भारत में बचत (Savings and Savings in India)

भारत में बचत 
(Savings and Savings in India)

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Savings and Savings in India



बचत का अर्थ (Meaning of Savings)

राष्ट्रीय आय का जो भाग वस्तुओं एवं सेवाओं पर व्यय नहीं किया जाता है, उसे बचत कहते हैं ।

Formula :- S = Y-C

where ,
S = Savings (बचत)
Y = Income (आय)
C = Consumption (उपभोग)

बचत की परिभाषा (Definition of Savings) 

लॉर्ड किंस के अनुसार :- आय का उपभोग की तुलना में आधिक्य बचत कहलाता है ।
 (Excess of income over consumption is known as savings)

भारत में बचत (Savings in India)

भारत की दशा में बचत देश में व्याप्त विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, आय स्तर, रोजगार, वित्तीय स्थिति, साक्षरता एवं सरकारी नीतियों आदि से प्रभावित होती है या इन सभी तत्वों पर निर्भर करती है । यदि भारतीय बचत को समझना हो तो निम्न तत्वों का अध्ययन किया जा सकता है :- 

1. पारंपरिक बचत विधियाँ :- बैंक बचत खाता, सावधि जमा (FD), रियल एस्टेट, सोना आदि ।
2. सरकारी योजनाएं :- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) आदि।
3. आधुनिक बचत के साधन :- म्यूचुअल फंड्स, शेयर बाजार निवेश, डिजिटल बचत ऐप आदि । 
4. संस्कारिक बचत :- स्वयं बचत करना, चिट फंड, स्वयं सहायता समूह बचत आदि।
5. चुनौतियाँ :- वित्तीय साक्षरता की कमी, मुद्रास्फीति आदि ।
6. आधुनिक तकनीक की ओर रुझान :- स्मार्टफोन एवं इंटरनेट सुविधा, वित्तीय साक्षरता के लिए सरकारों का प्रयास आदि ।

भारत में बचतों का निर्धारण (Determination of Savings in India)

भारत में यदि बचतों का निर्धारण करना हो तो निम्न तत्वों को समझना अति आवश्यक है:- 

1. आय में वृद्धि (Growth of Income)
2. बैंकिंग एवं वित्तीय दर विकास (Banking and Financial Development)
3. मुद्रास्फीति (Inflation)
4. करारोपण (Taxation)
5. ब्याज की दर (Rate of Interest)

भारत में बचत दर निम्न होने के कारण (Causes of low rate of saving in India)

1. निम्न आय स्तर ।
2. सार्वजनिक क्षेत्रों की कम बचतें।
3. भारी करारोपण ।
4. मुद्रा प्रसार ।
5. बचतों को अनुत्पादक कार्यों , जैसे - सोना, चांदी आदि में लगा देना। 

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि :- भारत में बचत पारंपरिक और आधुनिक प्रथाओं का मिश्रण है, जिसमें सुरक्षा और दीर्घकालिक योजनाओं के प्रति एक मजबूत सांस्कृतिक झुकाव है। हालाँकि, बढ़ती वित्तीय साक्षरता और डिजिटल अपनाने के साथ, अधिक विविध और परिष्कृत बचत साधनों की ओर बदलाव हो रहा है।

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