आय के स्रोत हिन्दी में - Heads of Income in Hindi

आय के शीर्ष [Heads of Income]


Aay ke srot hindi me - Heads of income, heads of income in hindi, heads of income tax in hindi, आय के स्रोत लिखिए, aay ke srot in hindi, income taxभारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार किसी भी व्यक्ति, साथ, संस्था, कम्पनी और फर्म को कर भरना अनिवार्य है, यदि वह करदाता है अर्थात कर भरने के दायरे में आता है, तो |  आय पर कर भरने के लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है, कि किन किन आयों पर कर भरना है |   जिन आय के स्रोतों पर करदाता को कर भरना होता है, उसे आय के शीर्ष कहा जाता है |  भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार किसी भी करदाता को निम्न शीर्षों पर आय भरना होता है |  1. वेतन से आय [Income from Salary] 2. मकान संपत्ति से आय - [Income from House Property] 3. व्यवसाय व पेशे से आय - [Income from Business & Profession] 4.पूँजी लाभ से आय - [Income from Capital gain] 5.अन्य स्रोतों से आय - [Income from Other Sources]   1. वेतन से आय [Income from Salary]  वेतन से आय का तात्पर्य किसी भी कर्मचारी को नियोक्ता या मालिक से मिलने वाले वेतन से है | जिस पर भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार कर का निर्धारण होता है |   किसी भी भुगतान को वेतन के रूप में गणना करने से पहले निम्न बिंदुओं पर ध्यान रखना अति आवश्यक है |  1.नियोक्ता कर्मचारी संबंध [Employer - Employee relationship] :- भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार केवल उसी भुगतान को वेतन माना जाएगा, जो किसी कर्मचारी को उसके नियोक्ता के द्वारा उसकी सेवाओं के बदले में मिले | इसी संबंध को नियोक्ता - कर्मचारी संबंध कहते हैं |  2. रोजगार पूर्णकालिक [Fulltime] या अल्पकालिक [Part time] हो सकता है :- यदि कोई कर्मचारी एक से अधिक नियोक्ताओं के पास अपनी सेवा देता है अर्थात कार्य करता है, तो उस अवस्था में प्रत्येक नियोक्ता के द्वारा मिलने वाला भुगतान वेतन की श्रेणी में आएगा और उस वेतन पर आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कर लगेगा |  3. वेतन का त्याग :- यदि किसी नियोक्ता के द्वारा देय वेतन को कर्मचारी के द्वारा त्याग दिया गया अर्थात नहीं लिया गया, तब उस स्थिति में निर्धारित भुगतान को कर दायित्व की श्रेणी में शामिल किया जाएगा |  साधारण शब्दों में :- यदि किसी कर्मचारी का वेतन 20,000 है, लेकिन उसने उस वेतन को अपने लिए न लेकर किसी संस्था को दान कर दिया, तो उस स्थिति में संस्था को भुगतान राशि वेतन नहीं माना जाएगा, परन्तु इसको उस कर्मचारी की आय मानकर आयकर अधिनियम की धारा 80G में कर्मचारी को उतने भुगतान तक का छूट दे दिया जाएगा |   4. वेतन का समर्पण [Surrender of Salary] :- यदि कोई कर्मचारी प्राप्त वेतन को अपनी इच्छानुसार केंद्रीय सरकार को दे देता है, तो उस स्थिति में देय राशि को वेतन नहीं माना जाएगा |  5. कर मुक्त वेतन [Tax Free & Paid by Employee / Salary Paid Tax Free] :- यदि कर्मचारी को प्राप्त वेतन पर नियोक्ता ने कर अदा कर दिया अर्थात नियोक्ता नियोक्ता ने कर का भार वहन कर लिया, तो इस दशा में कर्मचारी को कर नहीं देना होगा और यह कर मुक्त वेतन माना जायेगा |   वेतन से आशय या अर्थ [Meaning of Salary]  भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार कर्मचारी को प्राप्त मौद्रिक और गैर मौद्रिक प्रकार की सुविधाओं को वेतन माना जायेगा |  अधिनियम की धारा 17(1) के अनुसार वेतन में सम्मिलित हैं :-  1. मजदूरी 2. पेंशन या वार्षिकी 3.