दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अंतर्गत समापन
(Winding up Under The Insolvency and Bankruptcy Code, 2016)
जब कंपनी के दिवालिया होने पर कंपनी का समापन होता है तो इस स्थिति में ट्रिब्यूनल एवं दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अनुसार कंपनी के समापन की बात की जाती है । जिसमें दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अंतर्गत समापन की कुछ महत्वपूर्ण शर्तें इस प्रकार से हैं :-
1. ऋण चुकाने में असमर्थ होने पर समापन :- इस प्रावधान कोड की धारा 7 से 9 तक किया गया है, जिसके अंतर्गत वित्तीय तथा परिचालन लेनदारों (Financial and Operational Creditors) द्वारा कॉरपोरेट दिवालियापन संकल्प की प्रक्रिया की जाती है ।
इस कोड के अनुसार दोष (Default) का अर्थ है कि ऋण का पुनर्भुगतान न होने पर चाहे वह पूरा हो या आंशिक रूप से जो कॉरपोरेट व्यक्ति (Corporate Person) के द्वारा देय हो गया है । यहां पर ध्यान रखने के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि समापन की कार्यवाही वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियों के विरुद्ध भी आरंभ की जा सकती है, जो अपने ऋण को चुकाने में दोषी है । दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के द्वारा पहली बार इस प्रतिकार (Remedy) को कंपनी के समापन में शामिल किया गया है ।
2. ऐच्छिक समापन (Voluntary Winding - up) :- भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 304 के अनुसार, किसी कंपनी का समापन हो सकता है :-
(a) यदि कंपनी के अंतर्नियमों के अनुसार कंपनी का जीवनकाल समाप्त हो गया हो या कोई ऐसी घटना घटित हो गई हो, जो अंतर्नियमों में वर्णित है, कंपनी अपनी साधारण सभा में ऐच्छिक समापन के लिए , ऐसा प्रस्ताव (Resolution) पास कर देती है ।
(b) यदि कंपनी ऐच्छिक समापन के लिए विशिष्ट प्रस्ताव (Special Resolution) पास करती है ।
दिवाला तथा शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 59 के अंतर्गत ऐच्छिक समापन :-
• धारा 59 के अंतर्गत दो प्रमुख शर्तों का होना आवश्यक है ।
• कॉरपोरेट व्यक्ति स्वयं की ऐच्छिक समापन करवाना चाहता है तथा
• कॉरपोरेट व्यक्ति ने कोई भी गलती (Default) न की हो ।
• यह आवश्यक नहीं है कि कॉरपोरेट व्यक्ति ने कोई ऋण देय हो । यहां पर कॉरपोरेट व्यक्ति है न कि कॉरपोरेट देनदार ।
3. धारा 59(2) के अनुसार, ऐच्छिक समापन बोर्ड के द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार होगा ।
4. यदि कॉरपोरेट व्यक्ति एक कंपनी है तो निम्न प्रक्रिया को ध्यान में रखा जायेगा ।
• कंपनी के बहुमत वाले संचालक एक शपथ पत्र देंगे, जिसमें कंपनी की ऋण चुकाने की क्षमता का उल्लेख होगा ।
• जो घोषणा दिया जायेगा उसके साथ अंकेक्षित वित्तीय विवरण तथा व्यापार के कार्यों का रिकॉर्ड तथा संपत्तियों के मूल्यांकन की विवरणी भी संलग्न की जाएगी ।
• घोषणा - पत्र के 4 सप्ताह के अंदर अंशधारियों की सहमति ली जाएगी चाहे वह सामान्य प्रस्ताव से या विशिष्ट प्रस्ताव से, जैसी भी स्थिति हो ।
• यदि कंपनी द्वारा किसी व्यक्ति का ऋण देय है तो लेनदारों की सहमति भी आवश्यक है । यह सहमति उन लेनदारों से ली जाएगी,जो कि कुछ ऋण के 2/3 मूल्य का प्रतिनिधित्व करते हों ।
• कंपनी ऐसे सभी प्रस्तावों को रजिस्ट्रार तथा बोर्ड के पास सूचित करेगी ।
• जब कम्पनी का कारोबार पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, तो ट्रिब्यूनल को कॉरपोरेट व्यक्ति के विघटन के लिए प्रार्थना पत्र लिखा जायेगा । यह कॉरपोरेट व्यक्ति उस दिन से विघटित माना जायेगा, जिस दिन से ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है ।
5. ट्रिब्यूनल, प्रार्थना पत्र दाखिल होने पर, कॉरपोरेट देनदार को विघटित घोषित करने का आदेश जारी करेगी, जिसमें लिखा होगा कि आदेश की तिथि से ही उसको विघटित माना जाए ।
6. आदेश जारी होने के 14 दिन के अंदर आदेश की प्रति उस प्राधिकरण को दे दी जाएगी, जिसके पास वह कॉरपोरेट व्यक्ति पंजीकृत है ।
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