भारत में बेरोजगारी
(Unemployment in India)
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(Unemployment in India) |
बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जहां श्रम शक्ति (श्रम की पूंजी) व रोजगार के अवसरो (श्रम की मांग) में अंतर होता है । बेरोजगारी श्रमिकों की मांग की अपेक्षा उनकी पूर्ति के अधिक होने का परिणाम है । बेरोजगारी से आशा एक ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परंतु उसे काम नहीं मिलता ।
बेरोजगारी की परिभाषा (Definition of Unemployment)
प्रो. पीगू के अनुसार , " एक व्यक्ति को उस समय ही बेरोजगार कहा जाएगा जब उसके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है परंतु वह रोजगार प्राप्त करना चाहता है|
भारत में बेरोजगारी की विशेषताएं (Featuers of unemployment in India)
(1) श्रम श्रमिक या बल( Labour Force)
(2) श्रम शक्ति (बल) सहभागिता दर
(3) कामगार जनसंख्या अनुपात
(4) बेरोजगार श्रम शक्ति की संख्या व दर
(5) बेरोजगारी में क्षेत्रीय अंतर
(6) शिक्षा स्तर के अनुसार बेरोजगारी दर
(7) संगठित क्षेत्र में रोजगार
(8) असंगठित क्षेत्र में रोजगार
(9) धर्म के आधार पर बेरोजगारी
(10) सामाजिक समूह के अनुसार बेरोजगारी
भारत में बेरोजगारी के कारण (Causes of Unemployment in India)
1. जनसंख्या वृद्धि – भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन रोजगार के अवसर सीमित हैं।
2. शिक्षा प्रणाली की खामियां – व्यावहारिक और तकनीकी शिक्षा की कमी के कारण युवा उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होते।
3. कृषि पर निर्भरता – देश में बड़ी संख्या में लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन इसमें सीमित रोजगार के अवसर हैं।
4. औद्योगिकीकरण की धीमी गति – नए उद्योगों की स्थापना अपेक्षाकृत धीमी है, जिससे रोजगार के अवसर कम हैं।
5. मशीनों का बढ़ता उपयोग – ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के कारण श्रम आधारित नौकरियां कम हो रही हैं।
6. महिलाओं के लिए रोजगार के सीमित अवसर – सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों से कई महिलाओं को काम करने के अवसर नहीं मिलते।
बेरोजगारी के प्रभाव (Effects of Unemployment)
1. आर्थिक विकास में बाधा – बेरोजगार लोग उत्पादन में योगदान नहीं कर पाते, जिससे आर्थिक विकास धीमा पड़ता है।
2. गरीबी में वृद्धि – बेरोजगारी से लोगों की आय नहीं होती, जिससे वे गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं।
3. सामाजिक अस्थिरता – बेरोजगारी के कारण अपराध, नशाखोरी, आत्महत्या और असंतोष बढ़ता है।
4. प्रतिभा का नुकसान – योग्य और शिक्षित लोग विदेशों में काम करने चले जाते हैं (ब्रेन ड्रेन)।
भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Measures to reduce unemployment in India)
1. कौशल विकास (Skill Development) – सरकार को व्यावसायिक शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए।
2. स्टार्टअप्स और उद्यमिता को प्रोत्साहन – स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए ऋण योजनाएं और अनुदान दिए जाने चाहिए।
3. औद्योगिकीकरण को बढ़ावा – अधिक से अधिक उद्योग स्थापित किए जाएं ताकि रोजगार के अवसर बढ़ें।
4. कृषि सुधार – कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अधिक रोजगार उत्पन्न किए जाएं।
5. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत – घरेलू उत्पादन और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर बनाए जाएं।
6. डिजिटल रोजगार के अवसर – आईटी, फ्रीलांसिंग, और वर्क फ्रॉम होम जैसी नई नौकरियों को प्रोत्साहित किया जाए।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही नीतियों और योजनाओं से इसे कम किया जा सकता है। सरकार और समाज को मिलकर कौशल विकास, औद्योगिकीकरण और स्वरोजगार को बढ़ावा देना होगा, ताकि देश का हर व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सके।
© ASHISH COMMERCE CLASSES
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