अनुतोषित या उपदान 4.कमीशन, किसी भी प्रकार का शुल्क, वेतन या मजदूरी के बदले मिलने वाला अनुलाभ | 5.अग्रिम वेतन 6.अवकाश के बदले वेतन 7. भविष्य निधि 8.पेंशन स्कीम के अनुसार केंद्र सरकार या किसी नियोक्ता के द्वारा कर्मचारी को प्राप्त        मौद्रिक योगदान या लाभ |   मकान संपत्ति से आय [Income From House Property]  मकान संपत्ति से आय से तात्पर्य मकान मालिक को प्राप्त उस आय से है, जो किरायेदार के द्वारा मकान मालिक को दिया जाता है |   मकान सम्पत्ति से आय की महत्वपूर्ण शर्ते या परिस्थितियां [Conditions related to chargeability of tax I respect of house Property]  1. सम्पत्ति किसी भवन/ इमारत हो या फिर भवन/इमारत से जुड़ा हो |  (A) भवन / इमारत में सम्मिलित हैं :- 1. आवासीय मकान 2. व्यवसायिक मकान   (B) भवन से जुड़ी भूमि में शामिल हैं :- 1. बगीचा 2. यानशाला या गैराज आदि  2. निर्धारिति / कर देने वाला हमेशा भवन या सम्पत्ति का मालिक होना चाहिए |  3. सम्पत्ति का प्रयोग सम्पत्ति के मालिक के द्वारा किसी प्रकार से व्यवसायिक कार्यों में         इस्तेमाल नहीं होना चाहिए |यदि ऐसा होता है तो उस संपत्ति को व्यवसायिक सम्पत्ति       मानकर अलग से दूसरे शीर्ष [व्यवसाय व पेशे से आय] में जोड़ दिया जाएगा |  4. यदि मकान मालिक के द्वारा मकान को बेचने के लिए रखा गया है, तो उसपे दो साल तक कोई कर नही लगेगा, फिर दो साल बाद उसे मकान से प्राप्त सम्पत्ति में जोड़ दिया जाएगा |   व्यवसाय व पेशे से आय [Income From Business & Profession]  अर्थ (Meaning)  व्यवसाय व पेशे से आय का तात्पर्य उस प्रकार के आय से है, जो व्यवसायिक या पेशेगत कार्यों से मिलता है |  भारतीय आयकर अधिनियम के अनुसार व्यवसाय व पेशे से तात्पर्य :-  व्यवसाय [Business]  अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार :- व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन या कोई ऐसा कार्य जो व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति का हो |  साधारण शब्दों में :- अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार व्यवसाय के अंतर्गत व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन और इन तीनों व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति के सभी कार्य शामिल हैं |  पेशा [Profession]  अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार :-  पेशे से तात्पर्य उद्यम से है |  अर्थात.... पेशे से तात्पर्य उस प्रकार की उपजीविका से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता या ज्ञान से धन या आय अर्जन किया जाता है |   साधारण शब्दों में :- पेशे से तात्पर्य आजीविका के उस साधन या घटक से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता, ज्ञान या तार्किक क्षमता की आवश्यकता धन अर्जन के लिए होती है |  जैसे :- डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, एडवोकेट, लेखक आदि |  