भूमि विकास बैंक किसे कहते हैं ? उदभव, प्रबंधन, कार्य, कमियाँ, पूंजी के स्रोत

 भूमि विकास बैंक किसे कहते हैं ?
Land Development Bank in Hindi

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Bhoomi Vikas Bank kise kahte hai - Land Development Bank in hindi


भूमि विकास बैंक का परिचय :- Introduction of Land Development Bank in Hindi

भूमि-विकास बैंक वे बैंक हैं, जो कृषकों को उनकी संपत्ति के बदले ऋण उपलब्ध कराते हैं । भारतीय कृषकों को मुख्यतः तीन प्रकार के ऋणों की आवश्यकता होती है, जिसमे अल्पकालीन, मध्यमकालीन तथा दीर्घकालीन ऋण सम्मिलित हैं ।
 
पूर्व समय में अल्पावधि तथा मध्यकालीन ऋण की आवश्यकता प्राथमिक कृषि साख समितियों के द्वारा पूरी कर दी जाती थी, जिससे किसान जरूरी कृषि उपकरण , खाद , बीज तथा अन्य कृषि योग्य साधन खरीदते थे ।
भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ देश की अधिकतर जनसँख्या खेती करती है, वहाँ किसानों को ट्रैक्टर, टूयबवेल, पम्पिंगसेट, हार्वेस्टर आदि महंगें मशीनों को खरीदनें तथा अनाज के भण्डारण हेतु दीर्घकालीन ऋण की आवश्यकता होती है । परन्तु देश में ऐसी बैंकिंग व्यवस्था न होनें से किसानों के खेती सम्बन्धी जरूरतें पूरी नहीं हो रही थीं और उत्पादन में निरन्तर गिरावट आने के कारण किसानों सरकार तथा  प्रति असंतोष की भावना थी ।
                                                         
अतः यह महसूस किया गया कि ऐसे होने संस्थान होने चाहिए, जो किसानों को दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराएँ, जिससे भारतीय कृषि व्यवस्था सुदृढ़ हो । इसलिए भूमि-विकास बैंकों का उदभव भूमि-बंधक बैंकों के रूप में हुआ ।


भूमि-विकास बैंकों का उदभव :- Evolution of Land Development Bank in India in Hindi

देश में पहला भूमि-बंधक बैंक पंजाब के झंग जिले 1920 में स्थापित किया गया । परन्तु किन्हीं कारणों की वजह से यह बैंक कार्यशील नहीं रहा ।
                                           
असलियत में भूमि-विकास बैंकों का दौर उस समय शुरू हुआ, जब मद्रास में केंद्रीय भूमि-बंधक बैंक 1929 में स्थापित किया गया । इसके बाद अन्य सभी राज्यों में भी इस प्रकार के कई बैंक खोले गए । भूमि-विकास बैंक किसानों की संपत्ति के बदले सहज रूप से दीर्घकालीन ऋण दिया करते थे । 1966-67 के दशक में भूमि-बंधक  बदलकर भूमि-विकास बैंक कर दिया गया ।


भूमि-विकास बैंकों का प्रबंधन :- Management of Land Development Bank in India in Hindi

भूमि-विकास बन बैंक अनिवार्य रूप से सहकारी संस्थाएँ  हैं, जो सहकारिता के आधार पर कार्य करती हैं । सारे भूमि-विकास बैंक सहकारी-समिति अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत हैं तथा अनुसार संचालित होते हैं । एक तरह से इन बैंकों को अर्ध-सहकारी बैंक भी कहा जा सकता है, क्योकि इनका दायित्व किसानों के प्रति सिमित होता है ।


भूमि-विकास बैंकों के कार्य :- Functions of Land Development Bank in Hindi


भूमि-विकास बैंकों  निम्न कार्य हैं ।

1. किसानों को दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराना ।
2. 11%-12% की दर से ऋण देना ।
3. अन्य खेती-योग्य भूमि पर ऋण देना ।
4. एक भूमि पर एक बार या आवश्यकता अनुसार दूसरी बार ऋण देना ।
5. संपत्ति के बाजार के मूल्य के 50 % पर ऋण देना ।


भूमि-विकास बैंकों की कमियाँ :- Demerits of Land Development Bank in Hindi


भूमि-विकास बैंकों की कमियाँ निम्न हैं ।

1. उच्च दर से ऋण ।
2. लाल-फीताशाही, ऋण देने में देरी ।
3. पहले ऋण की पूर्ति न होने की दशा में दूसरा ऋण नहीं ।
4. मोटे मुनाफे (50 %) के अंतर पर ऋण देना ।
5. ऋण देने के लिए जटिल प्रक्रिया ।
6. भूमि-सुधार  के लिए ऋण नहीं ।
7. केवल बड़े किसानों को ऋण ।

भूमि-विकास बैंकों के पूंजी के स्रोत :- Source of Capital of Land Development Bank in Hindi

1. अंश-पूजी ।
2. ऋण-पत्र ।
3. नाबार्ड से ऋण ।
4. सरकार से सब्सिडी । 


निष्कर्ष :-
भूमि-विकास बैंकों को स्थापित करना भारत सरकार के सराहनीय कार्यों में से एक है । भूमि-विकास बैंकों के द्वारा किसानों को ऋण सम्बन्धी सुविधा देकर भारतीय कृषि-व्यवस्था को एक नया आयाम दिया गया ।


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