामने यह समस्या आ जाती है, कि कंपनी के द्वारा निर्धारित व्यवसाय को किस प्रकार से संचालित किया जाए । इसके लिए कम्पनी बैंकों से ऋण लेती है, परंतु कभी कभी कंपनी धन अर्थात पूंजी इकट्ठा करने हेतु जनता में प्रविवरण जारी करते है, जिसके द्वारा जनता को कम्पनी के द्वारा यह बताया जाता है, कि हमारी कंपनी की स्थिति इस प्रकार से है और कम्पनी के व्यवसाय को चलाने के लिए कम्पनी सभी को कम्पनी में हिस्सेदारी हेतु आमंत्रित करती है ।
प्रविवरण जारी करने के बाद जिन व्यक्तियों को अंश चाहिए होता है, वे कंपनी के सभी दस्तावेजों को देखते और समझते हैं और फिर कंपनी के पास अपनी इच्छानुसार आवेदन भेजते हैं । इसके बाद आवेदनकर्ताओं को कम्पनी अंश जारी कर देती और कंपनी का व्यवसाय सुचारू रूप से निर्धारित अंशधारिता के आधार पर चलने लगती है । प्रविवरण के द्वारा कंपनी ऋण पत्र भी जारी कर सकती है ।
प्रविवरण की परिभाषा :- DEFINITION OF PROSPECTUS IN HINDI
भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(70) के अनुसार :- प्रविवरण से आशय उस दस्तावेज से है जो प्रविवरण के रूप में जारी किया गया है तथा इसके अंतर्गत धारा 32 में रेड हेरिंग प्रविवरण या धारा 31 में शैल्फ प्रविवरण या ऐसी कोई सूचना परिपत्र, विज्ञापन या दस्तावेज भी हैं, जो किसी निगमित निकाय के किन्हीं प्रतिभूतियों के अभिदान क्रय करने के लिए जनता के पास प्रस्ताव भेजकर आमंत्रित करती है ।
प्रविवरण निर्गमन के उद्देश्य :- OBJECTIVES OF ISSUING OF PROSPECTUS
1. अंश खरीदने के लिए जनता को आमंत्रण ।
2. पूंजी इकट्ठा करना ।
3. कम्पनी के बारे में सूचना देना ।
4. ऋण की मांग ।
5. अधिकृत पूंजी के बारे में बताना ।
प्रविवरण के तत्व :- ELEMENTS OF PROSPECTUS IN HINDI
1. कम्पनी का नाम, स्थान, उद्देश्य आदि ।
2. कम्पनी के प्रवर्तकों का नाम ।
3. कम्पनी के अंशों का नाम ।
4. जारी किए जाने वाले अंशों की संख्या ।
5. कम्पनी के निदेशकों का विवरण ।
6. अंकेक्षको का विवरण ।
7. कम्पनी के अंतिम खातों का अंकेक्षण रिपोर्ट सहित विवरण ।
8. अंशों के लेने की स्थिति में निदेशकों के द्वारा दिए जाने वाले घन का विवरण ।
9. क्रेडिट रेटिंग ।
10. पूंजी संरचना ।
11. प्रबंधन ।
12. सहायक कम्पनियां ।
13. अंशों को जारी करने के नियम ।
14. पार्षद सीमा नियम का उल्लेख ।
15. पार्षद अंतर्नियम के महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख ।
16. प्रविवरण के संबंध में कंपनी की घोषणा ।
प्रविवरण के प्रकार :- TYPES OF PROSPECTUS IN HINDI
1- Deemed Prospectus – Deemed prospectus कंपनी अधिनियम 2013 के सेक्शन 25 (1) के अंतर्गत आता है|
2- Red Herring Prospectus – रेड हैरिंग प्रस्पेक्टस में ऐसी बात बताई जाती है जो निवेशक को निवेश करने से पहले अवश्य ही पता होनी चाहिए|
जैसे कंपनी मार्केट से कितना फंड इकट्ठा करना चाहती है?
किसी भी कंपनी को अपने IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग) से पहले SEBI के सामने Red Herring Prospectus सेबी को फाइल करना अनिवार्य है|
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा इस RHP (Red Herring Prospectus) का बहुत ही ध्यान पूर्वक अध्ययन किया जाता है|
किसी महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब मिलने के उपरांत जब से भी संतुष्ट हो जाती है तो वह क्लीनचिट दे देती है| यानि की यह कंपनी की जीवनी
3- Shelf prospectus – Shelf prospectus कंपनी अधिनियम 2013 के सेक्शन 31 के अंतर्गत आता है|
4- Abridged Prospectus –
© ASHISH COMMERCE CLASSES
THANK YOU.
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Thank you !