अधिनियम की धारा 2(36) में पेशे को उद्यम के रूप में बताया गया है |  लाभ [Profits]  किसी भी व्यवसाय का पेशे का उद्देश्य लाभ कमाना जरूर होता है, उसी दृष्टि से आयकर अधिनियम में लाभ को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है |  1. लाभ नकद या फिर किसी अन्य रूप में भी हो सकता है :- लाभ को नकद (Cash) के रूप में या फिर अन्य रूप में जैसे नकद के मूल्य के बराबर वाली संपत्ति के रूप में किया जा सकता है |  2. पूँजी स्वीकार पत्र या पूँजी रसीद :- पूँजी स्वीकार पत्र को सामान्यतः लाभ का निर्धारण करते समय नही लिया जाता है |  3. स्वैच्छिक प्राप्तियाँ :- यदि किसी व्यक्ति को एक ऐसी धनराशि उसके व्यवसायिक कार्यकाल के दौरान प्राप्त होती है, जिसे प्राप्त करने का अधिकार उसके प्राप्त नहीं है, परन्तु फिर भी वह उस धनराशि को अपनी इच्छानुसार ले लेता है, तो उसे स्वैच्छिक प्राप्तियों की श्रेणी में रखा जाएगा और प्राप्त धनराशि पर कर लगाया जाएगा |  उदाहरण :- यदि किसी व्यवसायी को उसकी दुकान पर किसी अपरिचित व्यक्ति ने ₹ 10,00,000 दिया, परन्तु वह व्यक्ति व्यवसायी का किसी भी तरह से ग्राहक नहीं है | तो फिर भी व्यवसायी को प्राप्त धनराशि पर कर देना पड़ेगा |  4. आय की कानूनी वैधता :- यदि किसी व्यवसाय को किसी अवैधानिक तरीके से कोई लाभ प्राप्त होता है, तब भी प्राप्त आय पर कर लगेगा, क्योंकि कर के निर्धारण में आय की अवैधता शामिल नहीं है |  5. अलग - अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना :- अलग अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना भी अलग अलग ही की जायेगी | लेकिन कर निर्धारण के समय प्राप्त कर योग्य राशि को एकत्रित करके कर का निर्धारण किया जाएगा और उसी के हिसाब से कर का निर्धारण होगा और साथ ही साथ सभी अायों पर एक साथ लगेगा |  6. लाभ की गणना :- अधिनियम के अनुसार लाभ का निर्धारण सभी प्रकार की हानियों और खर्चों को आय से घटाकर किया जाएगा |    4.पूंजी लाभ से आय [Income From Capital gain]  परिचय :-   पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो पूंजीगत संपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त होता है | जब किसी संपत्ति ( जमीन जायदाद, अंश, बांड आदि ) को किसी व्यक्ति संस्था या कंपनी के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति, संस्था और कंपनी को हस्तांतरित ( transfer ) किया जाता है, तब उस स्थिति में पूंजी लाभ ( Capital Gain ) होता है, जो भारतीय आयकर अधिनियम के कर के दायरे में आता है |  अधिनियम की धारा 45 के अनुसार :- पूंजीगत परिसंपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त लाभ पूंजी लाभ कहलाता है | कर निर्धारण वर्ष के पिछले साल में हुए लाभ को पूंजीगत लाभ में शामिल किया जाता है |  अधिनियम के द्वारा दी गई परिभाषाओं में दो चर्चाएं प्रमुख हैं | 1. पूंजीगत परिसंपत्तियां 2. पूंजीगत परिसंपत्तियों का हस्तांतरण  अतः संक्षेप में समझा जा सकता है, कि पूंजीगत संपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त आय या लाभ पूंजी लाभ है |   पूंजीगत संपत्तियां :-  पूंजीगत संपत्तियों से तात्पर्य उन संपत्तियों से है, जो पूंजी लाभ को उत्सर्जित करती हैं |  आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अनुसार :- पूंजीगत परिसंपत्तियों से तात्पर्य है :-  1. किसी भी प्रकार की संपत्ति जो किसी कर निर्धारिती (Assessee) के कब्जे में हो,       चाहे उस संपत्ति का संबंध व्यवसाय या पेशे से हो या ना हो |  2. कोई भी प्रतिभूतियां ( Securities ) जो किसी विदेशी संस्थागत निवेशक के पास हो |  लेकिन पूंजीगत परिसंपत्तियों में शामिल नही हैं .....  