कम्पनी किसे कहते हैं ? परिचय, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकार
What is Company in Hindi : Introduction, Characteristics, Definitions & Types of Company
कम्पनी का परिचय [INTRODUCTION OF COMPANY]
कंपनी से आशय एक ऐसी वैधानिक संस्था या कृत्रिम व्यक्ति से है, जो विधान के द्वारा निर्मित है |
कंपनी का शाब्दिक अर्थ टोली, संगठन या समिति आदि होता है | पुराने समय की बात की जाय तो व्यवसाय के घटकों में एकाकी व्यवसाय, साझेदारी व्यवसाय प्रचलित थे | परन्तु बाजार एवं उद्योग धंधों की बढ़ती संख्या का मांग के अनुरूप एक नए घटक का अभ्युदय हुआ | जिसे कंपनी का नाम दिया गया |
कंपनी लैटिन भाषा से लिया गया है | जिसका अर्थ होता है , साथ - साथ | अतः ये समझा जा सकता है, कि यह अनेकानेक व्यक्तियों का संघ होता है |
भारतीय कंपनी अधिनियम के अनुसार इसका आशय कुछ और ही है | जो इस प्रकार से है ..." कंपनी एक वैधानिक कृत्रिम व्यक्ति है, जिसका निर्माण भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत हुआ है | इसका अपना पृथक अस्तित्व होता है | अविच्छिन्न उतराधिकार होता है और अपनी सार्वमुद्रा (Common Seal) होती है | "
कम्पनी अधिनियम की धारा 2(20) के अनुसार :- कंपनी से तात्पर्य उस कंपनी से है, जो या तो इस अधिनियम ( कंपनी अधिनियम 2013) या फिर किसी पूर्व कम्पनी अधिनियम के अंतर्गत निर्मित होता है |
कंपनी की विशेषताएं [CHARACTERSTICS OF COMPANY]
1. विधान द्वारा निर्मित कृत्रिम व्यक्ति [ARTIFICIAL LEGAL PERSON]
2. पृथक अस्तित्व [SEPERATE ENTITY]
3. शाश्वत ( अविछिन्न ) उत्तराधिकार [PERPECTUAL SUCCESSION]
4. सार्वमुद्रा [COMMON SEAL]
5. सीमित दायित्व [LIMITED LIABILITY]
6. हस्तांतरणीय अंश [TEANSFERABILITY OF SHARES]
7. अभियोग चलाने का अधिकार [CAPACITY OF SUE]
8. सदस्य संख्या [NUMBER OF MEMBERS]
9. कार्यक्षेत्र की सीमाएं [LIMITATION OF WORKING PLACE]
10. कंपनी का समापन [DISSOLUTION OF COMPANY]
कंपनी के प्रकार [TYPES OF COMPANY]
भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार :- कंपनियों को उनके दायित्व, नियंत्रण और निगमन के आधार पर वर्गीकृत किया गया है | जिसमें चार्टर्ड कंपनी, सीमित दायित्व वाली कंपनी, अंश पूंजी वाली कंपनी आदि हैं |
कंपनियों का वर्गीकरण कुछ इस प्रकार से है ...
1. निगमन के आधार पर (On the Basis of Incorporation)
(A) चार्टर्ड कंपनी (Chartered Company)
(B) विधान के द्वारा निर्मित कम्पनी (Statutary Company)
(C) निगमित या पंजीकृत कम्पनी (Incorporated or Registered Company)
2 . दायित्व के आधार पर (On the Basis of Liabilities)
(A) असीमित दायित्व वाली कंपनी (Unlimited Co.)
