एकाकी व्यवसाय का अंकेक्षण (Audit of Sole Trading in Hindi)

एकाकी व्यवसाय का अंकेक्षण 
Audit of Sole Trading in Hindi

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Audit of Sole Trading in Hindi

एकाकी व्यवसाय के संदर्भ में अंकेक्षक की नियुक्ति, पारिश्रमिक, अधिकारों एवं उसके कर्तव्यों की विस्तृत जानकारी से पूर्व ये जानना जरूरी है कि अंकेक्षक किसे कहते हैं ? इस लेख में हम एकाकी व्यवसाय के अंकेक्षण से जुडी सारी बातों को जानेंगे । 

अंकेक्षक (Auditor) :- अंकेक्षक वह व्यक्ति है, जो व्यवसाय के वित्तीय लेखों एवं सूचनाओं का स्वतंत्र रूप से विश्लेषण एवं परीक्षण करता है । 

एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक की नियुक्ति :- Appointmemt of Auditor in respect of Sole Trading Business


अंकेक्षण की नियुक्ति विभिन्न तरह के व्यवसायों में विभिन्न तरीकों से की जाती है । यदि एकाकी व्यवसाय की बात की जाए तो किसी अंकेक्षण की नियुक्ति निम्न प्रकार से की जाती है ।

भारतीय कंपनी अधिनियम में एकाकी व्यवसाय के लिए अंकेक्षक की नियुक्ति का कोई विशेष विधान या नियम या कानून नहीं है । इसलिए एकाकी व्यवसाय में जब कभी अंकेक्षक की नियुक्ति की जाती है, तो अंकेक्षक की नियुति अंकेक्षक एवं उद्यमी के बीच समझौते पर की जाती है । जब अंकेक्षक और उद्यमी के बीच में समझौता होता है, तो यह समझौता दो तरीकों से लिखित या मौखिक हो सकता है । इस अनुबंध में अंकेक्षक का क्रियाकलाप क्या होगा ? अंकेक्षण कार्य का समय क्या होगा ? अंकेक्षक का पारिश्रमिक आदि का उल्लेख होता है ।

एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक का पारिश्रमिक :- Remuneration of Auditor in respect of Sole Trading Business


भारतीय कंपनी के अधियम 2013 के अनुसार अंकेक्षक के पारिश्रमिक के बारे में भी कोई विशेष प्रावधान नहीं है, कि अंकेक्षक को उसके अंकेक्षण कार्य के बदले कितना पारिश्रमिक दिया जाएगा । अंकेक्षक को कितना पारिश्रमिक देना है इसका निर्धारण उद्यमी और अंकेक्षक के बीच अनुबंध के आधार पर होता है । 


एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक के अधिकार :- Rights of Auditor in respect of Sole Trading Business


एकाकी व्यवसाय के संदर्भ में भारतीय कंपनी अधिनियम में कोई विधान न होने के कारण सार्वभौमिक रूप से जो अधिकार एक अंकेक्षक के हो सकते हैं । उनको ही अंकेक्षक के अधिकारों की सूची में शामिल कर लिया जाता है । इन अधिकारों में कुछ अधिकार निम्न हैं ......

1. व्यवसायिक पुस्तकों के निरीक्षण का अधिकार ।
2. पारिश्रमिक का अधिकार ।
3. व्यवसाय के बारे में उद्यमी के द्वारा उचित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार । जिसमें व्यवसाय में कर्मचारियों का विवरण, अधिकारियों का विवरण आदि सम्मिलित हैं ।
4. व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों से वार्तालाप या पत्राचार का अधिकार ।
5. प्रतिवेदन में व्यवसाय की समस्याओं एवं शंकाओं का अधिकार ।
6. व्यवसायिक समस्याओं को दूर करने का अधिकार ।
7. व्यवसाय की खरीद एवं बिक्री के विवरण प्राप्त करने का अधिकार ।


एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक के कर्तव्य :- Duties of Auditor in respect of Sole Trading Business


एकाकी व्यवसाय के संदर्भ में भारतीय कंपनी अधिनियम में कोई विधान न होने के कारण सार्वभौमिक रूप से जो कर्तव्य एक अंकेक्षक के हो सकते हैं । उनको ही अंकेक्षक के कर्तव्यों की सूची में शामिल कर लिया जाता है । इन कर्तव्यों में कुछ कर्तव्य निम्न हैं ......

1. अंकेक्षक को अपना कार्यक्षेत्र स्पष्ट करना चाहिए ।
2. अंकेक्षक को लेखा पुस्तकों की जांच बहुत ही सतर्कता एवं ईमानदारी के साथ करना चाहिए ।
3. अंकेक्षक के द्वारा व्यवसाय की गुप्त सूचना किसी तीसरे व्यक्ति को नहीं दी जानी चाहिए ।
4. अंकेक्षक के द्वारा अंकेक्षण हो जाने पर प्रतिवेदन (Audit Report) प्रस्तुत करना चाहिए ।
5. अंकेक्षक के द्वारा लेखा पुस्तकों का जांच किए जाने पर किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर प्रतिवेदन में उसका उल्लेख कर देना चाहिए ।
6. अंकेक्षक के द्वारा नियोक्ता के द्वारा सुझाव मांगे जाने पर सुझाव जरूर देना चाहिए ।
7. अंकेक्षक के द्वारा व्यवसायिक लेखों की जांच निष्पक्षता एवं ईमानदारी से की जानी चाहिए ।

एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक को हटाया जाना (Removal of Auditor in respect of Sole Trading Business)


एकाकी व्यवसाय में अंकेक्षक को हटाने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है । जिस प्रकार से समझौते के आधार पर अंकेक्षक की नियुक्ति होती है ठीक उसी प्रकार इसको हटाया भी जायेगा । इस स्थिति पुराने अंकेक्षक के स्थान पर को नया अंकेक्षक आएगा उसे पुराने अंकेक्षक से उस व्यवसाय के संबंध में बात करनी होगी ।


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