1. बिक्री माल ( चाहे वह कच्चा माल हो, अर्धनिर्मित उत्पाद (Stock in Trade) हो, या     पूर्णतः निर्मित उत्पाद हो |  2. चल संपत्ति ( व्यक्तिगत या निजी उपयोग में आने वाली संपत्तियां जो कर निर्धारिती या   उसके किसी परिवार के किसी सदस्य के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा हो |   लेकिन :- गहनें, पेंटिंग, मूर्तियां, पुरातत्व संग्रहण सहित वे सभी जो किसी विशेष कला के द्वारा उत्पादित होती हैं |  3. भारत में स्थित खेती योग्य भूमि  4. स्वर्ण जमा बॉन्ड :- स्वर्ण जमा योजना 1999 और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना 2015 के अंतर्गत जारी किए गए जमा प्रमाणपत्र और केंद्र सरकार के द्वारा अधिसूचित स्वर्ण मुद्रीकरण योजना 2018.  5. केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए विशिष्ट वाहक बॉन्ड 1991.  6. विशिष्ट स्वर्ण बॉन्ड :- केन्द्र सरकार के द्वारा जारी किए 6 1/2% स्वर्ण बॉन्ड 1977 या 7% स्वर्ण बॉन्ड 1980 या राष्ट्रीय सुरक्षा स्वर्ण बॉन्ड 1980.  Short term and Long term Capital Gain. लघु अवधि पूंजी लाभ एवं दीर्घकालिक पूंजी लाभ  लघु अवधि पूंजी लाभ:-   भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 2(42A) के अनुसार :- लघु अवधि पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो हस्तांतरण दिनांक से 36 महीने से कम अवधि का हो |  दीर्घकालिक पूंजी लाभ :-   भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 2(42A) के अनुसार :- दीर्घकालिक पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो किसी लघु अवधि पूंजी लाभ नहीं है |  साधारण शब्दों में :- वह संपत्ति जिसकी अवधि 36 महीने से अधिक अवधि की होती है उसे दीर्घकालिक पूंजी लाभ कहते हैं |   5. अन्य स्रोतों से आय (Income from other sources) भारतीय कंपनी अधिनियम 1961 के अनुसार :- अन्य स्रोतों से आय का तात्पर्य उस आय से है जो निम्न शीर्षो में शामिल नहीं हैं |  1. वेतन से आय 2. मकान संपत्ति आय 3. व्यवसाय और पेशे से आय 4. पूंजी लाभ से आय  साधारण भाषा में :- अन्य स्रोतों से आय से तात्पर्य उस आय से है, जो वेतन, मकान संपत्ति, व्यवसाय एवं पेशे सहित पूंजी लाभ के अलावा अन्य स्रोतों से प्राप्त होता है |  उदाहरण :- लाभांश (Dividend) आकस्मिक आय (लॉटरी, घुड़ दौड़ ) ब्याज आदि |  अन्य स्रोतों से प्राप्त आय में शामिल हैं :-  1. लाभांश से आय 2. अकास्मिक आय 3. प्रतिभूतियों पर ब्याज से आय 4. फर्नीचर, मशीनों, संयंत्रों के भाड़े से प्राप्त आय  5. बैंकों से प्राप्त ब्याज 6. रॉयल्टी से आय 7. भारत से बाहरी कृषि से आय  8. कर वापसी पर प्राप्त आय 9. किसी निवेश से आय 10. उपहार से आय |
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Note :- यह लेख पूर्ण रूप से Finance Act 2021 के अनुसार संशोधित है। सभी पाठक  एवं विद्यार्थी बेझिझक इस प्रयोग अपने पठन पाठन में कर सकते हैं। 

