साख सृजन से आप क्या समझते हैं? साख-सृजन से लाभ - हानि

साख सृजन क्या  है ?
What is Credit Creation by Bank in Hindi 


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बैंकों के द्वारा साख सृजन का परिचय :- Introduction of Credit Creation by Bank in Hindi


साख-सृजन को समझने से पूर्व ये समझ लेना जरूरी है, कि साख क्या होता है ?

साख (Credit) :- "साख " शब्द का तात्पर्य उस प्रतिष्ठा या ख्याति से है, जिसके आधार पर वर्तमान समय में लिए गए दायित्वों का भुगतान भविष्य -काल में किया जाता है । 
साख अंग्रेजी के क्रेडिट शब्द का हिंदी रूपांतरण है तथा क्रेडिट को लैटिन भाषा में (क्रेडो) के नाम से जाना जाता है ।जिसका अर्थ होता है"विश्वास" ।

साख-सृजन (Credit Creation) :- साख बैंकों तथा ग्राहकों के मध्य निरंतर लेन-देन से बनता है । जब कोई बैंक स्थापित होता है, तो उसका ये उद्देश्य होता है, कि वह ग्राहकों के मध्य तथा बाजार में अपनी अच्छी प्रतिष्ठा बनाना चाहता है ।
जिसके लिए बैंक अपने ग्राहकों के लिए निम्न कार्य करता है । 
1. धन जमा करना । 
2. धन निकालने की सुविधा देना ।
3. ग्राहक की आवश्यकतानुसार ऋण देना ।
4. समय-समय संगोष्ठियों का आयोजन करना ।
5. बैंक के नियम एवं शर्तों को ठीक-ठीक तथा समय-समय पर बता देना । 
6. ग्राहक को बेहतर बैंकिंग सेवा देना । 

उपरोक्त कर्यों के निरंतर होने ने बैंक की प्रतिष्ठा, सम्मान तथा ख्याति में निरंतर वृद्धि होती रहती है । जिससे ग्राहक और बैंक दोनों के मध्य एक अच्छा सम्बन्ध बन जाता है । सम्बन्ध बन जाने से अब बैंक ग्राहकों को उनकी आवश्यकता अनुसार हमेशा ऋण देने के लिए तत्पर रहता है, जिसे साख कहा जाता है ।

साख-सृजन से बैंको को लाभ :- Benefits of Bank by Credit Creation


1. बैंक के व्यवसाय में वृद्धि ।
2. बैंक की प्रतिष्ठा में वृद्धि ।
3. रिज़र्व बैंक का बैंको पर भरोसा बढ़ जाता है ।
4. सरकार का बैंको पर भरोसा बढ़ जाता है । 
5. ग्राहक अपना धन बैंकों में रखना चाहेंगे । 
6. ग्राहक बैंकों के दवारा जारी किये गए नए-नए स्कीमों में निवेश करेंगे । 
7. देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होना ।
8. रोजगार सृजन ।
9. पूंजी का निर्माण होना ।

साख-सृजन से बैंकों को हानि :- Loss of Bank By Credit Creation


1. अधिक मात्रा में ऋण देने से धन डूबने का खतरा । 
2. मुद्रा-स्फीति । 
3. बैंकों का दिवालिया होना ।
4. सामाजिक असमानता ।
5. मुद्रा का अपव्यय ।

निष्कर्ष :- 
साख-सृजन बैंक के मुख्य कार्यों में से है । इस प्रक्रिया में बैंक की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और देश का आर्थिक एवं सामाजिक विकास भी समान रूप से होता है ।



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