नाबार्ड किसे कहते हैं ?
What is NABARD in Hindi ?
NABARD kise kahte hai - NABARD in Hindi |
नाबार्ड का परिचय :- Introduction of NABARD.
N.B.A.R.D. का पूरा नाम National Bank for Agricultural and Rural Development है, जिसे हिन्दी में राष्ट्रिय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के नाम से जाना जाता है । N.B.A.R.D भारतीय कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । क्योंकि इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य भी यही है ।
नाबार्ड की स्थापना कब और कैसे हुई ? Establishment of NABARD in Hindi
भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करनें तथा गति देने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना बहुत जरुरी था, इसलिए भारतीय ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करके भारत सरकार के निर्देशानुसार भारतीय रिज़र्व बैंक नें कृषि और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण के व्यवस्था की समीक्षा किया और अंततः क्रेफिकार्ड समिति का गठन किया गया । इस समिति का गठन योजना आयोग के पूर्व सदस्य श्री बी. शिवरामन अध्यक्षता में 30 मार्च 1979 को किया गया ।
इस समिति के द्वारा 28 नवम्बर 1979 को एक आंतरिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसमे ग्रामीण विकास से जुड़े ऋण से सम्बंधित मुददों पर सरकार ध्यान एकत्रित करनें और भारतीय गावों की अर्थव्यवस्था को संगठनात्मक ढाँचा कही गयी । भारतीय संसद द्वारा 1981 को अधिनियम 61 के माध्यम से N.B.A.R.D. के गठन के अनुमोदन किया गया ।
12 जुलाई 1982 को भारतीय रिज़र्व बैंक के ऋण सम्बन्धी कार्यों और तत्कालीन कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (M.R.D.C.) के पुनर्वित्त के अंतरण द्वारा N.A.B.R.D.की स्थापना हुई ।
नाबार्ड की प्रारंभिक पूंजी (Paidup Capital of NABARD):- 31 मार्च 2015 की स्थिति के अनुसार N.B.A.R.D. की पूंजी 5000 करोड़ है । भारत सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच अंशपूंजी की धारिता में संशोधन के बाद भारत सरकार की अंशपूंजी 4980 करोड़ (99.6%) रिज़र्व बैंक की अंशपूंजी 20 करोड़ है ।
नाबार्ड के उद्देश्य :- Objectives of NABARD
नाबार्ड ग्रामीण तथा कृषि विकास हेतु शीर्ष स्तरीय बैंक है जो सभी प्रकार की कृषि सम्बन्धी ऋण तथा ग्रामीण अर्थव्यस्था की समस्याओं का समाधान करता है । इसके निम्न उद्देश्य हैं :-
• ग्रामीण विकास को निर्धारित करके सुनिश्चित दिशा देना ।
• ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनानें हेतु ऋण उपलब्ध कराना ।
• लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास के लिए ऋण मुहैया कराना ।
• ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देनें वाली संस्थाओं तथा बैंकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना ।
• ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बैंकिंग व्यवस्था का समय - समय पर जाँच करना, नियंत्रित करना तथा मूल्याङ्कन करना ।
नाबार्ड के कार्य :- Functions of NABARD
1. प्रारम्भिक ऋण उपलब्ध कराना (Provide Primary Credit) :-
(A). अल्पावधि ऋण (Short term Credit) :- इसको मौसमी कृषि ऋण परियोजना भी कहते हैं । यह ऋण, ऋण सीमाओं की मंजूरी के माध्यम से राज्य सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय -ग्रामीण बैंकों के द्वारा अल्पावधि के लिए प्रदान किया जाता है । इसके अंतर्गत परियोजनाओं पर ऋण 12 महीनें देय होता है ।
अल्पावधि ऋण व्यवस्था के अंतर्गत निम्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है ---
(i) कृषि और सम्बद्ध गतिविधियाँ ।
(ii) फसलों के विपणन के लिए ।
(iii) मत्स्य क्षेत्र ।
(iv) औद्योगिक सहकारी समितियों को ऋण ।
(v) लघु वन उपज के संग्रह सहित श्रम ठेका और वन श्रम सहकारी समितियों को ऋण ।
(B). मध्यावधि ऋण (Midterm Credit) :- मध्यावधि ऋण के अंतर्गत वे किसान सम्मिलित हैं, जिनकी फसल प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है । इस सुविधा के अंतर्गत उनके अल्पावधि ऋण को मध्यावधि ऋण में बदल दिया जाता है ।
(C). दीर्घावधि ऋण (Long term Credit) :- दीर्घावधि ऋण व्यवस्था निम्न क्षेत्रों में आय-अर्जक सम्पतियों का निर्माण करता है । इसके अंतर्गत निम्न क्षेत्र शामिल हैं -
(i) कृषि और सम्बद्ध गतिविधियाँ
(ii) कारीगर, लघु-उद्योग, गैर कृषि क्षेत्र ( छोटे एवं लघु उद्योग ) हस्तशिल्प, हथकरघा, पावरलूम आदि ।
(iii) ग्रामीण गरीबों के बीच काम करनें वाली संस्था ।
दीर्घकालीन ऋण निम्न बैंको द्वारा दिया जाता है -
(i) राज्य - सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ।
(ii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ।
(iii) राज्य -सहकारी बैंक ।
(iv) जिला-सहकारी बैंक ।
(v) वाणिज्य -बैंक ।
(vi) कृषि -विकास वित्त कंपनी ।
(vii) अनुसूचित प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक ।
(viii) उत्तर-पूर्व विकास वित्त निगम ।
(ix) गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ ।
2. विकास - कार्य (Development work) :- नाबार्ड, भारतीय कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराता है, इसके साथ ही कृषि संयंत्रों आदि की भी व्यवस्था कराता है । जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि होनें के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होती है । जो देश के विकास का सूचक है ।
3. कृषि ऋण से सम्बंधित बैंकों में नियमितता बनाए रखना :- नाबार्ड कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करनें के क्षेत्र में सदैव तत्पर रहता है । जिसके लिए नाबार्ड नए -नए स्थानों पर शाखाएँ खोलना तथा कृषि क्षेत्र में ऋण दे रहे बैंको पर निगरानी रखनें जैसा कार्य करता है । कृषि क्षेत्रों में बैंकों के लिए बनाएँ गए नियमों का पालन हो रहा है कि नहीं, इसके नियमितता का आकलन भी नाबार्ड ही करता है ।
4. गैर-कृषि क्षेत्र में सहायता :- गैर कृषि क्षेत्रों जैसे - छोटे एवं लघु उद्योग, हस्तशिल्प तथा पॉवरलूम उद्योग को बढ़ावा देना भी नाबार्ड के कार्यों में शामिल है । इन क्षेत्रों में ऋण उपलबध कराना तथा उसकी निगरानी नाबार्ड ही करता है ।
निष्कर्ष :-नाबार्ड कृषि क्षेत्र का शीर्ष बैंक है । यह कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करनें हेतु ऋण देना तथा उसकी नियमितता का जाँच करनें का कार्य भी करता है | नाबार्ड के लगातार प्रयासों के द्वारा भारत कृषि क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित कर रहा है ।
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