आय के स्रोत हिन्दी में - Heads of Income in Hindi

भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार किसी भी व्यक्ति, साथ, संस्था, कम्पनी और फर्म को कर भरना अनिवार्य है, यदि वह करदाता है अर्थात कर भरने के दायरे में आता है, तो |

आय पर कर भरने के लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है, कि किन किन आयों पर कर भरना है | 

जिन आय के स्रोतों पर करदाता को कर भरना होता है, उसे आय के शीर्ष कहा जाता है |

भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार किसी भी करदाता को निम्न शीर्षों पर आय भरना होता है |

1. वेतन से आय [Income from Salary]
2. मकान संपत्ति से आय - [Income from House Property]
3. व्यवसाय व पेशे से आय - [Income from Business & Profession]
4.पूँजी लाभ से आय - [Income from Capital gain]
5.अन्य स्रोतों से आय - [Income from Other Sources]


1. वेतन से आय [Income from Salary]


वेतन से आय का तात्पर्य किसी भी कर्मचारी को नियोक्ता या मालिक से मिलने वाले वेतन से है | जिस पर भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार कर का निर्धारण होता है | 

किसी भी भुगतान को वेतन के रूप में गणना करने से पहले निम्न बिंदुओं पर ध्यान रखना अति आवश्यक है |

1.नियोक्ता कर्मचारी संबंध [Employer - Employee relationship] :- भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार केवल उसी भुगतान को वेतन माना जाएगा, जो किसी कर्मचारी को उसके नियोक्ता के द्वारा उसकी सेवाओं के बदले में मिले | इसी संबंध को नियोक्ता - कर्मचारी संबंध कहते हैं |

2. रोजगार पूर्णकालिक [Fulltime] या अल्पकालिक [Part time] हो सकता है :- यदि कोई कर्मचारी एक से अधिक नियोक्ताओं के पास अपनी सेवा देता है अर्थात कार्य करता है, तो उस अवस्था में प्रत्येक नियोक्ता के द्वारा मिलने वाला भुगतान वेतन की श्रेणी में आएगा और उस वेतन पर आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कर लगेगा |

3. वेतन का त्याग :- यदि किसी नियोक्ता के द्वारा देय वेतन को कर्मचारी के द्वारा त्याग दिया गया अर्थात नहीं लिया गया, तब उस स्थिति में निर्धारित भुगतान को कर दायित्व की श्रेणी में शामिल किया जाएगा |

साधारण शब्दों में :- यदि किसी कर्मचारी का वेतन 20,000 है, लेकिन उसने उस वेतन को अपने लिए न लेकर किसी संस्था को दान कर दिया, तो उस स्थिति में संस्था को भुगतान राशि वेतन नहीं माना जाएगा, परन्तु इसको उस कर्मचारी की आय मानकर आयकर अधिनियम की धारा 80G में कर्मचारी को उतने भुगतान तक का छूट दे दिया जाएगा | 

4. वेतन का समर्पण [Surrender of Salary] :- यदि कोई कर्मचारी प्राप्त वेतन को अपनी इच्छानुसार केंद्रीय सरकार को दे देता है, तो उस स्थिति में देय राशि को वेतन नहीं माना जाएगा |

5. कर मुक्त वेतन [Tax Free & Paid by Employee / Salary Paid Tax Free] :- यदि कर्मचारी को प्राप्त वेतन पर नियोक्ता ने कर अदा कर दिया अर्थात नियोक्ता नियोक्ता ने कर का भार वहन कर लिया, तो इस दशा में कर्मचारी को कर नहीं देना होगा और यह कर मुक्त वेतन माना जायेगा |


वेतन से आशय या अर्थ [Meaning of Salary]


भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार कर्मचारी को प्राप्त मौद्रिक और गैर मौद्रिक प्रकार की सुविधाओं को वेतन माना जायेगा |

