कोष प्रवाह विवरण किसे कहते हैं ? (Fund Flow Statement in Hindi)

कोष प्रवाह विवरण किसे कहते हैं ? 
(Fund Flow Statement in Hindi)

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(Fund Flow Statement in Hindi)


कोष प्रवाह विवरण का अर्थ (Meaning of Fund Flow Statement in Hindi)


कोष प्रवाह विवरण दो तिथियों के आर्थिक चिट्ठों के बीच विभिन्न संपत्तियों और दायित्वों में हुए परिवर्तनों को स्पष्ट करता है अर्थ कोष प्रवाह विवरण एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से दो तिथियों के बीच किसी संस्था की आर्थिक स्थिति में हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है । साथ ही, इसकी सहायता से यह भी पता लगाया जा सकता है कि दो तिथियों के बीच संस्था की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन क्यों और कैसे हुए हैं ? अतः आर्थिक स्थिति में परिवर्तन कोषों के प्रवाह के ही कारण होते हैं । चूंकि कोष प्रवाह विवरण कोषों के आवागमन अर्थात बहाव (Flow) को दर्शाता है, इसलिए इस विवरण को कोष प्रवाह विवरण भी कहते हैं । 


कोष प्रवाह विवरण की परिभाषा (Definitions of Fund Flow Statement in Hindi)


1. रॉबर्ट एंथोनी के अनुसार :- कोष प्रवाह विवरण उन स्रोतों का वर्णन करता है जिनसे अतिरिक्त कोष प्राप्त किए गए थे और जिनमें इन कोषों का प्रयोग किया गया है ।

2. स्मिथ एवं ब्राउन के अनुसार :- कोष प्रवाह विवरण सारांश रूप में तैयार किया गया एक विवरण है जो दो विभिन्न तिथियों पर बनाए गए आर्थिक चिट्ठों के समयांतर में वित्तीय दशाओं में हुए परिवर्तनों का ज्ञान कराता है । 

3. फाउल्के के अनुसार :- कोषों के स्रोतों व प्रयोग का विवरण एक तकनीकी युक्ति है जो कि दो तिथियों के बीच व्यावसायिक संस्था की वित्तीय स्थिति में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया जाता है ।


कोष प्रवाह विवरण के उद्देश्य (Objectives of Fund Flow Statement in Hindi)


कोष प्रवाह विवरण का उद्देश्य एक निश्चित समय में कार्यशील पूंजी में हुए परिवर्तनों के कारणों का विश्लेषण करना होता है । कोष प्रवाह विवरण की सहायता से यह ज्ञात किया जा सकता है कि एक निश्चित अवधि में कोषों का सृजन कैसे हुआ तथा इन कोषों का प्रयोग कहां किया गया ? इसके अलावा कोष प्रवाह विवरण निम्न प्रश्नों का विश्लेषणात्मक उत्तर देता है :- 

1. अंशों पर और अधिक लाभांश क्यों प्राप्त नहीं हुआ ?
2. एक निश्चित अवधि में उपार्जित लाभ कहां गया ?
3. पर्याप्त लाभ होने पर भी शुद्ध कार्यशील पूंजी कम क्यों है ?
4. व्यवसाय के हानि के बावजूद भी कार्यशील पूंजी अधिक क्यों है ?
5. निश्चित अवधि में कम लाभ होने अथवा हानि होने पर भी किस कोष से लाभांश का वितरण किया गया ?
6. स्थायी संपत्तियों से प्राप्त रकम का प्रयोग कहां हुआ ?
7. ऋणों की अदायगी की क्या व्यवस्था की गई ?
8. निश्चित अवधि में स्थायी संपत्तियों के विस्तार हेतु वित्त प्रबंध कैसे किया गया ?
9. दीर्घकालीन ऋणों से कोष प्राप्ति का क्या परिणाम रहा ?
10. कार्यशील पूंजी में वृद्धि की वित्त व्यवस्था कहां से की गई ?


कोष प्रवाह विवरण की सीमाएं (Limitations of Fund Flow Statement in Hindi)


कोष प्रवाह विवरण की सीमाएं निम्न हैं :- 

1. कोष प्रवाह विवरण लगातार व्यवसायिक परिवर्तन को प्रदर्शित नहीं कर सकता ।
2. कोष प्रवाह विवरण आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet) का विकल्प नहीं हो सकता क्योंकि इससे मात्र अतिरिक्त सूचनाएं ही मिल सकती हैं । इस कोष के माध्यम से संस्था के संबंध में प्रारंभिक सूचनाएं नहीं मिल सकती हैं ।
3. कार्यशील पूंजी की तुलना में रोकड़ (Cash) में परिवर्तन अधिक महत्वपूर्ण होता है जिसके संबंध में इस विवरण से जानकारी का आभाव पाया जाता है ।
4. कोष प्रवाह विवरण कार्यशील पूंजी की कुल राशि में परिवर्तन का ही विश्लेषण करता है । कार्यशील पूंजी के विभिन्न मदों में परिवर्तन का विश्लेषण नहीं करता । 
5. कोष प्रवाह विवरण भूतकालीन विश्लेषण से अधिक संबंध रखता है । इससे मात्र यह पता चलता है कि क्या हो चुका है ? इससे यह नहीं पता चलता कि भविष्य में क्या होगा ?

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