(B) सीमित दायित्व वाली कंपनी ( Limited Co. )
(i) गारंटी के आधार पर सीमित दायित्व वाली कंपनी (Companies limited by guaranty)
(ii) अंशों के आधार पर सीमित दायित्व वाली कंपनी (Companies limited by Shares)
3. नियंत्रण के आधार पर (On the Basis of Control)
(A) सरकारी कंपनी (Government Companies)
(B) सूत्रधारी कंपनी (Holding Companies)
(C) सहायक कंपनी (Subsidiary Companies)
(D) सहयोगी कंपनी (Associates Companies)
अन्य कंपनियां :- OTHER COMOANIES
4. एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company)
5. लघु कंपनी (Small Company)
6. विदेशी कंपनी (Foreign Company)
7. धारा 8 कंपनी (Sec 8 Company)
8. उत्पाद कंपनी (Producer Company)
अब विस्तार से ... [NOW IN DETAILS]
1. निगमन के आधार पर (On the Basis of Incorporation)
(A) चार्टर्ड कंपनी (Chartered Company)
चार्टर्ड कम्पनी से आशय उस कंपनी से है, जिसका निर्माण राजाज्ञानुसार राज पत्र पर लिखित नियमों के अनुसार होता है |
साधारण भाषा में समझा जा सकता है, कि यह ऐसी कंपनी है, जिसका निर्माण किसी राजा के कहने या फिर उसके फरमान पर होता है | वर्तमान समय में इस तरह की कोई भी कंपनी भारत में संचालित नहीं होती |
उदाहरण :- ईस्ट इंडिया कम्पनी इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसकी स्थापना सोलहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की महारानी के दिशानिर्देशों पर किया गया था |
(B) विधान के द्वारा निर्मित कम्पनी (Statutary Company)
भारतीय संसद या विधान सभाओं के द्वारा भारतीय संविधान के अनुरूप निर्मित कम्पनी, विधान के द्वारा निर्मित कम्पनी कहलाती है |
साधारण शब्दों में, विधान के द्वारा निर्मित कम्पनी वह कंपनी है, जो संसद के दोनों सदनों के द्वारा पास विधेयक के द्वारा निर्मित होता है | जिस पर भारतीय संविधान तथा कंपनी अधिनियम के नियम व कानून लगते हैं |
उदाहरण :- भारतीय जीवन बीमा निगम, विधान के द्वारा निर्मित कम्पनी का ही उदाहरण है | जिसकी स्थापना भारतीय संसद के द्वारा 1 सितंबर 1956 को की गई | इसके अतिरिक्त भारतीय रिज़र्व बैंक भी विधान के द्वारा निर्मित कंपनी का ही उदाहरण है |
(C) निगमित या पंजीकृत कम्पनी (Incorporated or Registered Company)
निगमित या पंजीकृत कम्पनी से तात्पर्य उन सभी कंपनियों से है, जो या तो कम्पनी अधिनियम 1956 या फिर कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत पंजीकृत हैं |
इसमें अन्य कंपनियां जो इसके पूर्व के कंपनी अधिनियमों जैसे कंपनी अधिनियम 1882 आदि में यदि पंजीकृत होंगी, तो भी ये पंजीकृत कमोनियां कहलाएंगी |
उदाहरण :- TATA, RELIANCE
2 . दायित्व के आधार पर (On the Basis of Liabilities)
दायित्व के आधार पर कंपनियां निम्न प्रकार की होती हैं |
(A) असीमित दायित्व वाली कंपनी (Unlimited Co.):-
असीमित दायित्व वाली कंपनियों से तात्पर्य उन कंपनियों से है, जिनमें सदस्यों का दायित्व असीमित होता है |
असीमित दायित्व से तात्पर्य जोखिम उठाने की असीमित क्षमता से है | इसे इस प्रकार से समझना उचित है, कि यदि कोई कंपनी किसी भी प्रकार की वित्तीय अड़चनों में फंस जाए, तो फिर सदस्यों की संपत्ति से कंपनी के दायित्व की भरपाई होती है |
(B) सीमित दायित्व वाली कंपनी ( Limited Co. )
सीमित दायित्व वाली कंपनी से आशय उन सभी कंपनियों से है, जिनका दायित्व सीमित होता है |
इस तरह की कंपनियों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है |
(i) गारंटी के आधार पर सीमित दायित्व वाली कंपनी (Companies limited by guaranty)
गारंटी के द्वारा सीमित कंपनी से आशय उन कंपनियों से है, जिसमें कंपनी के सदस्य (Member) कोई निश्चित धनराशि (Fixed amount of money) देने की गारंटी देते हैं |
साधारण शब्दों में समझा जा सकता है, कि जब किसी कंपनी का कोई सदस्य किसी विशेष अनिश्चित काल या फिर कंपनी के समापन के समय कंपनी को एक निश्चित धनराशि देने का वायदा करता है, तो उसे गारंटी के द्वारा सीमित कंपनी की संज्ञा दी जाती है |
(ii) अंशों के आधार पर सीमित दायित्व वाली कंपनी (Companies limited by Shares)
अंशों के द्वारा सीमित कंपनी वह कंपनी है, जिसमें कंपनी के सदस्यों के दायित्व को कंपनी की पार्षद सीमा नियम के द्वारा उस स्तर तक सीमित किया जाता है, कि यदि किसी अंशधारी या सदस्य के द्वारा किसी अंश का कुछ रकम चुकाया नही गया है, तो किसी अनिश्चित काल में अंशधारी या सदस्य के ऊपर उसकी व्यक्तिगत संपत्ति बेचने का दायित्व नहीं आएगा |