अधिनियम की धारा 17(1) के अनुसार वेतन में सम्मिलित हैं :-

1. मजदूरी
2. पेंशन या वार्षिकी
3.अनुतोषित या उपदान
4.कमीशन, किसी भी प्रकार का शुल्क, वेतन या मजदूरी के बदले मिलने वाला अनुलाभ |
5.अग्रिम वेतन
6.अवकाश के बदले वेतन
7. भविष्य निधि
8.पेंशन स्कीम के अनुसार केंद्र सरकार या किसी नियोक्ता के द्वारा कर्मचारी को प्राप्त        मौद्रिक योगदान या लाभ |


मकान संपत्ति से आय का अर्थ - Meaning of Income from House Property

मकान संपत्ति से आय से तात्पर्य मकान मालिक को प्राप्त उस आय से है, जो किरायेदार के द्वारा मकान मालिक को दिया जाता है |


मकान सम्पत्ति से आय की महत्वपूर्ण शर्ते या परिस्थितियां
[Conditions related to chargeability of tax I respect of house Property]

1. सम्पत्ति किसी भवन/ इमारत हो या फिर भवन/इमारत से जुड़ा हो |

(A) भवन / इमारत में सम्मिलित हैं :-
1. आवासीय मकान
2. व्यवसायिक मकान 

(B) भवन से जुड़ी भूमि में शामिल हैं :-
1. बगीचा
2. यानशाला या गैराज आदि

2. निर्धारिति / कर देने वाला हमेशा भवन या सम्पत्ति का मालिक होना चाहिए |

3. सम्पत्ति का प्रयोग सम्पत्ति के मालिक के द्वारा किसी प्रकार से व्यवसायिक कार्यों में         इस्तेमाल नहीं होना चाहिए |यदि ऐसा होता है तो उस संपत्ति को व्यवसायिक सम्पत्ति       मानकर अलग से दूसरे शीर्ष [व्यवसाय व पेशे से आय] में जोड़ दिया जाएगा |

4. यदि मकान मालिक के द्वारा मकान को बेचने के लिए रखा गया है, तो उसपे दो साल तक कोई कर नही लगेगा, फिर दो साल बाद उसे मकान से प्राप्त सम्पत्ति में जोड़ दिया जाएगा |



व्यवसाय व पेशे से आय [Income From Business & Profession]


व्यवसाय व पेशे से आय का अर्थ (Meaning of Income from Business & Profession)


व्यवसाय व पेशे से आय का तात्पर्य उस प्रकार के आय से है, जो व्यवसायिक या पेशेगत कार्यों से मिलता है |

भारतीय आयकर अधिनियम के अनुसार व्यवसाय व पेशे से तात्पर्य :- Income from Business & Profession as per Income tax Act 

व्यवसाय [Business]


अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार :- व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन या कोई ऐसा कार्य जो व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति का हो |

साधारण शब्दों में :- अधिनियम की धारा 2(13) के अनुसार व्यवसाय के अंतर्गत व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन और इन तीनों व्यापार, वाणिज्य और उत्पादन की प्रकृति के सभी कार्य शामिल हैं |

पेशा [Profession]


अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार :-  पेशे से तात्पर्य उद्यम से है | 
अर्थात.... पेशे से तात्पर्य उस प्रकार की उपजीविका से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता या ज्ञान से धन या आय अर्जन किया जाता है | 

साधारण शब्दों में :- पेशे से तात्पर्य आजीविका के उस साधन या घटक से है, जिसमें किसी विशेष प्रकार की विद्वता, ज्ञान या तार्किक क्षमता की आवश्यकता धन अर्जन के लिए होती है |

जैसे :- डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, एडवोकेट, लेखक आदि |

अधिनियम की धारा 2(36) में पेशे को उद्यम के रूप में बताया गया है |

लाभ [Profits]


किसी भी व्यवसाय का पेशे का उद्देश्य लाभ कमाना जरूर होता है, उसी दृष्टि से आयकर अधिनियम में लाभ को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है |

1. लाभ नकद या फिर किसी अन्य रूप में भी हो सकता है :- लाभ को नकद (Cash) के रूप में या फिर अन्य रूप में जैसे नकद के मूल्य के बराबर वाली संपत्ति के रूप में किया जा सकता है |

2. पूँजी स्वीकार पत्र या पूँजी रसीद :- पूँजी स्वीकार पत्र को सामान्यतः लाभ का निर्धारण करते समय नही लिया जाता है |

3. स्वैच्छिक प्राप्तियाँ :- यदि किसी व्यक्ति को एक ऐसी धनराशि उसके व्यवसायिक कार्यकाल के दौरान प्राप्त होती है, जिसे प्राप्त करने का अधिकार उसके प्राप्त नहीं है, परन्तु फिर भी वह उस धनराशि को अपनी इच्छानुसार ले लेता है, तो उसे स्वैच्छिक प्राप्तियों की श्रेणी में रखा जाएगा और प्राप्त धनराशि पर कर लगाया जाएगा |

उदाहरण :- यदि किसी व्यवसायी को उसकी दुकान पर किसी अपरिचित व्यक्ति ने ₹ 10,00,000 दिया, परन्तु वह व्यक्ति व्यवसायी का किसी भी तरह से ग्राहक नहीं है | तो फिर भी व्यवसायी को प्राप्त धनराशि पर कर देना पड़ेगा |

4. आय की कानूनी वैधता :- यदि किसी व्यवसाय को किसी अवैधानिक तरीके से कोई लाभ प्राप्त होता है, तब भी प्राप्त आय पर कर लगेगा, क्योंकि कर के निर्धारण में आय की अवैधता शामिल नहीं है |

5. अलग - अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना :- अलग अलग व्यवसायों से प्राप्त आय की गणना भी अलग अलग ही की जायेगी | लेकिन कर निर्धारण के समय प्राप्त कर योग्य राशि को एकत्रित करके कर का निर्धारण किया जाएगा और उसी के हिसाब से कर का निर्धारण होगा और साथ ही साथ सभी अायों पर एक साथ लगेगा |

6. लाभ की गणना :- अधिनियम के अनुसार लाभ का निर्धारण सभी प्रकार की हानियों और खर्चों को आय से घटाकर किया जाएगा |

4.पूंजी लाभ से आय [Income From Capital gain]


पूंजी लाभ से आय का परिचय एवं अर्थ  :- Introduction & Meaning of Income from Capital Gain   


पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो पूंजीगत संपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त होता है | जब किसी संपत्ति ( जमीन जायदाद, अंश, बांड आदि ) को किसी व्यक्ति संस्था या कंपनी के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति, संस्था और कंपनी को हस्तांतरित ( transfer ) किया जाता है, तब उस स्थिति में पूंजी लाभ ( Capital Gain ) होता है, जो भारतीय आयकर अधिनियम के कर के दायरे में आता है |

अधिनियम की धारा 45 के अनुसार :- पूंजीगत परिसंपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त लाभ पूंजी लाभ कहलाता है | कर निर्धारण वर्ष के पिछले साल में हुए लाभ को पूंजीगत लाभ में शामिल किया जाता है |

अधिनियम के द्वारा दी गई परिभाषाओं में दो चर्चाएं प्रमुख हैं |
1. पूंजीगत परिसंपत्तियां
2. पूंजीगत परिसंपत्तियों का हस्तांतरण

अतः संक्षेप में समझा जा सकता है, कि पूंजीगत संपत्तियों के हस्तांतरण से प्राप्त आय या लाभ पूंजी लाभ है |


पूंजीगत संपत्तियां (Capital Assets)


पूंजीगत संपत्तियों से तात्पर्य उन संपत्तियों से है, जो पूंजी लाभ को उत्सर्जित करती हैं |

आयकर अधिनियम की धारा 2(14) के अनुसार :- पूंजीगत परिसंपत्तियों से तात्पर्य है :-

1. किसी भी प्रकार की संपत्ति जो किसी कर निर्धारिती (Assessee) के कब्जे में हो,       चाहे उस संपत्ति का संबंध व्यवसाय या पेशे से हो या ना हो |

2. कोई भी प्रतिभूतियां ( Securities ) जो किसी विदेशी संस्थागत निवेशक के पास हो |

लेकिन पूंजीगत परिसंपत्तियों में शामिल नही हैं .....