साधारण भाषा में, यह समझा जा सकता है, कि यदि कोई कंपनी अंशों के द्वारा सीमित है, तो उस कंपनी के पार्षद सीमा नियम (MOA) में वर्णित दायित्व वाक्य (Liability Clause) के अनुसार उस कंपनी का सदस्य अनिश्चित काल में अंशों के चुक्ता न किए गए रकम को चुक्ता करने के लिए उत्तरदायी नहीं होता है, अर्थात् उसे रकम चुक्ता करने के लिए कंपनी की संपत्ति (जमीन, जायदाद) नहीं बेचनी पड़ती |
इस तरह की कंपनियों में दो तरह की कंपनियां वर्णित हैं |
(a). निजी कंपनी (Private Company)
(b) सार्वजनिक कंपनी (Public Company)
(a). निजी कंपनी (अंशों के द्वारा सीमित कंपनी के संदर्भ में).(Private Company):-
1. निजी कंपनी का सदस्य अपने अंशों (Shares) को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित (Transfer) नही कर सकता |
2. इसमें न्यूनतम 2 और अधिकतम 200 सदस्य हो सकते हैं |
3. निजी कंपनी किसी भी दशा में कभी भी प्रविवरण जारी करके अंश जारी नहीं कर सकती, यह कार्य उसके लिए पूर्ण रूप से निषेध है |
b) सार्वजनिक कंपनी (Public Company)
1. सार्वजनिक कंपनी का अंशधारी अपने अंशों को कभी भी हस्तांतरित कर सकता है |
2. सार्वजनिक कंपनी में सदस्यों की न्यूनतम संख्या 7 और अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं है |
3. सार्वजनिक कंपनी केंद्र सरकार के अनुमोदन (Approval) से प्रविवरण जारी करने के उपरांत अंश जारी कर सकती है |
सार्वजनिक कंपनी को दो भागों में बांटा जा सकता है |
1. सूचीबद्ध कंपनी (Listed Company) :- जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं |
2. गैर सूचीबद्ध कंपनी (Unlisted Company) :- जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं हैं |
3. नियंत्रण के आधार पर (On the Basis of Control)
(A) सरकारी कंपनी (Government Companies)
(B) सूत्रधारी कंपनी (Holding Companies)
(C) सहायक कंपनी (Subsidiary Companies)
(D) सहयोगी कंपनी (Associates Companies)
A) सरकारी कंपनी (Government Companies) :-
सरकारी कंपनी से आशय उस कंपनी से है, जिसमें सरकार की अंशधारिता या सहभागिता 50% से अधिक होती है |
सरकार से सहभागिता का तात्पर्य :-
1. केंद्र सरकार [CENTRAL GOVERNMENT]
2. राज्य सरकार [STATE GOVERNMENT]
3. केंद्र और राज्य दोनों की सहभागिता
इन कंपनियों की सहायक कंपनियां भी (Subsidiary Companies) में आती हैं |
साधारण शब्दों में :- वे सभी कंपनियां सरकारी हैं, जिसमें सरकार 50% से अधिक का अंश धारण करती है | सरकार के द्वारा अंशधारिता में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों अकेले अकेले या फिर दोनों की सहभागिता हो सकती है |
उदाहरण :- हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, भारतीय दूर संचार निगम लिमिटेड, भारतीय जीवन बीमा निगम आदि |
(B) सूत्रधारी कंपनी (Holding Companies) :-
सूत्रधारी कंपनी उन कंपनियों को कहते हैं, जिनका अन्य कंपनियों पर नियंत्रण होता है | कंपनियों पर नियंत्रण से किसी कंपनी में तात्पर्य 50% या आधे से अधिक अंशों पर स्वामित्व से है |
इस स्थिति में सूत्रधारी कंपनी का जिस कंपनी पर स्वामित्व होता है, उसे सहायक कंपनी कहा जाता है |
उदाहरण :- Reliance industries का Jio पर स्वामित्व है | इसका मतलब ये हुआ, कि Reliance industries, JIO की सूत्रधारी कंपनी है और JIO, Reliance Industries की सहायक कंपनी है |
C) सहायक कंपनी (Subsidiary Companies)
सहायक कंपनी वह कंपनी है, जो किसी सूत्रधारी कम्पनी के स्वामित्व में या फिर अधिकार में होती है, या जिसमें किसी सूत्रधारी कंपनी का 50% से अधिक अंश किसी कंपनी के अधिक में होता है |
जिस कंपनी के अधिकार या स्वामित्व में कोई सहायक कंपनी होती है, उसे सूत्रधार कंपनी कहा जाता है |
उदाहरण :- Reliance Retail, Jio Saavn, Alok Industries, Future Groups, TV18, Network 18, Jio Payment Bank आदि....
Reliance Industries Limited की सहायक (Subsidiary Companies) है |
TATA Motors, TATA Steel Europe, TATA Steel Limited, TATA Consultancy Services, TATA Power, Voltas, Titan Company, Taj Hotel, TATA Capital, TATA Power Solar, TATA Technologies आदि |
TATA Industries की सहायक कंपनियां हैं |
(D) सहयोगी कंपनी (Associates Companies)
सहयोगी कंपनियां वे कंपनियां हैं, जिसका किसी भी कंपनी में 20% - 50% तक सहभागिता या अंशधारिता होती है |
अन्य कंपनियां :- OTHER COMOANIES
4. एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company)
5. लघु कंपनी (Small Company)
6. विदेशी कंपनी (Foreign Company)
7. धारा 8 कंपनी (Sec 8 Company)
8. उत्पाद कंपनी (Producer Company)
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