1. बिक्री माल ( चाहे वह कच्चा माल हो, अर्धनिर्मित उत्पाद (Stock in Trade) हो, या     पूर्णतः निर्मित उत्पाद हो |

2. चल संपत्ति ( व्यक्तिगत या निजी उपयोग में आने वाली संपत्तियां जो कर निर्धारिती या   उसके किसी परिवार के किसी सदस्य के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा हो | 

लेकिन :- गहनें, पेंटिंग, मूर्तियां, पुरातत्व संग्रहण सहित वे सभी जो किसी विशेष कला के द्वारा उत्पादित होती हैं, वे सभी पूँजीगति परिसम्पत्तियों में शामिल हैं।

3. भारत में स्थित खेती योग्य भूमि

4. स्वर्ण जमा बॉन्ड :- स्वर्ण जमा योजना 1999 और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना 2015 के अंतर्गत जारी किए गए जमा प्रमाणपत्र और केंद्र सरकार के द्वारा अधिसूचित स्वर्ण मुद्रीकरण योजना 2018.

5. केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए विशिष्ट वाहक बॉन्ड 1991.

6. विशिष्ट स्वर्ण बॉन्ड :- केन्द्र सरकार के द्वारा जारी किए 6 1/2% स्वर्ण बॉन्ड 1977 या 7% स्वर्ण बॉन्ड 1980 या राष्ट्रीय सुरक्षा स्वर्ण बॉन्ड 1980.

पूंजी लाभ के प्रकार :- Types of Capital Gain in Hindi


1.लघु अवधि पूंजी लाभ:- Short term Capital Gain

भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 2(42A) के अनुसार :- लघु अवधि पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो हस्तांतरण दिनांक से 36 महीने से कम अवधि का हो |

2.दीर्घकालिक पूंजी लाभ :- Long term Capital Gain 

भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 2(42A) के अनुसार :- दीर्घकालिक पूंजी लाभ से तात्पर्य उस लाभ से है, जो किसी लघु अवधि पूंजी लाभ नहीं है |

साधारण शब्दों में :- वह संपत्ति जिसकी अवधि 36 महीने से अधिक अवधि की होती है उसे दीर्घकालिक पूंजी लाभ कहते हैं |


5. अन्य स्रोतों से आय (Income from other sources)

अन्य स्रोतों से आय का परिचय एवं अर्थ :- Introduction & Meaning of Income from Other Sources
 

भारतीय कंपनी अधिनियम 1961 के अनुसार :- अन्य स्रोतों से आय का तात्पर्य उस आय से है जो निम्न शीर्षो में शामिल नहीं हैं |

1. वेतन से आय
2. मकान संपत्ति आय
3. व्यवसाय और पेशे से आय
4. पूंजी लाभ से आय

साधारण भाषा में :- अन्य स्रोतों से आय से तात्पर्य उस आय से है, जो वेतन, मकान संपत्ति, व्यवसाय एवं पेशे सहित पूंजी लाभ के अलावा अन्य स्रोतों से प्राप्त होता है |

उदाहरण :- लाभांश (Dividend) आकस्मिक आय (लॉटरी, घुड़ दौड़ ) ब्याज आदि |

अन्य स्रोतों से प्राप्त आय में शामिल हैं :-

1. लाभांश से आय
2. अकास्मिक आय
3. प्रतिभूतियों पर ब्याज से आय
4. फर्नीचर, मशीनों, संयंत्रों के भाड़े से प्राप्त आय 
5. बैंकों से प्राप्त ब्याज
6. रॉयल्टी से आय
7. भारत से बाहरी कृषि से आय 
8. कर वापसी पर प्राप्त आय
9. किसी निवेश से आय
10. उपहार से आय |


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